वाराणसी (ब्यूरो)। चोलापुर एरिया के गुरवट गांव में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। मंगलवार सुबह किराये पर रह रही 42 वर्षीय महिला का खून से सना अधजला शव कमरे में मिलने से सनसनी फैल गई। आसपास के लोगों को शक हुआ कि पति ने ही फावड़े से पत्नी की हत्या कर शव जला दिया और घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो गया। मौके पर पहुंची पुलिस पति के बारे में जानकारी कर ही रही थी कि तभी सूचना मिली कि करीब दो किमी। दूर सुलेमापुर गांव के खेत में पति का शव भी पड़ा है। इस डबल मर्डर मिस्ट्री को लेकर पुलिस भी सकते में है। घटना के बाद मौके पर ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर डॉ। के एजिलरसन, डीसीपी चंद्रकांत मीणा पहुंचे थे तो शाम को खुद पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल भी घटनास्थल पहुंचे। उन्होंने घटना की पूरी जानकारी ली।
अंबेडकर नगर के थाना नेवादा के ग्राम सगरा निवासी संतोष ङ्क्षसह उर्फ राजू पत्नी आरती ङ्क्षसह (पूर्व में आरती गोस्वामी) उर्फ रूपाली के साथ पांच माह पूर्व चोलापुर के राजापुर निवासी नीरज ङ्क्षसह का मकान किराये पर लेकर गुरवट गांव में रहते थे। संतोष करीब 25 दिन वहां रुके होंगे कि पिता की तबीयत खराब होने पर आरती संग अंबेडकर नगर चले गए। चार माह बाद सोमवार को संतोष, पत्नी आरती और ससुर बाबूलाल संग लौटे तो रात में सभी ने एक साथ भोजन किया और अपने-अपने कमरे में सो गए। तड़के बाबूलाल ने कुछ जलने की गंध आने पर दरवाजा खोला तो सिलेंडर, गृहस्थी का सामान जला मिला। बेटी आरती का शव चारपाई पर जला पड़ा था। उन्होंने मकान मालिक नीरज ङ्क्षसह को सूचना दी तो पुलिस पहुंच पाई। एसीपी डॉ। अतुल अंजान त्रिपाठी क्राइम सीन के लिहाज से आरती की हत्या तो संतोष का गला आगे से कसने के कारण उनकी मौत को आत्महत्या बता रहे हैं। एडीसीपी टी। सरवन के मुताबिक संतोष के मोबाइल का स्क्रीन खराब होने से पता नहीं चल सका कि उन्होंने किससे-किससे बात की है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मर्डर मिस्ट्री से काफी हद तक पर्दा उठेगा।
संतोष और आरती ने की थी लव मैरिज
संतोष और आरती दोनों अंबेडकर नगर के रहने वाले थे। 25 वर्ष पूर्व संतोष की पत्नी का बीमारी से निधन हुआ, तो दूसरी ओर आरती भी पति के निधन से अकेली पड़ी थी। जिसके बाद संतोष और आरती ने लव मैरिज कर लिया। दो दशक तक दोनों खुश थे, लेकिन अचानक क्या हुआ, यह तो पुलिस की जांच में ही सामने आएगा।
मेहनतकश था दंपति
संतोष और आरती मेहनकश थे। 20 वर्ष पूर्व प्रेम विवाह किया और अंबेडकर नगर से वाराणसी आ गए। पहडिय़ा में किराये का कमरा लेकर जीविकोपार्जन को लालपुर स्थित टेंट हाउस में काम कर रहे थे। तीन वर्ष पूर्व दंपति राजापुर बाजार में किराये का मकान लेकर अपनी मिठाई की दुकान चलाने लगे। डेढ़ वर्ष पूर्व दोनों गुड़ बनाने की फैक्ट्री में काम करने लगे थे।