सीन 1

वाराणसी (ब्यूरो)। दालमंडी में एक दो नहीं बल्कि कई दुकानें ऐसी हैं, जो बेसमेंट में चल रही हैंइनमें शूज, साज-सज्जा, प्लास्टिक के खिलौनों से लेकर मेहंदी आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकानें हैंइन दुकानदारों की सेफ्टी के लिए कहीं भी फायर सेफ्टी का इंतजाम नहीं हैबेसमेंट में जाने के लिए एक सीढ़ी बनाई गई हैइसी सीढ़ी से एंट्री और निकासी दोनोंं हैअगर कोई घटना हो जाए तो कई लोग हादसे का शिकार हो सकते हैं

सीन 2

पूर्वांचल की थोक दवा मंडी सप्तसागर में तारों का जंजाल फैला हैयहां एक महीने में एक दो नहीं बल्कि चार घटनाएं आगजनी की हो चुकी हैंतारों के आपस में टकराने से चिंगारी से कई बार आग लगा चुकी हैइसके बाद भी आज तक तारों के जंजाल को हटाया नहीं गयायहां भी आधे मंडी में अधिक दुकानें बेसमेंट में चल रही हैंफायर सेफ्टी के इंतजाम गायब हैंनिकासी के लिए भी एक एंट्री प्वाइंट है

सीन 3

गौदोलिया से सोनारपुरा की ओर आगे बढ़ेंगे तो जितने भी होटल और लॉज बने हैंसभी के बेसमेंट में रेस्टोरेंट और कैफे हाउस चल रहे हैंइन रेस्टोरेंट और भोजनालय में प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्री आते हैं, लेकिन इनकी बेसमेंट में जाने के लिए एक ही सीढ़ी हैइसी सीढ़ी से यात्री जाते हैंनिकासी के लिए कोई द्वार नहीं हैसबसे बड़ी बात यह है कि बेसमेंट में कहीं भी फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं दिखे

यह तीन सीन बताने के लिए काफी हैं कि वाराणसी का भी हाल दिल्ली के राजेंद्र नगर एरिया जैसा हैदिल्ली के राजेंद्र नगर एरिया में कोचिंग सेंटर की बिल्डिंग के बेसमेंट में हुए दर्दनाक हादसे जैसी तस्वीर वाराणसी में कभी भी सामने आ सकती हैवाराणसी में 40 परसेंट कॉमर्शियल बिल्डिंग ऐसी हैं, जिसके बेसमेंट में हर तरह का कारोबार होता हैदवा मंडी, दालमंडी कोचिंग संस्थाएं, रेस्टोरेंट, पैथोलॉजी, मोबाइल की शॉप, इलेक्ट्रानिक गुडस की शॉप्स, कैफे हाउस, बीयर शॉप, होटल आदि शामिल हैंदालमंडी, हड़हा सराय, पीलीकोठी, मदनपुरा, दुर्गाकुड, अर्दली बाजर, शिवपुर, विशेश्वरगंज समेत शहर के कई मॉल्स और होटल्स में जाकर देखेंगे तो हाल और बुरे मिलेंगे। 20 फीट नीचे बने बेसमेंट में केबिल और इलेक्ट्रानिक तारों का जंजाल फैला हुआ हैअगर कोई हादसा हो जाए तो बचकर निकलना मुश्किल हैहैरान करने वाली बात है कि दिल्ली में घटना होने के बाद भी यहां के विभागीय अधिकारी सीरियस नहीं हैं

दालमंडी में रातों रात बन गया था बेसमेंट

2018 में दालमंडी में रातोंरात 20 फीट में बेसमेंट बना गया थामिनी बाजार बसाने की नीयत से बेसमेंट बनाया गया थाअधिकारियों को जब इसकी भनक लगी तो होश ही उड़ गएबाद में बेसमेंट को वीडीए के अफसरों ने सील कर दियापूरे इलाके में बेसमेंट के नाम पर पूरा बाजार बसा दिया गया थाआज भी दालमंडी में एक दूसरे से बेसमेंट ऐसे जुड़े हैं, मानो कोई सुरंग होआज भी दालमंडी और हड़हा सराय में अरबों का कारोबार बेसमेंट में ही चलता है

नामचीन कोचिंग सेंटर बेसमेंट में

ताज्जुब करने वाली बात नहीं हैदिल्ली की तर्ज पर वाराणसी में कई कोचिंग संस्थाएं ऐसी हैं, जो बेसमेंट में ही संचालित हो रही हैएक दो स्टूडेंटस नहीं बल्कि 20 से 30 स्टूडेंटस एक साथ बैठकर पढ़ाई करते हैंइनमें दुर्गाकुंड, सामनेघाट, लंका, सुंदरपुर, अर्दली बाजार और शिवपुर शामिल हैदुर्गाकुंड तो कोचिंग संस्थाओं का हब है

