वाराणसी : नगर निगम में पेट्रोल-डीजल चोरी का खेल जारी है। पेट्रोल पंपों की मिलीभगत से कुछ ड्राइवर वाहनों में कम डीजल भरवा कर अपनी जेब में भरने में जुटे हुए हैं। इसके चलते आधे रास्ते में ही वाहन का डीजल खत्म हो जा रहा है और वाहनों पर साथ चलने वाले कांटैक्टर के कर्मचारियों को रात दो बजे वाहन को धक्का लगाना पड़ रहा है।
कांटैक्टर इमरान के एक कर्मचारी ने गत दिनों इसकी शिकायत नगर आयुक्त अक्षत वर्मा से भी की है। उसने नगर आयुक्त को बताया कि गत दिनों चंदौली-चकिया के जंगल में बंदर छोड़ कर वापस वाराणसी आते समय रात करीब सवा दो बजे नगर रोड पर मैजिक वाहन का डीजल खत्म हो गया। ऐसे में रात को करीब एक किलोमीटर तक वाहन को धक्का लगाना पड़ा। रात होने के कारण आसपास के पेट्रोल पंप बंद थे। इसे देखते हुए ड्राइवर ने करीब आधे घंटे में किसी तरह डीजल की व्यवस्था की। इसके बाद हम लोग रात करीब तीन बजे कबीरचौरा रोड स्थित पशु चिकित्सालय परिसर पहुंचे। नगर आयुक्त ने इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने तत्काल पशु कल्याण एवं चिकित्सा अधिकारी डा। संतोष पाल को बुलाकर ड्राइवर को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया। नगर आयुक्त के निर्देश पर पशु कल्याण एवं चिकित्सा अधिकारी ने ड्राइवर से स्पष्टीकरण मांगा है।
नगर निगम ने डीजल की चोरी रोकने के लिए अब आनलाइन पर्ची की व्यवस्था लागू की है। इसके तहत वाहन के ड्राइवर अब आनलाइन डीजल की मांग करते हैं। निगम के परिवहन विभाग के अधिकारी डीजल के आनलाइन मांग को ही स्वीकृति प्रदान करते हैं। इसके बाद निगम के अधिकृत पेट्रोल पंप से डीजल भरवाने के लिए एक पर्ची ड्राइवर को मिल जाती है। वहीं, दूसरी पर्ची पेट्रोल पंप के पास आनलाइन पहुंच जाती है। पेट्रोल पंप के कर्मचारी पर्ची का मिलान करते हुए वाहन में डीजल दे देते हैं। इतनी व्यवस्था के बाद भी डीजल की चोरी पर लगाम नहीं लग सकी है।
एजेंसी को प्रति बंदर 745 रुपये की दर से भुगतान किया जाता है। वहीं चकिया-चंदौली के जंगलों में बंदरों को छोडऩे के लिए निगम स्वयं वाहन उपलब्ध कराती है। इस दौरान निगम के भी कर्मचारी उसमें मौजूद रहते हैं। ऐसे में जितने बंदर जंगल में छोड़े जाते हैं उसी हिसाब से एजेंसी को निर्धारित दर के अनुसार भुगतान किया जाता है.