वाराणसी (ब्यूरो)मिर्जापुर निवासी लल्लन यादव ने पिछले सप्ताह पत्नी को ईएसआईसी अस्पताल में एडमिट कराया थाजनरल वार्ड में एसी तो ठीक चल रहा था, लेकिन मरीजों के लिए वार्ड के बाहर लॉबी में लगा एसी नहीं चल रहा थाशिकायत की तो पता लगा कि एसी खराब है.

केस-2

भदोही निवासी पप्पू जायसवाल भाई का ऑपरेशन कराने के लिए ईएसआईसी अस्पताल आए थेवार्ड में एसी चल रहा था, लेकिन रुक-रुक कर बंद हो जा रहा थालॉबी में तो एसी पूरी तरह से बंद थाइसकी वजह से वे रातभर सो नहीं पाएदूसरे दिन बिना ऑपरेशन कराए मरीज को डिस्चार्ज कराकर चल गए

भीषण गर्मी में यह हाल वाराणसी के कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल (ईएसआईसी) का है। 5 साल पहले करीब 150 करोड़ की लागत से बने इस अस्पताल के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक को सेेंट्रलाइज्ड एसी से लैस किया गया था, लेकिन इस भीषण गर्मी में यहां यह व्यवस्था ठप है। 5 फ्लोर की इस बिल्डिंग में करीब-करीब हर फ्लोर की एसी फेल हैऐसे में मरीजों के अटेंडेंट ब्लोवर की हवा के सहारे हैं

हर वार्ड में समस्या

150 बेड के इस अस्पताल के थर्ड फ्लोर पर 20 बेड आईसीयू के लिए हैंकहने को इसमें सारी सुपर स्पेशियलिटी की सुविधाएं हैं, लेकिन इसमें आईसीयू जैसा कोई नियम नहीं हैवार्ड में दिनभर अटेंडेंट व रिश्तेदारों का आना जाना लगा रहता हैमेडिकल आंकोलॉजी, यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी व नेफ्र ोलॉजी की सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएं भी हैंलेकिन एसी व्यवस्था ठप होने से यह एक सामान्य अस्पताल से खराब स्थिति में पहुंच गया हैहर वार्ड के लोग यहां की व्यवस्था से परेशान हैंफोर्थ फ्लोर पर बने जनरल वार्ड में एडमिट मरीजों ने बताया कि रात में एसी बंद कर दी जाती हैओपीडी के बाहर दो कूलर लगाए गए हैं

दो साल से एसी खराब

भीषण गर्मी में हॉस्पिटल में एसी न चलने से अपने मरीजों को लेकर यहां रह रहे अटेंडेंट बेहद परेशान हैंचारों तरफ से ग्लास लगे होने से इसके अंदर बाहर की हवा भी नहीं आ पातीऐसे में उमस भी सताने लगी हैअटेंडेंट का कहना हैं कि दिन तो किसी तरह से कट जाता है, लेकिन रात में बहुत ज्यादा दिक्कत होती हैज्यादा दिक्कत होने पर नीचे पार्क में जाकर बैठ जाते हैं, लेकिन वहां भी मच्छरों की झुंड से आराम नहीं मिलताअस्पताल प्रबंधन की मानें तो हॉस्पिटल में एसी खराब होने की समस्या पिछले दो साल से हैकांटीन्यू कोई भी एसी नहीं चल पा रहा

मेंटेनेंस के नाम पर कुछ नहीं होता

150 करोड़ के इस अस्पताल में जगह-जगह बदहाली देखने को मिलती हैइसकी वजह यहां किसी भी चीज का मेंटेनेंस न होना हैअस्पताल के कुई बाथरूम के दरवाजे की कुंडी और नल की टोटी हैंपेयजल की व्यवस्था भी हर फ्लोर पर नहीं हैटाइल्स भी जगह-जगह से टूट रहे हंैइसके अलावा वार्ड में एडमिट मरीजों की पैथ जांच व्यवस्था भी कमजोर हुई हैअटेंडेंट को बाहर से जांच कराने के लिए भेजा जा रहा है, जबकि ईएसआई में बीमाकर्ता का किसी भी चीज के लिए कोई पैसा नहीं लगताएसी मेंटेनेंस का काम देखने वाले कर्मचारियों की मानें तो उन्हें दो साल से पेमेंट नहीं किया गया है

फैक्ट एंड फीगर

150 बेड का अस्पताल 2019 में बना

20 हजार के करीब मरीज आते हैं हर माह

750-800 मरीज डेली आते हैं ओपीडी में

80 मरीजों की है आईपीडी

बनारस, गाजीपुर, मीरजापुर, चंदौली, भदोही, सोनभद्र, जौनपुर, बलिया, मऊ, आजगढ़ व गोरखपुर के बीमित कर्मचारियों का होता इलाज

पेशेंट बोले

पेट में दर्द होने पर दो दिन पहले भर्ती हुई हूं, लेकिन गर्मी से राहत नहीं मिल रही हैइतना बड़ा अस्पताल है, लेकिन एसी हर समय नहीं चलतारात में पूरी तरह से एसी बंद कर दिया जाता हैकल छुट्टी करा लूंगी

हीरामनी देवी, पेशेंट

पहले यह बहुत अच्छा अस्पताल था, लेकिन अब इसकी व्यवस्था काफी खराब हो गई हैबाथरूम का दरवाजा खराब हैपीने के लिए भी बाहर निकलना पड़ता हैएसी न चलने से गर्मी लगती हैयहां अलग से पंखा भी नहीं है

सुनीता देवी, अटेंडेंट

अन्य अस्पतालों में कूलर-पंखे

हालांकि, मंडलीय और जिला अस्पताल में एडमिट मरीजों को राहत देने के लिए ओपीडी से लेकर वार्ड तक में कूलर की व्यवस्था की गई हैऐसा कोई वार्ड नहीं है, जहां पंखा व कूलर न हो