वाराणसी (ब्यूरो)। बदलते लाइफस्टाइल, फूडिंग कल्चर और तनाव के चलते ब्रेन ट्यूमर की समस्या बढ़ती जा रही है। अब बनारस में भी यह बीमारी लोगों को घेरने लगी है। अस्पतालों में न्यूरोलॉजिस्ट की ओपीडी में आने वाले ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हैरानी की बात ये भी है कि पहले जो बीमारी औसतन 30 से 45 उम्र के लोगों को होती थी, अब टीनएजर्स और यंगस्टर्स को भी अपनी चपेट में लेने लगा है। चिकित्सकों की मानें तो खराब लाइफस्टाइल के कारण लोग किडनी, फेफड़ा, हार्ट संबंधी कई रोगों का शिकार हो रहे हैं, इन्हीं में से एक ब्रेन ट्यूमर भी है। यह ट्यूमर मस्तिष्क की कोशिकाओं में होता है। जब ब्रेन में अनियंत्रित रूप में कोशिकाएं बढऩे या जमने लगती है तो ब्रेन ट्यूमर जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसलिए इस रोग के लक्षण दिखते ही समय से पहले उपचार शुरु करा दें। अगर इसे नजरअंदाज किया गया तो ये ब्रेन कैंसर का भी रूप ले सकता है.
ब्रेन ट्यूमर व कैंसर का इलाज उपलब्ध
वैसे बनारस में ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन कैंसर का बेहतर उपचार उपलब्ध है। जहां बीएचयू का सर सुंदरलाल अस्पताल है वहीं टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल व होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल है। तीनोंं ही जगह कैंसर, ब्रेन ट्यूमर का लगभग संपूर्ण इलाज की व्यवस्था है। बीएचयू के रेडियोथेरेपी विभाग के प्रो। यूपी शाही बताते हैं कि मस्तिष्क में कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढऩे पर जो गांठ बन जाती है वो ब्रेन ट्यूमर होता है। इसमें मस्तिष्क के खास हिस्से में कोशिकाओं का गुच्छा बन जाता है। यह कई बार कैंसर की गांठ में तब्दील हो जाता है, इसलिए ब्रेन ट्यूमर को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। वैसे ब्रेन ट्यूमर होने का कारण कई हो सकते हैं। जबकि ग्रंथि कई तरह के रासायनिक तत्व उत्पन्न करती है तो उसमें ट्यूमर होने पर कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं।
जेनेटिक परिवर्तन से भी ब्रेन ट्यूमर
न्यूरो सर्जन डॉ। अजीत सिंह बताते हैं कि ब्रेन ट्यूमर शरीर के दूसरे किसी भी अंग की तरह मस्तिष्क की कोशिकाओं के असामान्य गति से बढ़ते जाने और कोशिकाओं का असामान्य जमाव पैदा होने की वजह से होता है। ये ट्यूमर बिनाइन या मैलिग्नेंट (कैंसर वाले) हो सकते हैं। ट्यूमर धीरे-धीरे काफी समय तक विकसित होता रहता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि वे बिनाइन हैं या मैलिग्नेंट। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो ब्रेन ट्यूमर घातक होता है। वैसे मौजूदा समय में ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, जो यह बताता हो कि तनाव सीधे ब्रेन ट्यूमर का कारण बनता है। ब्रेन ट्यूमर आमतौर पर जेनेटिक परिवर्तन या मस्तिष्क में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि के कारण भी होता है।
साधारण सिरदर्द भी ब्रेन ट्यूमर में बदल सकता है
एक्सपट्र्स का कहना है कि दिमाग में कई सेल्स होते हैं, जिसमें एक या एक से ज्यादा सेल्स का असामान्य रूप से बढऩा ब्रेन ट्यूमर कहलाता है। बार-बार उल्टी होना, हाथ-पैर में एठन, थकान, लगातार सिरदर्द होना, कमजोरी महसूस होना, चक्कर आना, कम दिखना ब्रेन ट्यूमर के लक्षण हैं। स्ट्रेस भी ब्रेन ट्यूमर का बड़ा कारण होता है। कुछ खास तरह के रेडिएशन के कॉन्टैक्ट में आने से भी ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। ये प्रॉब्लम जेनेटिक भी होती है। फैमिली में अगर किसी को पहले ब्रेन ट्यूमर हुआ हो तो अवेयर रहें। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से चेकअप कराएं। इसके अलावा डेली रूटीन में योगा और मेडिटेशन को शामिल करें। स्ट्रेस फ्री रहने की कोशिश करें.
