वाराणसी (ब्यूरो)। यूं तो बनारस समेत पूरे इंडिया में छोटी उम्र के बच्चों से काम कराना क्राइम है, लेकिन जब बाहर देखेंगे तो दुकानों पर आपको यही बच्चे काम करते हुए दिख जाएंगेयही कारण है कि बच्चे गायब हो रहे हैंउनकी किडनैपिंग तक की बात से इंकार नहीं किया जा सकताकिडनैपर स्टेशन के बाहर या सड़क किनारे रहने वाले उन गरीब बच्चों को ही गायब करते हैं, जो भीख मांगते हैंनाबालिग बच्चों की गायब होने की संख्या रोज बढ़ती जा रही हैबीते गुरुवार को काशी रेलवे स्टेशन के समीप झोपड़ी में रह कर पत्ता बेचने वाले दो परिवार के चार बच्चों के अचानक लापता होने से हड़कंप मच गयाहालांकि, वह बच्चे खुद से ौट भी आएपर इसके पहले भी बच्चा गायब होने के सैकड़ों केस सामने आ चुके हैंसालभर में 114 नाबालिग बच्चे गायब हुए

बच्चों से मंगवाते हैं भीख

सड़क पर चौराहे से गुजरते ही लाइट पर आपको बच्चे भीख मांगते हुए दिख ही जाते होंगेइनमें से तमाम बच्चे भी इसी तरह की घटना के शिकार हुए होते हैंबच्चों के माता पिता पैसे मांग कर अपना गुजारा करते हैंऐसे में जब उनका बच्चा गायब होता हैतो वह उसके लिए ज्यादा कुछ कर नहीं पातेयही कारण है कि इन बच्चों को टारगेट में रखा जाता हैलड़कों की तुलना में लड़कियों को अपहरण ज्यादा किया जाता हैया तो इन्हें किसी गलत काम में लगा दिया जाता हैया फिर किसी के घर में नौकरानी का काम करने के लिए उन्हें बेच दिया जाता हैलड़कों से ये भीख मंगवाने का काम कराते हैंइन बच्चों को इतना डरा दिया जाता है कि वह किसी को कुछ भी नहीं बताते हैं

पकड़ी गईं गैैंग

वाराणसी जिले में कुछ महीने पहले पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया था, जो सड़क किनारे ही गुजर-बसर करने वाले परिवारों के बच्चों को अगवा करके बेच दिया करता थापुलिस ने अपहरणकर्ता गैंग के 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया थायह गैंग अंतर्राज्यीय स्तर का था, जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं

नदेसर, भेलूपुर से बच्चों का अपहरण

14 मई को एक बच्चे के अपहरण का सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद पुलिस इस मामले में सक्रिय हुई थीअप्रैल और मई के महीने में इस गैंग ने दो वारदातों को अंजाम दिया हैपहली घटना शहर के नदेसर इलाके की है तो दूसरी घटना भेलूपुर इलाके कीपुलिस ने नवजात बच्चों के अपहरणकर्ता गिरोह से 3 बच्चे भी बरामद किए थे

एक से 5 लाख में सौदा

भेलूपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत रामचंद्र शुक्ल चौराहे से 14 मई को अपहरण होने वाली घटना सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हुई थीजिसमें एक सफेद रंग की आर्टिगा गाड़ी शामिल थीगाड़ी से उसके ड्राइवर का पता चला जो मूल रूप से बिहार का थाआरोपी का नाम संतोष था, और वो बनारस में किराए के मकान में रहता थासंतोष का दूसरा साथी भी गिरफ्तार हुआ है, जो बच्चों को उठाने यानी लिफ्टिंग का काम करता थायह गैंग बच्चों का अपहरण करने के बाद एक से 5 लाख रुपयों तक उनका सौदा करता थाये ऐसे लोगों को बच्चे बेचते थे, जो निसंतान होते थेयह गैंग बच्चों को चोरी करके झारखंड और राजस्थान में भी बेचता था

फैक्ट एंड फिगर

- 114 बच्चे वाराणसी से एक साल में गायब हुए

- 48 नाबालिग मेल गायब हुए

- 66 नाबालिग फीमेल गायब हुईं

इन कामों में लगाते हैं बच्चों को

- जिनके संतान नहीं होती उन्हें बेच देते हैं

- घर में नौकर के काम में रखवा कर पैसे लेते हैं

- सड़क में बच्चों से भीख मंगवाते हैं

- अपनी दुकान पर काम में रखते हैं

- लड़कियों को गलत काम पर लगवा देते हैं और देश से बाहर भी बेच देते हैं

बच्चों को भेजें स्कूल

साइकोलॉजिस्ट शेफाली ठकराल ने बताया कि जो मां बाप सड़क पर झाड़ू लगाते हंै या कोई निचले स्तर का काम करते हैंवह अपने बच्चों को भीख मंगवाने के काम में लगवा देते हैंऐसे लोगों को कार्यक्रम कर के अवेयर किया जाता है कि वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढऩे के लिए भेजेंउसके बाद भी इस तरह की स्थिति खत्म होने का नाम नहीं ले रही है

गायब हुए बच्चों को पुलिस ढ़ूंढने का काम तत्काल शुरू करती हैबच्चे जब मिलते है तो पता चलता है कि गैैंग ने इन्हें गलत कामों में लगा दिया था

ममता रानी, एडीसीपी, वूमेन क्राइम