वाराणसी (ब्यूरो)। वाराणसी में वाहनों के बढऩे से नॉइज पॉल्यूशन भी बढ़ा हैवैसे तो तकरीबन 4 सेंटर्स से नॉइज पॉल्यूशन का डाटा पॉल्यूशन डिपार्टमेंट जारी करता है, लेकिन शहर के अलग-अलग हिस्सों में शोरगुल कैसा हैइसे जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने रविवार को साउंड मीटर मोबाइल एप का सहारा लियाअंधरापुल में नॉइज पॉल्यूशन 80.2 डेसिबल तो कबीरचौरा अस्पताल के बाहर का शोर 79.8 डेसिबल मिलासामान्य स्थिति कैंटोनमेंट एरिया में तिलीआपको बता दें कि हमारे कान 60 डेसिबल से अधिक शोर सुनने की अनुमति नहीं देते हैंइससे अधिक शोर हमारे कानों को खराब कर सकता हैआइए जानते हैं कि वाराणसी के किस एरिया में सबसे अधिक शोर है

बहरा न कर दे अंधरा पुल

- कैंट स्टेशन के बाहर दोपहर करीब 3 बजे का शोरगुल 72.8 डेसिबल रहाजहां सबसे ज्यादा लोगों का आवागमन होता है

- बीएचयू लंका की बात करें तो यहां नॉइज पॉल्यूशन का लेवल 77.9 डेसिबल मिला

- अंधरापुल एरिया में दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर नॉइज पॉल्यूशन का लेवल 80.2 डेसिबल मिला

- कैंटोनमेंट एरिया का दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर नॉइज पॉल्यूशन का लेवल 48.4 डेसिबल मिला

- नदेसर एरिया में दोपहर 2.47 बजे नॉइज पॉल्यूशन का लेवल 67.8 डेसिबल मिला

- कबीरचौरा अस्पताल के बाहर का शोर 79.8 डेसिबल मिलाजबकि अस्पताल के आसपास का एरिया साइलेेंट जोन में आता है

- लहुराबीर चौराहे का शोर 77.8 डेसिबल मिलायहां वाहनों की आवाजाही के कारण अक्सर शोरगुल की स्थिति बनी रहती है

- चौकाघाट चौराहे का शोर शाम 7.31 बजे नॉइज पॉल्यूशन का लेवल 70.3 डेसिबल मिलायहां वाहनों की आवाजाही ज्यादा हैसाथ ही आरओबी ट्रेनें भी गुजरती हैं

तेज शोर कर सकता है कान खराब

तेज और लगातार शोर सुनने से या लंबे समय तक तेज आवाज के संपर्क में रहने से आपको कई फिजिकली और मानसिक परेशानियां हो सकती हंैसाथ ही यह ऑफिस, घर आदि में हमारे काम, नींद को भंग करता हैयातायात के साधन, जैसे हवाई जहाज, रेल, ट्रक, बस या निजी वाहन आदि इस तरह के प्रदूषण फैलाते हैंइनके अलावा फैक्ट्रियां, तेज ध्वनि वाले लाउडस्पीकर, निर्माण कार्य आदि से भी शोर फैलता हैसाथ ही लगातार ईयरफोन से तेज म्यूजिक सुनने की आदत भी तेज शोर का कारण बनता हैजोरदार शोर के बीच लगातार रहने से संवेदी नर्वस को नुकसान हो सकता है

हो सकता है हाइपरकेसिस

90 डीबी (जोकि लॉन में घास काटने की मशीन या मोटरसाइकिल से निकलने वाले शोर के बराबर है) के संपर्क में 8 घंटे, 95 डीबी में 4 घंटे, 100 डीबी में 2 घंटे, 105 डीबी (पॉवर मॉवर) में एक घंटा और 130 डीबी (लाइव रॉक संगीत) में 20 मिनट ही रहने की अनुमति दी जाती है। 110-120 डीबी पर बजने वाले संगीत में आधे घंटे से भी कम समय रहने पर कान को नुकसान पहुंच सकता हैशॉर्ट ब्लास्ट यानी 120 से 155 डीबी से अधिक शोर, जैसे कि पटाखे की आवाज से गंभीर सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस, दर्द या हाइपरकेसिस (तेज शोर से जुड़ा दर्द) हो सकता है

ज्यादा शोर में रहने से हमें कई तरह की समस्या हो सकती हैइसलिए जितना हो सके, कम शोर में रहेंसाथ ही बिना वजह गाडिय़ों के हॉर्न न बजाएं

डॉसुशील कुमार अग्रवाल, ईएनटी सर्जन, आईएमएस बीएचयू

बिना वजह रोड पर गाडिय़ों से शोर करने वाले लोगों का पुलिस चालान काट रही हैसाथ ही सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों से बिना वजह हॉर्न न देने की अपील की जा रही है

राजेश पांडे, एडीसीपी, ट्रैफिक

नॉइज पॉल्यूशन के पैरामीटर (डेसिबल में)

टाइम पीरियड ---- रेजीडेंशियल एरिया ----- कॉमर्शियल एरिया ----- इंडस्ट्रियल एरिया --- साइलेंट जोन

डे ऑवर्स ------- 55 -------------- 65 -------------- 75 -------------- 50

नाइट ऑवर्स ----- 45 --------------- 55 ------------- 70 -------------- 40