सेफ्टी के इंतजाम नहीं

सोनारपुरा में जितने भी होटल और लॉज हैंकहीं भी सेफ्टी के इंतजाम नहीं हैंबेसमेंट रेस्टोरेंट, साड़ी की दुकान के अलावा आर्टिफिशियल ज्वेलरी और बर्तन की दुकान धड़ल्ले से चल रही हैंदुर्गाकुंड क्षेत्र में जितने भी नामी कोचिंग संचालक हैंकिसी के यहां भी सेफ्टी के इंतजाम नहीं हैंन तो फायर एस्टिंग्विशर हैं और न ही पार्किंग की व्यवस्थास्टूडेंटस जहां-जहां साइकिल और स्कूटी की पार्किंग कर क्लास में चले जाते हैंगुरुधाम स्थित मॉल में रेस्टोरेंट भी संचालित होता है

आज तक नहीं जांच

सबसे बड़ी बात है कि शहर में मॉल, रेस्तरा हो या फिर होटल या फिर कटरा बनाते समय वीडीए यह जांच नहीं करता है कि बेसमेंट बना रहे हैं तो सेफ्टी का इंतजाम किया गया है या नहींअगर वीडीए सख्ती से अभियान चलाकर जांच कर दें तो कई कोचिंग सेंटरों के अलावा मॉल संचालकों की पोल खुल जाए

इमरजेंसी निकासी के द्वार नहीं

90 परसेंट कोचिंग संस्थाओं के यहां इमरजेंसी निकासी के द्वार नहीं हैंकई मॉल और होटल्स में बेसमेंट हैंवहां पर भी एक ही एंट्री प्वाइंट हैअगर कोई हादसा हो जाए तो निकासी के लिए कोई दूसरा द्वार नहीं है

10 हजार बेसमेंट

वाराणसी विकास प्राधिकरण ने पिछले दिनों अभियान चलाकर शहर में बने कॉमर्शियल प्रतिष्ठान, मॉल, होटल्स, लॉज, कोचिंग संस्थाएं और हास्पिटलों की जांच की थी तो 10 हजार संस्थाओं में छोटे बड़े बेसमेंट मिले थेइनमें दालमंडी शामिल नहीं थावहीं, अग्निशमन विभाग के सीएफओ आनंद सिंह राजपूत का कहना है कि किसी भी कोचिंग संचालक के पास एनओसी नहीं हैबेसमेंट में चल रही दुकानों के पास फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं हैंन ही दुकानदारों ने एनओसी के लिए डिमांड की

इस तरह की लापरवाही

- कोचिंग संचालकों के पास एनओसी नहीं

- बेसमेंट में चल रहे पैथालॉजी के पास एनओसी नहीं

- दालमंडी के बेसमेंट में चल रहे दुकानों में से आवाजाही के लिए एक ही निकास

- लंका और दुर्गाकुंड के बेसमेंट में चल रहे कमरों में भी एक ही निकास द्वार

- जगह-जगह लटके है बिजली और केबल के तार

- आग से बचाव के लिए फायर फाइटिंग के इक्विपमेंट नहीं

सिटी में नालों का जाल

बड़े नाले - 60

मझोले नाले - 301

नालियां- 800

टोटल नाले- 800

कोचिंग संस्थाओं के अलावा जो भी संस्थाएं अपनी दुकानें बेसमेंट में चला रही हैंउनके खिलाफ अभियान चलाया जा रहा हैडिपार्टमेंट के अधिकारी जाकर उनको सुझाव दे रहे हैं

आनंद सिंह राजपूत, सीएफओ

शहर में 10 हजार से अधिक बेसमेंट हंैआगे अभियान चलाकर कितने के पास नक्शा हैंकितने के पास नही हैइसकी जांच की जाएगी

पुलकित गर्ग, उपाध्यक्ष, वीडीए

1. दालमंडी पूर्वांचल की सबसे बड़ी मंडी हैयहां आर्टिफिशियल ज्वेलरी से लेकर सभी तरह के आइटम मिलते हैं

2. सप्तसागर दवा मंडी पूर्वांचल के एकामात्र दवा मंडी हैयहां बेसमेंट में कारोबार होता हैथोक में दवाओं की सप्लाई होती है

3. सोनारपुरा एरिया होटला और लॉज का हब बन गया हैसोनारपुरा से लेकर अस्सी घाट तक कई होटल और लॉज है

  1. दुर्गाकुंड कबीर नगर एरिया में कई कोचिंग संस्थान हैं, जहां बच्चों की पढ़ाई बेसमेंट में होती है