वाराणसी (ब्यूरो)।एक साल बाद मां अन्नपूर्णा का स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन 29 से आरंभ होगा, जोकि 1 नवंबर तक जारी रहेगा। चार दिनों तक दर्शन देने के बाद मां का पट एक साल के लिए बंद हो जाएगा। धनतेरस पर धन्य धान पूरित होने के लिए मां का दर्शन करने के लिए देश ही नहीं विदेश से भी भक्त आते हैं और घंटों लाइन खड़े होकर दर्शन करते हैं। मां का अन्नकूट का प्रसाद भी ग्रहण करते हैं। मां अन्नपूर्णेश्वरी के दरबार में मां का स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन करने के लाखों भक्तों की होने वाली भीड़ को देखते हुए अलग से लकड़ी के सीढ़ी का निर्माण शुरू हो गया है। इसी सीढ़ी पर चढ़कर सभी भक्त मां अन्नपूर्णेश्वरी के स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन करने के लिए जाते हैं।
29 से 1 नवंबर तक मां देंगी दर्शन
अन्न्पूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी ने बताया कि धरतेरस 29 अक्टूबर को है। इस दिन मां के स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन भक्त कर सकेंगे। साथ ही चार दिनों के लिए मां के मंदिर का पट खोल दिया जाएगा। 1 नवंबर की शाम तक मां सभी भक्तों को दर्शन देंगी।
महादेव ने मां अन्नपूर्णा से मांगी थी भिक्षा
महंत शंकरपुरी ने बताया कि भगवान शंकर ने जब काशी को बसाया तो उनके साथ देव लोक के सभी देवी देवता काशी आ गए थे। एक बार बहुत अकाल पड़ा और लोगों में त्राहि त्राहि मच गई। अन्न की कमी उत्पन्न हो गई। तब महादेव मां अन्नपूर्णा से भिक्षा लेने पहुंच गए। तब मां ने महादेव को आशीर्वाद दिया कि काशी में कोई कभी भूखा नहीं सोएगा। तब से मां अन्नपूर्णा का दर्शन-पूजन की परंपरा शुरू हुई थी।
नहीं होती अन्न-धन की कमी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त धनतेरस के दिन माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन करता है और उनसे खजाना प्राप्त कर उसे अपनी तिजोरी या धन स्थान में रखता है, तो देवी अन्नपूर्णा उनके घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होने देती हैं। यही वजह है कि मां का आशीर्वाद लेने के धनतेरस के एक दिन पहले से ही लंबी कतार भक्तों की लग जाती है। दीपावली बाद तक लाइन लगी रहती है। भक्तों की सुरक्षा की दृष्टि से बैरिकेडिंग का निर्माण होने लगा है।