VARANASI

भारतीय रेल सेवा में 'मुस्कान के साथ' का स्लोगन पैसेंजर्स को मुंह चिढ़ा रहा है। ठंड के मौसम में सुबह की ट्रेन दोपहर, दोपहर की ट्रेन शाम में पहुंचने की वजह से यात्रियों की फजीहतों का अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। ट्रेनों की लेटलतीफी की वजह से पैंट्रीकार का खाना भी बार-बार गर्म करने के बाद भी खाने लायक नहीं रह जा रहा है, पैक्ड फूड भी जवाब दे जा रहे हैं। पैंट्रीकार कर्मी भी परेशान हैं लेकिन विवश हैं रेलवे के इस लाचार सिस्टम से। मंगलवार को डीजे आई नेक्स्ट की टीम ने कैंट स्टेशन पर ट्रेन फैसिलिटीज का जायजा लिया। लगभग आधा दर्जन ट्रेनों की पड़ताल में यह सामने आया कि पैंट्रीकार की सुविधा लेने से पैसेंजर्स इनकार कर दे रहे हैं। अपराह्न तीन बजकर क्ख् मिनट पर प्लेटफॉर्म नंबर पांच पर पहुंची नई दिल्ली से राजगीर जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस के पैंट्रीकार में महज भ्फ् पैसेंजर्स ने ही खाना की बुकिंग कराई थी। पैंट्रीकार मैनेजर का मानना था कि ट्रेनों की लेटलतीफी की वजह से यात्रियों का मोह पैंट्रीकार के भोजन से भंग होता जा रहा है। वहीं पैसेंजर्स का कहना है कि पैंट्रीकार के खाने में स्वाद की कमी है, साफ-सफाई का भी अभाव है।

 

उपासना से पटना-कोटा तक बदहाल

विलंबित ट्रेनों की श्रृंखला में शामिल उपासना एक्सप्रेस और पटना-कोटा के पैंट्रीकार में भी खाना की बुकिंग आधी हो गई है। वजह, सिर्फ और सिर्फ ट्रेन्स की लेटलतीफी की चलते ऑर्डर कैंसिल होने व खाना खराब होने के डर से ऐसा हो रहा है। पैंट्रीकार मैनेजर की मानें तो अभी यह सिलसिला शुरू हुआ है। पूरे ठंड के दौरान तक यही हाल रहेगा।

 

जितना ऑर्डर, उतना ही खाना तैयार

पैंट्रीकार में पड़ताल के दौरान मैनेजर ने बताया कि खाद्य सामग्री का स्टाक साथ लेकर चलते हैं। ऑर्डर मिलने के बाद ही भोजन पकाने का काम शुरू होता है। हालांकि कोहरे की वजह से यात्रियों की बुकिंग आधी हो गई है। मगर, कोशिश यही रहती है कि हर यात्री को बेहतर से बेहतर लजीज खाना खिला सकें।

 

 

पैंट्रीकार के खाने में क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों की कमी है। इतने दिनों से सफर कर रहा हूं, यह बखूबी जानता हूं।

अमित सिंह, पैसेंजर्स

 

 

रेलवे बस दावा करता है कि हर सामान अच्छा मिलेगा लेकिन ऐसा होता नहीं है। अभी भी रेलवे में बहुत बदलाव की जरूरत है।

सोनू कुमार, पैसेंजर्स

 

 

चार से पांच घंटे ट्रेन लेट से चल रही है। ऐसे में पैंट्रीकार का खाना बार-बार गर्म करके ही ना मिलेगा। ऐसे खाने से तो बीमारियां ही जकडे़ंगी।

आसिफ अली, पैसेंजर्स

 

 

 

जितना ऑर्डर मिलता है उतना ही खाना पकाया जाता है। ट्रेनों की लेटलतीफी की वजह से खाना की बुकिंग में कमी आई है।

अखिलेश सिंह, पैंट्रीकार मैनेजर

श्रमजीवी एक्सप्रेस