केस-1

वाराणसी (ब्यूरो)औरंगाबाद के रहने वाले सुधीर पांडेय दो दिन पहले किसी जरुरी काम से दोपहर करीब दो बजे घर से बाहर निकलेगोदौलिया तक पहुंचते हुए उन्हें चक्कर आने लगा, फिर वो वापस घर आएतबीयत ज्यादा बिगडऩे पर वे मंडलीय अस्पताल पहुंचेइमरजेंसी में एडमिट होने के बाद आराम मिलने पर छुट्टी कर दी गई.

केस-2

अलईपुर निवासी मोअनवर साड़ी की गद््दी पर साड़ी पहुंचाने बाजार निकले थेवहां से आने के बाद अचानक से गश खाकर घर में गिर पड़ेपरिजनों ने ग्लूकोज पिलाया, लेकिन आराम नहीं मिलाआनन-फानन में परिजन उन्हें मंडलीय अस्पताल लेकर पहुंचेदो दिन एडमिट कराकर इलाज करायाफिलहाल उनकी स्थिति सामान्य है.

ये तो सिर्फ दो केस हैंइस तरह के दर्जनों मरीज पिछले एक सप्ताह से अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंच रहे हैंमामला गंभीर होने के बाद उन्हें एडमिट किया जा रहा हैऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा हो रहा है जो इस भीषण गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और इसी चिलचिलाती धूप में घर से बाहर निकल तो जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद बीमार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं.

डिस्चार्ज से ज्यादा एडमिट

उमस भरी प्रचंड गर्मी और चिलचिलाती धूप ने एक बार फिर ऐसा सितम ढाया कि इसका असर लोगों की सेहत पर पड़ तो रहा ही है, साथ ही हीट स्ट्रोक की चपेट में आने के बाद लोगों की जान भी जा रही हैइन दिनों बनारस का पारा सातवें आसमान पर हैतापमान 45 से 47 डिग्री तक पहुंच रहा हैगर्मी के इस प्रहार से बीमार लोगों की भीड़ अस्पतालों में बढ़ गई हैइस बार ओपीडी से ज्यादा भीड़ आईपीडी यानि वार्डों में बढ़ी हैमंडलीय अस्पताल में लगातार मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा हैयहां जितने मरीज डिस्चार्ज नहीं हो रहे हैं उससे ज्यादा एडमिट हो रहे हैं.

मंडलीय अस्पताल में डेली 250 मरीज

आंकड़ों की मानें तो 316 बेड के अस्पताल में डेली 200 से 250 मरीज आ रहे हैंभीड़ इतनी है कि आराम होते ही डेली 100 मरीजों की छुट्टी भी हो रही हैअस्पताल में 30 बेड का मेडिसिन वार्ड और 16 बेड का इमरजेंसी वार्ड भी मरीजों से फुल हैवहीं जिला अस्पताल में भी मेडिसिन वार्ड के 30 बेड मरीजों से भरे पड़े हैंइसमें से ज्यादातर मरीज डायरिया, लूज मोशन, पेट दर्द और हीट स्ट्रोक के हैंइसमें 25 साल के युवाओं से लेकर 60 के ऊपर के बुजुर्ग तक शामिल हैं.

एडमिशन के साथ मरने वाले भी बढ़े

जहां अस्पतालों में बीमारों की संख्या बढ़ रही है, वहीं लू की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा हैमंडलीय अस्पताल में सीएमएस के मुताबिक पिछले 4 से 5 दिनों में गर्मी ने दोबारा से अपना विकराल रूप दिखाया हैएडमिट के अलावा अस्पताल का डेथ रेट भी बढ़ गया हैपहले जहां डेली 3 से 4 मौतें होती थीं, वहीं इधर एक सप्ताह में यह संख्या डबल के करीब हो गई हैडेली 5 से 6 मौतें अस्पताल में हो रही हैमोर्चरी में भी 5 से 6 लाशें रखी गई हैं.

अब 8 फ्रीजर की होगी मोर्चरी

मंडलीय अस्पताल की मोर्चरी में लाशें रखने के लिए जगह कम पड़ रही हंैऐसे में अब अस्पताल प्रबंधन इसे और बड़ा बनाने पर विचार कर रहा हैसब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही अस्पताल में 4 की जगह 8 फ्रीजर की क्षमता वाली मोर्चरी लग जाएगीसीएमएस का कहना है कि मोर्चरी की क्षमता बढ़ाने के लिए शासन को डिमांड भेजी गई हैजल्द ही शासन की तरफ से इसका इम्प्लीमेंट हो जाएगाइसके बाद शवों को रखने में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी.

150 से ज्यादा फंगल के मरीज

गर्मी और चिलचिलाती धूप से हाथ-पैर से जुड़ी स्किन प्रॉब्लम तो हो ही रही है, वहीं फंगल इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ गया हैउमस भरी गर्मी से राहत पाने के लिए एसी का ज्यादा इस्तेमाल करने वालों के लिए भी ये मौसम खतरनाक साबित हो रहा हैजिला अस्पताल के स्किन रोग की ओपीडी में डेली करीब 200 मरीज आ रहे हैं, जिसमें 150 से ज्यादा मरीज फंगल इंफेक्शन और एलर्जी के हैंइसके अलावा खुजली और चकत्ते पडऩे के केस भी आ रहे हैंपिछले दो सप्ताह से सरकारी के साथ प्राइवेट हॉस्पिटल में इस तरह के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है.

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कहां कितने मरीज

मंडलीय अस्पताल

1500

से 1600 तक मरीज पहुंच रहे डेली

300

से 400 तक मरीज मेडिसिन ओपीडी में

100

से ज्यादा मरीज लू, उल्टी व दस्त के

250

से ज्यादा मरीज एडमिट हैं आईपीडी में

100

से ज्यादा मरीज डेली डिस्चार्ज हो रहे हैं

पिछले 4-5 दिनों से प्रचंड गर्मी पड़ रही हैइस वजह से अस्पताल के आईपीडी में मरीजों की भीड़ बढ़ी हैडेली 225 से 250 मरीज एडमिट हो रहे हैं, वहीं डेथ रेट भी डबल हो गई हैमोर्चरी में भी 6 लाशें रखी जा रही हंै.

-डॉएसपी सिंह, सीएमएस, मंडलीय अस्पताल