वाराणसी (ब्यूरो)। हिये में पुण्य बटोरने की ललक, देह पर गेरुआ रंग की चमक। कांधे पर जलभरी बहंगी (कांवड़) धरे कांवरिए शिवभक्ति में घनीभूत हुए। कई किलोमीटर पैदल चलकर काशी आने वाले कांवरिये भर रास्ते कई चुनौतियां पार किये। कंधों व पैरों में छालों की पीड़ा, जहां मिला स्थान वहीं मिटायी थकान। इन सब बाधाओं व कष्टों को सहे, लेकिन बोल बम ही उच्चारते रहे। छोटे-बड़े जत्थे के रूप में शिवभक्तों का हुजूम शनिवार को महादेव की नगरी में हर ओर नजर आया। सावन के पहले सोमवार से पहले ही कांवरियों का दल जगह-जगह नजर आया। बाबा की भक्ति रटते और संकल्प पथ पर अनवरत चलते कांवरियों को जिसने देखा अपने मन श्रद्धा भाव की आंकी रेखा।
बारिश में भींगते, तेज धूप में भी नहीं डिगते
बारिश में भींगे, तेज धूप और उमस भरी गर्मी झेलते हुए कई किलोमीटर का लम्बा सफर नंगे पांव से तय करते कांवरिए शिवभक्ति के शिखर को छुआ। कांवरियों के पैरों में छाले जरूर पड़े, लेकिन कांवड़ लेकर बहुुत देर कहीं नहीं ठहरे। काशी आने पर कांवरिये गंगा स्नान करते, कलश में गंगा जल भरते, पंडों के सान्निध्य में संकल्प उठाते और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर दौड़ लगाते रहे।
बम-बम काशी
कांवरियों से काशी विश्वनाथ मंदिर सुबह से बम-बम रहा.दोपहर में भीड़ कम रही। कांवरियों के अलावा विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने बाबा काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के साथ ही मंदिर प्रांगण में विधिवत रुद्राभिषेक भी किया। बहुतेरे कांवरिये बाबा का जलाभिषेक करने के बाद एक बार फिर घाट किनारे पहुंचे और जल भरकर कांवर यात्रा करते हुए बाबा धाम बैजनाथ की ओर निकल पड़े। इनमें प्रयागराज के कांवरियों की संख्या ज्यादा रही। इसके अलावा आजमगढ़, जौनपुर और बलिया सहित आसपास के जिलों के कांवरिया भी जत्थों में शामिल रहे। वहीं, कुछ कांवरियों का बैजनाथ धाम से पलट प्रवाह भी था।
मंदिर में कांवरियों का आना शुरू हो गया है। सावन के सोमवार को देखते हुए मंदिर में विशेष व्यवस्था की गयी है।
विश्व भूषण मिश्रा, सीईओ, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
कांवरियों के लिए विशेष व्यवस्था
- बाबा धाम में छह बैरिकेडिंग से होकर जाएंगे कांवरिए।
- बाबा को जलाभिषेक के लिए बना 4 अघ्र्य।
- चारों अघ्र्य से जल व दूध चढ़ाने पर सीधे बाबा के शिवलिंग पर जाएगा।
- कांवरियों के लिए मंदिर परिसर में पंखा और कूलर की व्यवस्था।
- फस्र्ट एड की व्यवस्था की गयी है।
- बुजुर्ग भक्तों के लि ह्वीलचेयर की व्यवस्था।
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खोने-पाने के लिए विशेष काउंटर।
बादल बढ़े दक्षिण की ओर, वर्षा में अभी दो-तीन दिन
सावन के प्रथम दिन सोमवार से वर्षा होने की संभावना अब कमजोर हो चली है। कारण कि मानसूनी द्रोणिका खिसक कर और भी दक्षिण, यानी दक्षिणी मध्य प्रदेश में जा पहुंची है। इसके साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश, खास तौर से वाराणसी क्षेत्र में बादल और विरल, शुष्क तथा काफी ऊंचाई वाले होकर रह गए हैं। अब ले-देकर बंगाल की खाड़ी में बन रहे निम्न वायुदाब के इस ओर पहुंचने की प्रतीक्षा है। संभावना है कि मंगलवार, बुधवार तक वह इधर पहुंचा तो उसके प्रभाव से बादल आएंगे और बूंदाबांदी हो सकती है। इसके बाद दो-चार दिनों तक सावनी फुहारों की झड़ी बनी रह सकती है। वह भी निम्न वायुदाब की प्रबलता पर निर्भर करता है। इधर कई दिनों से निरंतर बढ़ रहा तापमान शनिवार को चल रही ठंडी पुरवा हवाओं संग बढ़ेे थोड़े बादलों की सघनता के चलते बीते 24 घंटों में घटकर 1.4 डिग्री सेल्सियस घटा और 36.3 डिग्री सेल्सियस पर आ गया जो फिर भी सामान्य से 2.7 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा लेकिन न्यूनतम तापमान में 0.2 डिग्री सेल्सियस बढ़कर 29.7 हो गया। जो सामान्य से 3.3 डिग्री सेल्सियस बना रहा। इस बीच आद्र्रता 82 से 62 प्रतिशत बनी रही। बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो। मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पहले कुछ संकेतों से लग रहा था कि वाराणसी में सोमवार तक बादल आ जाएंगे और अच्छी वर्षा हो सकती है लेकिन अब द्रोणिका के और दक्षिण खिसक जाने से यह संभावना कमजोर हो गई है। बंगाल की खाड़़ी में बन रहा निम्न वायुदाब का प्रभाव संभव है कि यहां तक पहुंचे और मंगलवार, बुधवार तक बादल आएं और कुछ वर्षा हो।