वाराणसी (ब्यूरो)। गंगा में पानी बढऩे से अर्थी सजाने वाली लकड़ी भी महंगी हो गई हैबारिश के साथ ही गंगा के बढ़ते जलस्तर से नावों का संचालन प्रभावित होना इसकी बड़ी वजह माना जा रहा हैइस कारण अन्य जिलों से पर्याप्त मात्रा में लकडिय़ां नहीं आ पा रही हैंइसका असर चिता जलाने वाली लकडिय़ों पर पड़ रहा है। 15 दिन पहले सूखी लकडिय़ों का भाव 500 रुपए प्रति क्विंटल था, जो बढ़कर 800 रुपए हो गया हैलकडिय़ों के महंगा होने से अंतिम संस्कार भी महंगा हो गया हैजहां घाट पर पानी भरने के कारण छतों पर चिता जलाई जा रही हैवहीं, लोगों को डेडबॉडी के अंतिम संस्कार के लिए दो घंटे तक का इंतजार करना पड़ रहा है

लकडिय़ों के दाम में उछाल

मणिकर्णिका घाट पर पूरे पूर्वांचल से अंतिम संस्कार के लिए पार्थिव देह आती हैंपिछले 15 दिनों से गंगा के बढ़ते जलस्तर से घाट की सीढिय़ां डूब चुकी हैंडेडबॉडी का अंतिम संस्कार घाट पर बनी छत पर किया जा रहा हैसामान्य दिनों की अपेक्षा 15 से 20 परसेंट अधिक दाम लकडिय़ों का देना पड़ रहा है

अंतिम संस्कार को 2 घंटे इंतजार

बाढ़ का पानी बढऩे की वजह से अंतिम संस्कार करने के लिए दो घंटे बाद नंबर आ रहा हैजहां घाट पर एक साथ 25 से 30 डेडबॉडी का अंतिम संस्कार होता थावहीं, अब छत पर 10 डेडबॉडी का अंतिम संस्कार हो रहा हैइसके चलते डेडबॉडी को गलियों में रखकर लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है

बाढ़ का दिया हवाला

घाट किनारे जितनी भी लकड़ी की दुकानें हैं, उनके रेट एक समानरेट नहीं हैइसके चलते दूरदराज से आईं डेडबॉडी का अंतिम संस्कार करने वाले लोग ठगे जाते हैंकिसी दुकान पर 500 रुपए क्विंटल तो कहीं 600 तो कहीं 700 रुपए के हिसाब से लकड़ी मिलती हैमणिकर्णिका घाट पर 7 लकड़ी की दुकानें हैं

तीन प्रकार की लकड़ी

अंतिम संस्कार करने में भी आम पब्लिक को गुमराह किया जाता हैचिता सजाने के लिए जो लकडिय़ां दी जाती हैं, वह तीन प्रकार की होती हंैइनमें तय करना पड़ता है कि आप कौन सी लकड़ी से डेडबॉडी की अर्थी सजाएंगेसूखी लकड़ी 850 रुपए में देते हंैवहीं, सूखी कच्ची लकड़ी 750 रुपए तो कच्ची लकड़ी 500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से देते हैंट्रॉली भाड़ा 20 रुपए प्रति क्विंटल अलग से जोड़ा जाता है

7 से 9 मन लकड़ी

लकड़ी दुकानदारों की मानें तो एक शव के अंतिम संस्कार करने में सात से नौ मन लकड़ी की जरूरत होती हैबाढ़ के चलते जितनी लकड़ी की जरूरत हैवह मिर्जापुर और सोनभद्र के जंगलों से नहीं आ पा रही हैजो लकडिय़ां हैंवह भी भीग गई हैंइसके चलते दाम में इजाफा हुआ हैमांग के अनुरूप खपत बढ़ गई है

नगर निगम ने नहीं लगाया रेट बोर्ड

नगर निगम की ओर से रेट लिस्ट न लगाए जाने से और भी दिक्कतें हो रही हैंश्मशान घाट पर आने वाला अंतिम संस्कार के लिए बहुत मोल भाव की हालत में नहीं रहताऐसे में अंतिम संस्कार के लिए वस्तुओं की जो कीमतें मांगी जाती हैं, उसे लोग भुगतान करने के लिए मजबूर हो जाते हैंरेट बोर्ड लगा होता तो कोई भी लकड़ी के दाम को लेकर गुमराह नहीं होता

अंतिम संस्कार की जगह बदली

गंगा का जलस्तर थोड़ा घटने की वजह से डेडबॉडी का अंतिम संस्कार घाट किनारे की जगह छत पर किया जा रहा हैगलियों में अभी अंतिम संस्कार नहीं हो रहा हैलकड़ी दुकानदारों का कहना है कि बाढ़ का पानी बढऩे पर जब छत भी डूब जाती है तब गलियों में अंतिम संस्कार किया जाता है

यह है स्थिति

लकड़ी-पहले-अब

सूखी लकड़ी-700-850

सूखी कच्ची लकड़ी-650-750

कच्ची लकड़ी-440-500

रेट: प्रति क्विंटल की दर से

बाढ़ के चलते सोनभद्र के जंगलों से लकडिय़ां कम आ रही हैंइसके चलते लकडिय़ों का दाम बढ़ा है

अरुण सिंह, लकड़ी विक्रेता

बारिश के चलते काफी लकडिय़ां भीग गई हैंघाट पर पानी आ जाने के कारण दुकानों के अंदर लकडिय़ां भी भीग गई है

हरि,ं दुकान विक्रेता

जल्द ही मणिकर्णिका घाट पर रेट बोर्ड लगाया जाएगाइसके लिए जोन के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है

अक्षत वर्मा, नगर आयुक्त