वाराणसी (ब्यूरो)। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) की टीम ने प्रताप एक्सप्रेस के वातानुकूलित कोच बी-9 में छापेमारी कर मैनपुरी के भोगांव निवासी आशीष कुमार को गिरफ्तार कर लिया और उसके पास से प्रतिबंधित प्रजाति के 40 कछुए बरामद किए। कछुए तस्करी के लिए पश्चिम बंगाल ले जाए जा रहे थे। बरामद कछुए रेड क्राउन रूफ्ड प्रजाति के हैं, जिन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए सरकार ने प्रतिबंधित की श्रेणी में ला दिया है।
आरोपित को जीआरपी थाना लाया गया, जहां से पूछताछ के बाद उसे काशी वन्य जीव प्रभाग प्रशासन को सौंप दिया गया। काशी वन्य जीव प्रभाग की टीम वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में केस दर्ज कर कार्रवाई में जुट गई है।
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प्रतिबंधित रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल क्यों हैं प्रतिबंधित
कछुओं की यह प्रजाति प्राकृतिक सफाईकर्मी होती है। इनका मुख्य कार्य जलीय पौधों के बीज को फैलाना और कार्बनिक पदार्थों को री-साइकिल करना होता है। पांच दशक पूर्व यह प्रजाति गंगा के मैदानों में आसानी से उपलब्ध थी, लेकिन अब ये सिफऱ् चंबल नदी तक सीमित होकर रह गई है। वन अधिकारियों मुताबिक कुछ सैकड़ा वयस्क कछुओं के बचने पर इसे प्रतिबंधित किया गया।
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चाइनीज दवाओं में इस्तेमाल से प्रजाति पर संकट
चाइनीज दवाओं के निमार्ण में इसका ज्यादा प्रयोग होने के कारण रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल की प्रजाति संकट में है। लाखों में दाम मिलने के कारण लोग चंबल नदी से इसका शिकार कर तस्करों को बेच देते हैं। चूंकि प्राकृतिक सर्किल को बचाने के लिए कछुओं को होना जरूरी है, इसलिए सरकार ने प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया है। तस्कर इसे दवा बनाने वाली कंपनियों को 20-20 हजार रुपये में बेचते हैं।
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कछुओं को बचाने के लिए डीआरआइ देश में चलाया था Óआपरेशन कच्छपÓ
विलुप्त हो चले कछुओं को बचाने के लिए राजस्व खुफिया निदेशालय ने गत वर्ष अक्टूबर से दिसंबर माह तक अभियान Óआपरेशन कच्छपÓ चलाया था। जिसमें वाराणसी की टीम ने वर्धमान निवासी कासिम खां को गिरफ्तार कर 436 कछुए बरामद किए थे। कछुओं को दो बैग में भरकर रोडवेज की जनरथ बस से कानपुर से वाराणसी लाया जा रहा था। अभियान का असर रहा था कि तीन माह के अभियान में 2080 कछुए बरामद कर उनके असली ठिकानों पर छोड़ा गया था।