वाराणसी (ब्यूरो)। कालेज में दाखिले के लिए मेडिकल बनवाने के लिए मंडलीय चिकित्सालय कबीरचौरा पहुंचे एक अभ्यर्थी के मेडिकल अभिलेख पर जूनियर चिकित्सक द्वारा दूसरे चिकित्सक के नाम का हस्ताक्षर करने का मामला सामने आया है। इसे खुद वहां के नेत्र विभाग में तैनात डाक्टर ने उजागर किया। डाक्टर ने अभ्यर्थी से कहा कि इस पर जिस डाक्टर का हस्ताक्षर है वह अवकाश पर चल रहे हैं, परंतु उनके नाम का हस्ताक्षर किया गया है जो फर्जी है। इन स्थितियों के चलते अभ्यर्थी और उसके अभिभावक परेशान रहे।
जाना पड़ता है आधा दर्जन विभाग
ईएनटी विभाग में दिन भर में बने 50 से अधिक मेडिकल सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर विशेषज्ञ डाक्टर की जगह जूनियर डाक्टर ने कर दिया है। विभिन्न कालेजों में प्रवेश के लिए और नौकरी ज्वाइन करने के लिए अभ्यर्थियों का मेडिकल सर्टिफिकेट देने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में अभ्यर्थी जब एसएसपीजी अस्पताल पहुंचता है तो उसे पहले तो पर्ची बनवाने के लिए लंबी लाइन में घंटों लगाते हैं फिर आधा दर्जन से ज्यादा विभागों में जाना होता है। मेडिकल बनवाने पहुंचे मनीष कुमार ने कहा कि अस्पताल की ओपीडी में बैठे चिकित्सक अगर फर्जी हस्ताक्षर कर दें तो इसका पता अभ्यर्थी को कैसे चलेगा। इसी तरह अमित ने कहा कि मेडिकल बनवाने की व्यवस्था काफी जटिल है। सभी ओपीडी में हस्ताक्षर कराने के बाद भी मेडिकल नहीं दिया जाता है।
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दलाल भी रहते सक्रिय
मंडलीय चिकित्सालय कबीरचौरा में दलालों की सक्रियता अधिक है। 100-100 रुपये लेकर सर्टिफिकेट बनवाने के लिए दौड़ते रहते हैं। बाद में मेडिकल बनवाने आने वाले छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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वर्जन
मामला संज्ञान में आया है। इसकी जांच कराई जा रही है। अभी तक ईएनटी विभाग में किसी जूनियर के हस्ताक्षर करने की जानकारी हो पाई है।
-डॉ। एसपी ङ्क्षसह, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, मंडलीय चिकित्सालय