वाराणसी (ब्यूरो)। आम बजट पेश होने में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी। इस बार आम बजट से दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी काशी के सभी वर्गों के लोगों को काफी उम्मीदें बंधी हुई हैं। सबसे बड़ी जनसंख्या मिडिल क्लास है, जो महंगाई के बोझ से सबसे ज्यादा परेशान है, उसे उम्मीद है कि बजट में उनके लिए राहत का ऐलान होगा। वहीं टैक्स के बोझ तले दबे वेतनभोगी वर्ग को उम्मीद है कि वित्त मंत्री इनकम टैक्स में राहत देकर उनके दर्द को थोड़ा कम करेंगी। इस बार बजट में वेतनभोगी वर्ग से लेकर व्यापारियों और महिलाओं आदि सभी को काफी उम्मीदें हैं.
आम आदमी इस बार आम बजट में महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद कर रहा है। पिछले महीनों में हर चीज के दाम तेजी से बढ़े हैं। खानेपीने के सामान से लेकर रसोई गैस आदि सभी चीजों के दाम बढ़े हैं। आटा का भाव तेजी से भाग रहा है। इसलिए जरूरी चीजों पर जीएसटी पूरी तरह से खत्म करना चाहिए। महंगाई में सबसे ज्यादा परेशानी आम आदमी को हो रही है।
संतोष विश्वकर्मा
नौकरीपेशा वर्ग को हर बार सबसे ज्यादा टैक्स में और छूट की उम्मीद रहती है। पिछले 8 साल से टैक्स की सीमा नहीं बढ़ाई गई है। इस बार टैक्स स्लैब में बदलाव की काफी आस है। मौजूदा टैक्स सीमा को 2.5 लाख को बढ़ाया जा सकता है। टैक्स छूट सीमा 5 लाख तक होना चाहिए। 80 सी के तहत 1.5 लाख को बढ़ाकर सरकार सालाना 2 लाख कर सकती है.
सुनील कुमार
महिलाओं को भी आम बजट से काफी उम्मीदें हैं। गैस के रेट बढऩे से सबसे ज्यादा असर घर के बजट पर पड़ा है। खानेपीने की चीजें तो महंगी हुई ही हैं। गैस के रेट पांच सौ से बढ़कर 11 सौ होने से बजट बिगड़ गया है। सरकार इस बार आम बजट में रसोई गैस के रेट कम करेगी तभी उन्हें यानी गृहिणी को राहत मिलेगी।
संगीता विश्वकर्मा
बजट से सीनियर सिटीजंस भी उम्मीद लगाए हुए हैं। ट्रेन के टिकट में मिलने वाली छूट बंद होने से वह काफी निराश है। बुजुर्ग होने के नाते बच्चों पर निर्भर रहना होता है। आजकल के बच्चों की सोच और बुढ़े माता-पिता को लेकर उनके बर्ताव से सभी वाकिफ है। ऐसे में सरकार से ही मदद की आस है। पूर्व में जो भी राहत सीनियर सिटीजंस को मिलती थी, उसे दोबारा शुरू करने की जरूरत है।
शंभुनाथ यादव
महंगाई को काबू में रखने के लिए आरबीआई ने इस साल रेपो रेट में कई बार बढ़ोतरी की है। इसका सीधा असर बैंकों के ब्याज दरों पर पड़ा और कर्ज लेना महंगा हो गया। ऐसे में होम लोन वालों के लिए किस्त भी ब्याज दरें बढऩे के कारण बढ़ गई। होम लोन के तौर पर दी जाने वाली ब्याज छूट की मौजूदा सीमा 2 लाख को बढ़ाकर 5 लाख तक करने की जरूरत है।
रागिनी शर्मा
किसानों को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं। किसानों को लेकर सरकार बड़ी-बड़ी बात करती है, लेकिन वास्तव में किसानों के साथ हर सरकार धोखा करती है। अगर सरकार पीएम-किसान योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली नकद सहायता को बढ़ाएगी तभी किसानों को सीधे लाभ होगा।
महेश सिंह
बनारस में बीएचयू, ट्रामा सेंटर, कैंसर संस्थान है, लेकिन आबादी के हिसाब से यह बहुत ही कम है। दिल्ली की तर्ज पर काशी को एक एम्स की जरूरत है। पूर्वांचल व बिहार के लोगों के आने से इन जगहों पर अक्सर जबर्दस्त भीड़ रहती है। ऐसे में बनारस के लोगों को जरूरत पडऩे पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाती है। इसलिए एम्स या पीजीआई जैसी सुविधा से लैस हॉस्पिटल की जरूरत है.
संजय शर्मा
काशी के युवाओं को बजट से काफी उम्मीदें हैं। बजट में उनके लिए भी कुछ खास होगा, जिससे उन्हें रोजगार के बेहतर मौके मिल सकेंगे। इसी के साथ ऐसे लोग जो अभी बेहद कम सैलरी में नौकरी कर रहे हैं उनकी सैलरी बढ़ेगी। रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार कदम उठाएगी.
कार्तिकेय कुमार
आम बजट में ही रेल को शामिल होने के बाद से सरकार का इस पर विशेष ध्यान नहीं रहती है। दुनिया के टॉप-10 पर्यटन सिटी में काशी में लगातार भीड़ बढ़ रही है, लेकिन उसके हिसाब रेल सेवा में विस्तार नहीं हो रहा है। प्रमुख शहरों में जाने के लिए बनारस से सीधी टे्रनें नहीं है। अब सफर करना महंगा भी हो गया है। अक्सर सीट नहीं मिलने की समस्या आती है। इसलिए सरकार को ऐसे कदम उठानी चाहिए, जिससे ट्रेन और बस के टिकटों के दाम कम हों और जरूरतमंद आसानी से सफर कर सके.
मनोज शर्मा
काशी के उद्यमी व कारोबारियों को हर बार सरकार से काफी उम्मीदें रहती हैं, लेकिन निराशा ही हाथ लगती है। जीएसटी से लगातार व्यापार चौपट हो रही है। सरकार को मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को और मजबूत बनाने की जरूरत है। जब मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, तभी रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। बनारस में एक और बड़ा सरकारी कारखाना की जरूरत है।
संजय गुप्ता