वाराणसी (ब्यूरो)। भादो की अंधेरी रात, ठीक 12 बजे उल्लास का मकरंद महका और उत्सव से मठ-मंदिर व घर-आगंन चहका। किसी के बांकेबिहारी तो किसी के कृष्णमुरारी, किसी के संगी-साथी तो किसी के सारथी के प्रकट होने पर शैव और वैष्णव भक्तों का भक्ति से पावस हुआ। शंखनाद व घंट-घडिय़ाल की ध्वनि में मंत्रों संग बधाई व सोहर गीत फूट पड़ा। नन्हे कान्हा की बलइयां उतारी और मुकुट श्रृंगार कर रूप संवारी। लड्डू गोपाल को झूले में झुलाया और माखन-मिश्री का भोग लगाया। हैप्पी बर्थडे से पूरा परिसर गूंजा। जन्म की पावन महाबेला में इंद्र देव भी बरखा की बूंदों के रूप में साक्षी बनकर धन्य हुए।
अन्नपूर्णा मंदिर में जय-जयकार
मां अन्नपूर्णेश्वरी के दरबार में पंरपरानुसार मध्यरात्रि में खीरे से भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य हुआ। देवी दरबार में देवकीनंदन के नाम के जय-जयकार से गूंज उठा। प्रात:काल नटवरनागर के विग्रह को पंचामृत स्नान कराया गया। श्रृंगार के बाद भक्तों के लिए झांकी दर्शन आरंभ किया गया। सायंकाल पुन: श्रृंगार के बाद भगवान के लड्डू गोपाल स्वरूप के दर्शन मिले। मध्यरात्रि में लग्नानुसार महंत शंकरपुरी महाराज ने खीरे से भगवान के जन्म की प्रक्रिया सविधि पूर्ण की। हरि के रूप में हर का श्रृंगार टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर हर्र को हरि का स्वरूप दिया गया। उनकी जटाजूट पर चंद्रमा के साथ ही मोरपंखी भी सजाई गई। हाथ में डमरू युक्त त्रिशूल के स्थान पर बांसुरी नजर आई। श्रीकृष्ण स्वरूप महादेव को प्राचीन झूले पर विराजित कर आराधना की गई। परिवार की महिलाओं ने पांच मंगल गीत गाए। इसके बाद पं। वाचस्पति तिवारी ने झूले पर विराजमान महादेव की आरती उतारी। अक्षयवट हनुमान मंदिर में जन्माष्टमी अक्षयवट हनुमान के श्रीविग्रह के सान्निध्य में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। भोर में भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत स्नान कराने के बाद उनका दिव्य श्रृंगार हुआ। मध्यरात्रि में विधि-विधान से जन्म हुआ। भगवान को नवीन वस्त्र धारण कराए गए। सुंगंधित पुष्पों की मालाओं से आकर्षक श्रृंगार किया गया। फल, मिष्ठान, फलाहार भोग लगाया गया।
श्याम प्रभु को मक्खन का भोग
लक्सा स्थित श्रीश्याम मंदिर लक्सा श्री श्याम मंडल की ओर से नटवर नागर का जन्म उत्सव मनाया गया। रात में नटवर नागर को पंचामित्र से स्नान कराया गया। नए वस्त्र धारण कराए गए। मक्खन और मिश्री की साथ ही धनिया की पंजीरी, चिनिया बदाम की बर्फी, गरी व रामदाना की बर्फी का भोग लगाया गया। अंत में प्रभु की आरती उतारी।
त्रिदेव मंदिर में झांकी
लंका-दुर्गाकुंड मार्ग स्थित त्रिदेव मंदिर में मंदिर सेवक परिवार की ओर से लीलाधर का जन्मोत्सव मनाया गया। लीलाधर की रंग-बिरंगे फूलों से अलौकिक झांकी सजाई गई। साथ ही तीनों विग्रह राणी सती, सालासर हनुमान जी एवं खाटू श्याम जी का भी श्रृंगार हुआ। रात में लीलाधर को पंचामृत से स्नान कराया गया। नए वस्त्र धारण कराए गए। मक्खन और मिश्री के साथ ही धनिया की पंजीरी समेत अनेक मिठाइयों का भोग लगाया और मलाई का केक काटकर प्रभु का जन्म उत्सव मनाया। रात्रि में तीनों विग्रहों की आरती उतारी।