दो तरह का होता है ट्यूमर, कराएं चेकअप
ब्रेन ट्यूमर दो तरह का होता है। पहला- मेलिगेंट ट्यूमर। इसमें कैंसर सेल्स होती हैं, जो संवेदनशील होती हैं और मस्तिष्क में तेजी से बढ़ती हैं। ये दिमाग के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकती है। दूसरा ब्रेन ट्यूमर बिनाइन ट्यूमर होता है, जो नॉन कैंसरस होते हैं। ये ट्यूमर ब्रेन के दूसरे हिस्सों में नहीं फैलते लेकिन समय पर इलाज न होने पर ये मेलिगेंट ट्यूमर में बदल सकते हैं। कुछ ट्यूमर मेडिसिन से कंट्रोल हो जाते हैं, लेकिन ट्रीटमेंट न कराने से सर्जरी की नौबत आ जाती है.
इन बातों का रखें ध्यान
-हानिकारक रेडिएशन के संपर्क में आने से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है.
-इससे बचने के लिए हेल्दी डाइट लें। -इमोशनली स्ट्रॉन्ग बनने की कोशिश करें। -किसी भी बात पर स्ट्रेस न लें।
-लंबे समय तक सिर दर्द हो तो डॉक्टर के सलाह के बिना दवा न लें.
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
-आंखों से धुंधला दिखाई देना.
- बोलने में परेशानी होना.
- चलते-चलते अचानक लडख़ड़ाना.
- अधिक थकान होना.
- याददाश्त कमजोर होना.
- सुबह उठते ही तेज सिरदर्द.
- अचानक किसी भी तरह की संवेदना.
- मांसपेशियों में ऐंठन महसूस होना.
-अचानक से बेहोशी आना.
इन तरीके से होता है उपचार
-इसका इलाज कुछ चीजों को ध्यान में रखकर किया जाता है.
-ट्यूमर का प्रकार, स्थिति, आकार, कितना फैला हुआ है, कोशिकाएं कितनी असामान्य है आदि देखकर इलाज किया जाता है.
-सर्जरी, कीमोथेरेपी एवं रेडियोथेरेपी, एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थैरेपी के माध्यम से भी इलाज होता है.
-सर्जरी से डॉक्टर पूरे ट्यूमर को या उसके कुछ भाग को निकाल देते हैं.
-कीमोथेरेपी में दवाओं का यूज करके ट्यूमर की कोशिकाओं को मारने की कोशिश की जाती हैं.
-रेडिएशन थेरेपी में ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए हाई एनर्जी बीम जैसे एक्स-रे या प्रोटॉन्स का इस्तेमाल किया जाता है.
पहले ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारी 30 से 45 उम्र के लोगों को ही होती थी, लेकिन अब ये टीनएजर्स और यंगस्टर्स को भी अपनी चपेट में ले रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह खराब दिनचर्या और खानपान है। अगर लोग इसे ठीक कर लें तो कई सारी बीमारियों से निजात पा सकते हैं.
डॉ। सुनील शर्मा, सीनियर न्यूरोलारजिस्ट
मस्तिष्क में कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढऩे पर जो गांठ बनती है वो ब्रेन ट्यूमर होता है। इसमें मस्तिष्क के खास हिस्से में कोशिकाओं का गुच्छा बन जाता है। यह कई बार कैंसर की गांठ में तब्दील हो जाता है, इसलिए इसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए.
प्रो। यूपी शाही, रेडियोथेरेपी विभाग, बीएचयू
ब्रेन ट्यूमर की बड़ी वजह जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस भी होता है। कुछ खास तरह के रेडिएशन के कॉन्टैक्ट में आने से भी ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। ये प्रॉब्लम जेनेटिक भी होती है। फैमिली में अगर किसी को पहले ब्रेन ट्यूमर हुआ हो तो अवेयर रहें। वरना वे भी इसके शिकार हो सकते हैं.
डॉ। अजीत सिंह, न्यूरो सर्जन