वाराणसी (ब्यूरो)। काशी ङ्क्षहदू विश्वविद्यालय में नौ साल पहले स्थापित महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र (महामना मालवीय अनुसंधान केंद्र फार गंगा रिवर डेवलपमेंट एंड वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट) को बंद कर दिया गया हैकुलपति प्रोसुधीर कुमार जैन ने इस निर्णय को अनुमोदित किया हैऐसे में गंगा पर हो रहे शोध की परियोजनाओं पर पूर्ण विराम लग गया हैएक साल से लटके प्रोजेक्टों को स्वीकृति नहीं मिल सकेगी

21 अप्रैल 2015 को बीएचयू की एक्सक्यूटिव काउंसिल से केंद्र खोलने की स्वीकृति मिली थीमकसद था गंगा और सामाजिक प्रभाव पर विस्तृत अध्ययन हो सकेकेंद्र की तरफ से 700 ईको स्किल्ड गंगा मित्र तैयार किए गएप्रयागराज से बलिया तक जल संरक्षण के लिए वृहद कार्य हुआ। 30 हजार से अधिक नए सदस्य नियुक्त किए गए हैंयही सदस्य ही गंगा की स्वच्छता के लिए अहम भूमिका अदा कर रहे हैंशनिवार को सहायक रजिस्ट्रार डाराजेश कुमार की तरफ से पत्र जारी हुआ है, इसमें कहा गया है कि गंगा शोध केंद्र 12वीं योजना अवधि के दौरान पर्यावरण और सतत विकास संस्थान के पुराने भवन में चल रहा है, अब इसे बंद माना जाएयह कुलपति के अनुमोदन से हुआ हैकेंद्र के समन्वयक प्रोबीडी त्रिपाठी ने बताया कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बनारस में सभा के दौरान बोला था कि काशी में उन्हें मां गंगा ने बुलाया है

इस बयान के बाद ही केंद्र खोलने की दिशा में कार्य शुरू हुए थेविश्वविद्यालय अनुदान आयोग की तरफ से भी केंद्र को अलग पहचान मिली हैएनएमसीजी के सहयोग से इस केंद्र को खोला गया थाकेंद्र को बंद करने का कारण क्या रहा? इस संबंध में विवि के कुलसचिव प्रोअरुण कुमार ङ्क्षसह, पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान के निदेशक प्रोएएस रघुवंशी और पीआरओ राजेश कुमार ङ्क्षसह से बात करने का प्रयास हुआ लेकिन उन्होंने फोन पर कोई जवाब नहीं दिया