राम दरबार में कृष्ण संग राधा
दशाश्वमेध स्थित प्राचीन श्रीरामजानकी मंदिर में राधा के रसिया अपनी प्रिया के साथ फूलों के झूले पर विराजे। युगलछवि के झूले पर लगी मोरपंखियों की ओट से सियाराम के दर्शन भी भक्तों को होते रहे। यह उत्सव गंगा सेवा निधि की ओर से किया गया।
मणि मंदिर में भव्य श्रृंगार
श्री धर्मसंघ शिक्षा मंडल दुर्गाकुंड में दो दिवसीय कृष्ण जन्मोत्सव का शुभारम्भ सोमवार को सायंकाल दीप प्रज्जवलन से हुआ। भगवान को 51 कुंतल मेवा युक्त हलवा सहित 101 प्रकार के व्यंजन भगवान को भोग स्वरूप अर्पित किया गया। धर्मसंघ पीठाधीश्वर शंकर देव चैतन्य ब्रह्मचारी के सानिध्य में पं। जगजीतन पांडेय ने आरती उतारी।
स्वामी नारायण मंदिर जन्मोत्सव
मच्छोदरी स्थिति स्वामी नारायण मंदिर में लडडू गोपाल को चांदी के झूले पर झुलाया गया। इसके बाद छप्पन प्रकार के व्यंजनों को भोग लगाया गया। मंदिर के स्वामी पे्रम नारायण स्वरूप के नेतृत्व में भक्तों में प्रसाद वितरित किया गया। प्रभु के दर्शन को भक्तों की भारी भीड़ रही।
पंचामृत से प्रभु का स्नान
हरे कृष्ण हरे राम संकीर्तन सोसाइटी में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूम धाम से मनाया गया। प्रेरणा स्त्रोत श्रील प्रभुपाद की वंदना की गई। साथ ही नृसिंह वंदना, तुलसी पूजा हुई। हरे कृष्ण महामंत्र से पूरा परिसर गूंज उठा। इसके बाद तुलसी महारानी की आरती गायन मातृशक्ति प्रभारी प्रियंवदा प्रियंका देवी माताजी आरती, अर्चन कृष्णमयी माता जी। सीमा सुमध्या माता जी। राजेश्वरी राजरानी माताजी द्वारा की गयी। भगवान श्रीविग्रह श्री राधागोविन्द एवं श्री जगन्नाथ, बलदेवजी व सुभद्रा महारानी देवी के श्रीविग्रहों का मनोहारी श्रृंगार किया गया। हरे कृष्ण महामंत्र संकीर्तन में भक्तगण झूमते-नाचते रहे.कार्यक्रम संचालक मुकेश प्रभु ने कहा कि आपसी प्रेम, सौहार्द्र एवं आपसी भाई-चारा का समन्वय बना रहे ताकि मातृशक्ति के प्रति सम्मान, प्रकृति के प्रति सम्मान भाव बना रहे।
इस्कॉन में जन्माष्टमी
अंतर्राष्ट्रीय श्रीकृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महामहोत्सव के दूसरे दिन आज प्रात: से ही विविध कार्यक्रम आयोजित किया गया। मंदिर प्रबंधन के अध्यक्ष अच्युत मोहन दास व सुदामा दास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य दुष्टों का संहार व सज्जनों की रक्षा तथा सनातन धर्म की स्थापना के लिए हुआ। रात्रि में 9 बजे श्रीकृष्ण प्रकाट्योत्सव में 51 रजत कलशों द्वारा 51 प्रकार की दूध दही घी शर्करा व औषधीय द्रव्यों द्वारा महाअभिषेक, 108 प्रकार के व्यंजनों का महाभोग व महाआरती कान्हा का किया गया। अच्युत मोहन दास, साक्षी मुरारी दास रसिक, गोविंद दास मुरारी, गुप्त दास, रामकेशव दास, धवल कृष्ण दास मौजूद थे।