वाराणसी (ब्यूरो)। कभी न कभी आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा कि आप अपने किसी परिवार के सदस्य से कुछ लेने की बात कर रहे हों और अचानक से आपको वही प्रोडक्ट सोशल मीडिया पर खरीदने के लिए दिखने लगेक्या आपने सोचा है ऐसा क्यों होता है? आज अगर आप फोन यूज करते हैं तो आपकी कोई भी जानकारी निजी नहीं हैआपके बारे में सारी जानकारी सोशल मीडिया को है, तभी आजकल लोग ज्योतिषाचार्य बनकर भी लोगों को पागल बना रहे हैंरील चलाते समय एक ज्योतिषाचार्य की रील आपके पास आती है और वह आपका नाम लेकर आपके बारे में कुछ बताते हैं और उनका एप डाउनलोड करने के लिए कहते हैंलोगों को भी लगता है कि ये तो सही जानकारी दे रहा है और एप डाउनलोड करके पेमेंट कर देते हैंसारा खेल डाटा शेयर करने से होता है जो हम सोशल मीडिया पर खुद ही शेयर करते हैं

निजी डाटा हो रहा शेयर

साइबर एक्सपर्ट मृत्युंजय सिंह ने बताया कि आपकी तमाम जानकारियां या कहें निजी डाटा पहले से ही इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिये लोगों के बीच में मौजूद हैंइन्हीं जानकारियों से हैकर आम लोगों को अपना शिकार बनाते हैंऐसे में जरूरत है कि आप इन वेबसाइट पर अपनी निजी जानकारियां सुरक्षित रखें ताकि ऐसे लोगों का शिकार होने से बचा जा सकेतमाम लोग फेसबुक, ट्विटर या लिंक्डइन जैसी सोशल साइट पर अपने मोबाइल नंबर, -मेल और जन्मतिथि लिख देते हैंइनके जरिए आसानी से हैकर लोगों को निशाना बना सकते हैंसमय समय पर सोशल मीडिया पर लोकेशन अपडेट करते रहने या ऑटो अपडेट इस्तेमाल से लोग आपकी लोकेशन ट्रैक कर सकते हैंइसके आधार पर जब कभी भी आप सपरिवार घर से बाहर होंगे या ऐसी कोई तस्वीर सोशल मीडिया पर अपलोड की जिसके अपके घर में किसी के न होने का आभास होगा तो उसे देखकर आपके सोशल मीडिया प्रोफाइल से कोई संदिग्ध व्यक्ति आपकी जानकारी पाकर आपके घर चोरी भी कर सकता है

बनारस में भी गायब हुए पैसे

अभी हाल में एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया की वेबसाइट में कपड़ों का एड देख कर कपड़े ऑडर कर दिया, जिसकी पेमेंट भी उसने कर दीवेबसाइट ने लॉगिन के लिए आधार नंबर मांगा और फिर ओटीपी सबमिट करने को कहा गयाजैसे ही ओटीपी एंटर किया गया, अकाउंट से 3 लाख रुपये गायब हो गएइसके बाद उस व्यक्ति ने साइबर सेल में रिपोर्ट दर्ज कराई

कहां-कहां हैं आपकी निजी जानकारियां

-सोशल साइट पर प्रोफाइल बनाते वक्त हम कई निजी बातें लिखते हैंसाइबर चोरों का गिरोह इन जानकारियों का बकायदा डाटाबेस बनाते हैं और लोगों को अपना शिकार कर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं

-लोकेशन, चेक-इन अपडेट के जरिए कोई भी व्यक्ति हम कहां है, इस पर निगरानी रख सकता हैमौका पाते ही नुकसान पहुंचाया जा सकता है

-कई इम्तिहानों के नतीजों के आंकड़े वेबसाइट पर मौजूद होते हैं, जिनमें आपका मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी मौजूद होता है

-भारी छूट के ऑफर के नाम पर कई वेबसाइट, एप्लीकेशन हमारी निजी जानकारियां मांगती हैं

-नौकरी देने के नाम पर लोग मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी मांगते हैंऐसी जानकारियां मांगने वाले लोगों का गिरोह होता है, जो चीजें इक_ा कर बेचते हैं

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ऐसे बचें साइबर धोखाधड़ी से

-सोशल मीडिया प्रोफाइल पर जन्म तिथि में केवल महीना और तिथि लिखेंजन्म का साल प्राइवेसी सेटिंग से छुपा कर रखें

-किसी के भी फोन या मैसेज करने पर बैंकिंग मामलों से जुड़ी जानकारियां न बांटें

-अनजाने कॉल पर अकाउंट नंबर या मोबाइल पर आया ओटीपी कतई न बताएं

-ऐसे अनजान ईमेल पर ध्यान न दें जो नौकरी देने के बहाने आपकी निजी जानकारियां मांग रहे हों या फिर पैसा ट्रांसफर करने के नाम पर अकाउंट नंबर मांग रहे हों

-अनजान लोगों को सोशल मीडिया पर दोस्त न बनाएंआपका दोस्त बनकर संदिग्ध लोग आपकी मूवमेंट ट्रैक कर आपको ठगी का शिकार बना सकते हैं

-बैंकिंग सुविधाओं में इस्तेमाल ईमेल और मोबाइल नंबर का सार्वजनिक इस्तेमाल न करें तो बेहतर

सोशल मीडिया पर अपनी कोई भी निजी जानकारी शेयर न करेंजो भी एप डाउनलोड करें, उसे कोई परमिशन न देंवरना आपके अकाउंट से भी पैसा गायब हो सकता है

मृत्युंजय सिंह, साइबर एक्सपर्ट

अपनी निजी जानकारी यानी आधार नंबर, जन्म तिथि किसी भी सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर दर्ज न करेंइससे आप भी साइबर क्राइम के शिकार हो सकते हैं

टी सरवन, एडीसीपी, साइबर क्राइम