वाराणसी (ब्यूरो)। शहावाबाद से रोहनिया की तरफ जा रही तेज रफ्तार कार ने बाइक में टक्कर मारी तो राकेश गुप्ता दाहिने तरफ सड़क के बीच जा गिरे, जिसे बस ने कुचल दिया। चौबेपुर में डुबकियां बाजार के पास तेज रफ्तार ट्रेलर ने बाइक सवार रणधीर शर्मा और हरिओम सिंह को कुचल दिया। मौके पर ही इन तीनों की मौत हो गई। पड़ोसी जिले जौनपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर तेज रफ्तार टैंकर की चपेट में आने से बाइक सवार तीन युवकों की मौत हो गई। मिर्जापुर में बारात में आए तीन युवकों की सड़क हादसों में मौत हो गई। एक दिन में नौ मौतों की जांच-पड़ताल की गई तो पता चला कि कोहरे की वजह से ये सभी सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं। कोहरे में सड़कों पर उड़ रही धूल घुलने से विजिबिलिटी और कम हो गई। ऐसी स्थिति में सुबह के समय सड़कों पर सफर मुश्किल भरा हो रहा है। हालांकि ठंड ने अभी दस्तक दी है। आगे स्थिति और भी खराब हो सकती है।
धूल के गुब्बार में फंसकर कई लोग गंवा चुके हैं जान
मोहनसराय सिक्स लेन पर सुबह से शाम तक धुंध छाया रहता है। शहर में लगभग सभी जर्जर सड़कों की स्थिति यही है। ऐसे में सुबह के समय कोहरे की वजह से स्थिति और गंभीर हो जाती है। दिन में ही लाइट जलाकर वाहन चलाना लोगों की मजबूरी बन गई है। पिछले एक महीने में धूल की वजह से कई लोग डंपर, ट्रैक्टर व बस की चपेट में आकर अपनी जान गवां चुके हैं। रविवार सुबह मिर्जामुराद के हरपुर निवासी राकेश गुप्ता अपने चाचा रामचंद्र गुप्ता और भतीजी गुनगुन को बाइक पर बिठाकर बुआ के लड़के की शादी में शामिल होकर मंडुवाडीह लौट रहे थे। सड़क चौड़ीकरण के कारण एक लेन पर आवागमन के बीच शहावाबाद से रोहनिया की तरफ जा रही तेज रफ्तार कार ने बाइक में टक्कर मारी तो राकेश गुप्ता दाहिने तरफ सड़क के बीच जा गिरे, जिसे बस ने कुचल दिया। पुलिस राकेश को सीएचसी मिसिरपुर ले गई, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया।
जान ही नहीं हेल्थ भी सांसत में
धूल में फंसकर लोग जान ही नहीं, बल्कि हेल्थ भी खराब हो रही है। धूल की वजह से लोगों की सांस फूलने लगी है। आंखों पर असर पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी सड़क किनारे रहने वाले लोगों को हो रही है। लोगों का कहना है कि जब से सिक्स लेन का काम शुरू हुआ है। वे रात में भी मास्क लगाकर सोते हैं। अधिकतर लोग एलर्जी, श्वांस व आंखों की तकलीफ के कारण अस्पताल पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार धूल की वजह से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। शहाबाबाद, जगतपुर, रोहनिया, भुल्लनपुर, केसरीपुर, नरउर, मढ़ौली, चांदपुर, मंडुवाडीह समेत कई एरिया इससे प्रभावित हैं।
दस महीने में 249 की गई जान
वाराणसी में सड़क हादसों में इस साल एक जनवरी से 31 अक्टूबर तक 249 लोगों ने जान गंवाई। वहीं 286 लोग सड़क हादसों में घायल हुए। इसमें एक दिलचस्प तथ्य यह है कि जनवरी से अक्टूबर तक एक से 15 तारीख की अपेक्षा 16 से 30 या 31 तारीख के बीच ज्यादा सड़क हादसे होते हैं। जनवरी से अक्टूबर तक एक से 15 तारीख के बीच 196 सड़क हादसे हुए। इनमें 110 लोगों की जान गई और 137 लोग घायल हुए। जनवरी से अक्टूबर तक ही 16 से 30 या 31 तारीख तक 239 सड़क हादसे हुए। इनमें 139 लोगों की जान गई और 149 लोग घायल हुए। हर महीने 16 से 30 या 31 तारीख तक सड़क हादसे ज्यादा क्यों होते हैं, इसकी पड़ताल की जा रही है।
अक्टूबर में सबसे ज्यादा मौत
हादसों से सड़कें लहूलुहान हैं। ट्रैफिक नियमों की अनदेखी के चलते लगातार जानें जा रही हैं, लेकिन एक जनवरी से 31 अक्टूबर के बीच 30 सड़क हादसे ऐसे भी हुए, जिनमें न किसी की जान गई और न कोई घायल हुआ। सिर्फ 30 वाहन क्षतिग्रस्त हुए। वहीं, इस साल अब तक सड़क हादसों में सबसे ज्यादा 33 लोगों की मौत अक्टूबर के महीने में हुई। जबकि, जून और अगस्त के महीने में सबसे कम 20-20 लोगों की जान गई।
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फैक्ट एंड फीगर
249
लोगों ने इस साल हादसों में जान गंवाई
286
लोग सड़क हादसों में घायल हुए
33
लोगों की मौत अक्टूबर के महीने में
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हादसे में मौत में कमी लाने के लिए उपाय
-दोपहिया वाहन सवार हेलमेट और चारपहिया वाहन सवार सीट बेल्ट लगाएं।
-ओवर स्पीड, शराब पीकर और रांग साइड वाहन चलाने वालों पर अभियान चलाकर कार्रवाई हो।
-दुर्घटना वाले चिह्नित स्थान पर संकेतक बोर्ड लगाकर राहगीरों को आगाह किया जाए।
-सड़क हादसा होते ही बेहतर ट्रॉमा केयर सुविधा उपलब्ध हो।
सड़क हादसों में पहले की अपेक्षा कमी आई है। लोगों में ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है। कोहरे और धूल उडऩे की स्थिति में स्लो वाहन चलाना चाहिए। सड़क निर्माण के दौरान धूल को रोकने के लिए कार्यदायी संस्था से पानी का छिड़काव कराया जाएगा।
- श्यामलाल यादव, एआरटीओ