वाराणसी (ब्यूरो)बनारस में कई दिनों से लगातार डेंगू, मलेरिया, टायफायड समेत तमाम वायरल बीमारी के केसेज बढ़ते ही जा रहे हैैंजनपद में बढ़ते संक्रामक बीमारियों से जिला, मंडलीय और कमोबेश सभी प्राइवेट अस्पतालों में पेशेटों की बाढ़ सी स्थिति है और डेंगू वार्ड तो विगत सप्ताह से फुल चल रहा हैऐसे में जिला अस्पताल के भर्ती वार्ड में वीआईपी ट्रीटमेंट हावी हैवहीं, दूरदराज से आए पेशेंट को बेड आदि के घंटों चक्कर काटने पड़ रहे हैैंसंपर्क से आए लोगों को तुरंत बेड मिल जा रहा है और डाक्टर व नर्स की सर्विस फोन काल पर उपलब्ध हो रही है.

आम पेशेंटों पर भारी जान-पहचान

केस-1

जिला अस्पताल के पेशेंट भर्ती वार्ड में संदीप अपने बेड पर दवा लेकर बैठे हैं, और इंतजार कर रहे हैं कि डॉक्टर-नर्स आये और बताये कि दवा आदि कैसे सेवन करना है? डॉक्टर राउंड पर आ कर चले गएदवा आदि लिख दिए हैैंउसे मेरे परिजनों ने बाहर से खरीद कर लाए हैैंबुखार से बदन कांप रहा है और सिर फटने को हो रहा हैऐसे में दो बार इंक्वायरी करने के बाद भी अभी तक नर्स नहीं आ सकी हैजबकि, अपने वार्ड में एक से दो पेशेंटों पर जान-पहचान का फायदा मिल रहा हैवहीं, डॉक्टर और नर्स समय से आती हैैंहमारे जैसे दूर-दराज से आए मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

केस-2

अस्पताल के पेशेंट भर्ती वार्ड में एडमिट शिल्पी के पति राजेंद्र गुप्ता कहते हैैं कि वार्ड में सफाई व्यवस्था ठीक हैमरीज कराहते रहते हैं और डॉक्टर बुलाने पर भी नहीं आतेपत्नी को एडमिट कराने के लिए मुझे कई घंटों यहां-वहां चक्कर काटना पड़ाचिरौरी-विनती करने पर भी यहां के स्टाफों का दिल नहीं पसीजता हैफाइनली दोपहर बाद जैसे-तैसे बेड मिलामैनें देखी कि अस्पताल में बेड उन्हीं लोगों को मिल पा रहा हैजिनकी सेटिंग अथवा जुगाड़ हैजिनका कोई नहीं, उनका इलाज ऊपर वाले के हाथ में है.

सरकारी ढर्रे से क्यों नहीं उबर पा रहा अस्पताल

सूबे के जनपदों के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था बनी रहे और मरीजों को भटकना नहीं पड़ेइसके लिए स्वंय मुख्यमंत्री योगी और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक अस्पताल व व्यवस्था की लगातार मानिटरिंग कर जिम्मेदारों को स्वास्थ्य सुविधाएं सुचारु रखने के लिए तमाम निर्देश दिए जा रहे हैैंइसके बावजूद जिला अस्पताल और कबीरचौरा स्थित एसएसपीजी मंडलीय अस्पताल की व्यवस्था में कुछ न कुछ खामी रह जा रही हैइससे मरीजों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैजिनके पास संसाधन होते हैैंउन्हें असुविधा होने पर निजी अस्पतालों की शरण में चले जाते हैैंजबकि, आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के पेशेंटों को परेशानी उठानी पड़ती हैलिहाजा, स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदारों को पुराने ढर्रे से बाहर निकलकर इमानदारी से काम करने का वक्त आ गया है

हाल के दिनों में खासकर जिला अस्पताल में कई खामियां देखने को मिल रही हैएडमिट वार्ड के बारे में कहा ही क्या जाएबहरहाल, जिम्मेदारों की कोशिश होनी चाहिए कि पेशेंटों को दिक्कत न हो

वैभव कुमार त्रिपाठी, नागरिक

हम लोग व्यवस्था को सुचारू की पूरी कोशिश हैलापरवाह स्टाफों को समझाया भी जा रहा हैहमारे प्राथमिकता में अस्पताल आने वाले सभी पेशेंट हैसंपर्क से आने वाले लोगों से आम पेशेंटों को परेशानी न होइसकी निगरानी की जाएगी

डॉ आरके सिंह, सीएमएस, जिला अस्पताल