वाराणसी (ब्यूरो)। देश की समृद्ध विरासत को बचाने और बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू जीआई टैग मुहिम में यूपी देश में टॉप पर पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश 75 जीआई उत्पादों के साथ तमिलनाडु को पीछे छोड़ते हुए पहले पायदान पर है। मंगलवार को 2 नए उत्पादों को जीआई टैग मिलने के साथ अब काशी क्षेत्र के 34 उत्पाद को जीआई टैग मिला है। यूपी के 75 जीआई उत्पादों की लिस्ट में 34 काशी के हैं। इस प्रकार काशी क्षेत्र दुनिया का जीआई हब बन गया है।
6 जीआई प्रोडक्ट हुए रजिस्टर
जीआई एक्सपर्ट पद्मश्री रजनीकांत ने बताया, यह पूरे प्रदेश के लिए गौरव का पल है। नाबार्ड-लखनऊ, यूपी एवं राज्य सरकार के प्रयास से 16 अप्रैल 2024 को जारी हुए जीआई रजिस्ट्री चेन्नई के जीआई एप्लीकेशन स्टेटस से जानकारी मिलते ही उत्पादक समुदाय से जुड़े लोगों में खुशी की लहर है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 6 जीआई प्रोडक्ट रजिस्टर हुए, जिसमें आजादी की क्रांति में शुमार काशी के पक्के महल से निकली बनारस तिरंगी बर्फी और काशीपुरा की गलियों में सैकड़ों सालों से तैयार की जानेवाली बनारस धातु ढलाई शिल्प (मेटल कास्टिंग क्राफ्ट) सहित बरेली जरदोजी, बरेली केन-बम्बू क्राफ्ट, थारू इम्ब्रायडरी- उत्तर प्रदेश, और पिलखुआ हैण्डब्लाक प्रिन्ट टेक्सटाइल शामिल है। इसके साथ ही अब काशी क्षेत्र एवं पूर्वांचल के जनपदों में कुल 34 जीआई प्रोडक्ट देश की बौद्धिक सम्पदा अधिकार में शुमार हो गए हैं, जो दुनिया के किसी भू-भाग में सर्वाधिक हैं.
2 से 34 तक पहुंचे
वर्ष 2014 के पहले वाराणसी क्षेत्र से मात्र 2 जीआई प्रोडक्ट जैसे बनारस ब्रोकेड एवं साड़ी तथा भदोही हस्तनिर्मित कालीन को ही यह दर्जा प्राप्त था, लेकिन मात्र 9 वर्षों में यह संख्या 34 तक पहुंच गयी।
बनारस व आसपास के जीआई प्रोडक्ट
बनारस ब्रोकेड्स एंड साड़ी, बनारस लंगड़ा आम, हैंडमेड कारपेट आफ भदोही 4-रामनगर भंटा, बनारसी गुलाबी मीनाकारी, बनारसी पान, वाराणसी वुडेन लेकरवियर एंड ट्वायज, आदमचीनी चावल, मिर्जापुर हैंडमेड दरी, बनारसी ग्लास बीड्स, निजामाबाद ब्लैक पाटरी, मऊ साड़ी, बनारस मेटल रिपोजी क्राफ्ट, गोरखपुर टेराकोटा, गाजीपुर वाल हैंगिंग, बनारसी ठंडई, वाराणसी साफ्ट स्टोल जाली 18-वर्क बनारस तबला, चुनार बलुआ पत्थर, बनारस शहनाई, वाराणसी वुड कार्विंग, बनारस लाल भरवा मिर्च, बनारस हैंड लाक प्रिंट, चिरईगांव करौंदा आफ वाराणसी, बनारस जरदोजी, बनारस लाल पेड़ा, मिर्जापुर पीतल बर्तन, बनारस मुरल पेंटिंग, जौनपुर इमरती, प्रतापगढ़ आंवला, मूंज क्राफ्ट आफ उत्तर प्रदेश, वाराणसी जरदोजी, बनारस तिरंगी बर्फी और बनारस धातु ढलाई शिल्प( मेटल कास्टिंग क्राफ्ट).
इन सिटीज से भी जीआई टैग
प्रयागराज-सुरखा
लखनऊ-चिकन क्राफ्ट, लखनऊ जरदोजी
कानपुर-सैडलरी
मेरठ-कैंची
आगरा-लैदर फुटवियर
मथुरा-सांजी क्राफ्ट
प्रतापगढ़-आंवला
बरेली-जरदोजी, बरेली केन-बम्बू क्राफ्ट
जौनपुर - इमरती
एक नजर में जीआई
किसी भी रीजन का जो लोकल प्रोडक्ट होता है, उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है। उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रॉसेस होती है। जिसे जीआई टैग यानी जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर कहते हैं। संसद ने उत्पाद के रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण को लेकर दिसंबर 1999 में अधिनियम पारित किया था। इसे 2003 में लागू किया गया। इसके तहत भारत में पाए जाने वाले प्रॉडक्ट के लिए जी आई टैग देने का सिलसिला शुरू हुआ।
उत्तर प्रदेश के लिए यह बहुत गौरव का पल है। जीआई प्रोडक्ट में उत्तर प्रदेश देश नंबर 1 बन गया है। जीआई टैग भारतीय उत्पादों की प्रतिष्ठा और गुणवत्ता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। वे उन क्षेत्रों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में भी मदद करते हैं, जहां उत्पाद उत्पादित होते हैं।
डॉ। रजनीकांत, पद्मश्री जीआई एक्सपर्ट, वाराणसी