वाराणसी (ब्यूरो)। दुनिया को संदेश देने वाली काशी में भी महिलाओं की दास्तां कुछ अलग ही बयां कर रही हैं। पढ़ी-लिखी लड़कियां हर पल हर दिन पुरुष रूपी मानवता के दुश्मन से लड़ रही हैं। यह हम नहीं महिला की सुरक्षा के लिए बनाई गई सेल व वन स्टॉप सेंटर में आने वाले वाले मामले खुद ब खुद बयां कर दे रहे हैं। जनवरी से अगस्त तक 328 महिलाओं ने वन स्टॉप सेंटर में अपना लिखित दर्द बयां किया है। 308 मामलों का निस्तारण करा दिया गया। बाकी न्यायालय में चला गया है। इसके अलावा छेड़खानी, दहेत उत्पीडऩ के मामले अलग है। गुरुवार को एडीसीपी महिला अपराध के दफ्तर कई युवतियां न्याय के लिए पहुंची थीं। इन्हीं में तीन पीडि़ता ने अपने दर्द दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से साझा किया। आइए आप भी जानिए नये बनारस में युवतियों को किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है।
1. पति आए दिन पीटते हैं
चौक थाना एरिया की रहने वाली 23 वर्षीय महिला ने बताया, मेरी शादी को एक साल हो गया है। मेरे पति आए दिन मुझे मारते-पीटते हैं। मेरे ऊपर गलत आरोप लगाकर घर से बाहर निकल दिया है। मैं अपने मायके आ गई हूं। ससुराल जाने के लिए भी तैयार हूं, लेकिन मेरे पति मुझे ले जाने को तैयार नहीं हैं। मैं गर्भवती हूं। ऐसे में अकेले रहकर गुजारा नहीं कर पाऊंगी। मीडिएशन के लिए मुझे और मेरे पति को बुलाया गया, लेकिन इन्होंने कहा कि मैं केस लड़ूंगा, लेकिन तुम्हे घर ले जाने को तैयार नहीं हूं। वह मुझसे तलाक चाहते हैं।
2. अधिक उम्र के लड़के से करा दी शादी
सामनेघाट की 25 वर्षीय युवती की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। माता-पिता ने करीब 12 साल अधिक उम्र के लड़के से शादी कर दी। शादी के बाद से ही हम दोनों की सोच मेल नहीं खा रही है। मैं लड़के के साथ नहीं रहना चाहती हूं, लेकिन ससुराल वालों ने जबरदस्ती दबाव बनाकर मुझे रोक रखा था। मौका पाकर मैं घर से निकल गई और बिना किसी को बताए दिल्ली चली आई। अपनी सहेली की मदद से जॉब ढूंढ लिया और अकेले अपनी जिंदगी जीने लगी। मेरे मायके वाले मुझे लगातार फोन कर वापस आने का दबाव बना रहे हैं। पति के आवेदन पत्र पर मुझे मीडिएशन के लिए बुलाया गया है, लेकिन अब मैं अकेले ही रहना चाहती हूं और पति से तलाक चाहती हूं, लेकिन वह देना नहीं चाहता है।
3. ड्रिंक का विरोध किया तो यह हाल कर दिया
लक्सा थाना की रहने वाली 26 वर्षीय युवती ने एमबीए किया है। दो साल पहले उसकी शादी सॉफ्टवेयर इंजीनियर से हुई थी। दोनों बेंगलुरू में रहते थे। पति अक्सर रात में घर आते थे और ड्रिंक भी करते थे। विरोध करने पर वह नशे की हालत में काफी बेरहमी से मुझे मारते-पीटते थे। मैं मां बनने वाली हूं। यह जानते हुए भी वह मुझे घर में अकेले छोड़ देते हैं। फोन करने पर अक्सर गालियां देते हैं। बार-बार धमकी भी देते हैं कि ज्यादा बोलोगी तो मारके फेंक दूंगा। इन चीजों से परेशान होकरमैं पुलिस प्रशासन के पास आई हूं। मुझे उम्मीद है कि मेरी बात सुनी जाएगी और मुझे न्याय मिलेगा।
सोशल मीडिया भी वजह
पति-पत्नी का रिश्ता काफी नाजुक होता है। ऐसे में पुलिस पहले कार्रवाई की जगह इन्हें पूरी तरह से जोडऩे का प्रयास करती है। कोर्ट में मामले जाने से पहले परिवार परामर्श केंद्र में दोनों पक्षों की बात को सुना जाता है। बताया गया कि अधिकांश मामलों के पीछे मोबाइल पर बात करना, मायके पक्ष का दखल या तीसरे किसी का दखल देना मुख्य कारण है। इसमें तो कई मामलों में सोशल मीडिया पर ज्यादा समय देना के साथ रील बनाने की वजह भी रिश्ते में खटास का कारण बन रहे हैं।
महिला अपराध पर तभी अंकुश लगेगा, जब पुरुष की मानसिकता में बदलाव आएगा। पुलिस का डर कुछ दिन के लिए होता है। मीडिएशन के दौरान दोनों पक्षों का सुना जाता है। जो भी संभव होता है। महिला की मदद की जाती है।
- ममता रानी, एडीसीपी महिला अपराध
महिला तलाक और घरेलू हिंसा के केस बढऩे की वज़ह कहीं ना कहीं मोबाइल की व्यस्तता, रिश्तों को वक्त ना देना, काम और रिश्ते में रिश्ते को अहमियत न देना बड़ी वजह हैं।
रश्मि दुबे, वन स्टॉप सेंटर मैनेजर
फैक्ट एंड फीगर
328 केस पति-पत्नी से जुड़े वन स्टॉप सेंटर में आए
308 मामलों का निस्तारण करा दिया गया।