वाराणसी (ब्यूरो)मंकर संक्राति के चलते प्रमुख गंगा घाटों से जुड़े मार्गों पर रविवार-सोमवार दोपहर तक वाहनों की एंट्री पर रोक हैविश्वनाथ धाम में भीड़ के चलते गोदौलिया से मैदागिन मार्ग पर वीआईपी को छोड़कर चार पहिया वाहनों की आवाजाही पर बैन हैमौके पर तैनात ट्रैफिक पुलिस इसका सख्ती से पालन भी कराती है, लेकिन साहब की गाड़ी आते ही वे बेबस हो जाते हैंयह नजारा अक्सर गोदौलिया और अन्य चौराहों पर दिख जाता हैरविवार दोपहर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की पड़ताल में जंगमबाड़ी और गोदौलिया पर यह तस्वीर भी सामने आईयही नहीं, शहर में सत्ताधारी दल के भौकाली लोग होते हैं, जो जानबूझ कर नियमों का उल्लंघन करते हंैहालांकि कभी-कभार पुलिस के आगे उनकी रौब दम तोड़ देती है.

रूल्स तोडऩे पर एक्शन

एसीपी ट्रैफिक विकास श्रीवास्तव बताते हैं कि शहर में ट्रैफिक रूल्स तोडऩे वालों को बख्शा नहीं जाता हैनिजी या सरकारी गाड़ी हो, नियमानुसार सभी का चालान किया जाता हैआंकड़ों की बात करें तो जनवरी से दिसंबर 2023 के दौरान शहर में नो पार्किंग में खड़ी 64557 गाडिय़ों का चालान किया गयाइसी तरह फाल्टी नंबर प्लेट पर 76059 वाहनों का चालान करते हुए जुर्माना वसूला गयाशहर के प्रमुख चौराहों पर अक्सर रूल्स तोड़ती सरकारी गाडिय़ां दिख जाएंगी, जिसमें रोडवेज बस, नगर निगम के वाहन, विभिन्न विभागों की गाडिय़ां भी शामिल हैं.

मंत्री की गाड़ी का चालान

जुलाई 2020 में स्कार्पियो पर भाजपा का झंडा, सूबे के प्रदेश मंत्री का पास लगा हुआ थाहूटर बजाते हुए लहरतारा की तरफ से तेज रफ्तार स्कार्पियो अंधरापुल की तरफ जा रही थीस्कार्पियो की रफ्तार देख कैंट रेलवे स्टेशन पर खड़े ट्रैफिक सिपाही ने हाथ दिया तो चालक ने तेजी से ब्रेक मारा और कहा कि पहचान नहीं रहे हो, यह किसकी कार हैउंगली दिखाते हुए कहा, देखो क्या लिखा हैजब सचिवालय के अंदर जाने से कोई नहीं रोकता है तो फिर क्यों हाथ दियाट्रैफिक सिपाही ने हूटर बजाने और शीशे पर काली फिल्म लगाने पर आपत्ति जताई तो अंदर बैठे नेता जी सत्ता का रौब दिखाने लगेऐसे में ट्रैफिक सिपाही ने नेता जी को नियम का पाठ पढ़ाते हुए हूटर बजाने और काली फिल्म लगाने का जुर्माना 3500 रुपये कर दिया.

सरकारी गाडिय़ों को अलग नंबर

शहर में सरकारी गाडिय़ों की पहचान यूपी 65 एजी नबंर से होती हैयह एल्फाबेट सिर्फ सरकारी गाडिय़ों को अलाट होता हैआरटीओ विभाग के अनुसार एजी एल्फाबेट नबंर की लगभग एक हजार गाडिय़ां है, जो विभिन्न विभागों से अटैच है, जिसमें अधिकतर पुलिस विभाग के पास हैइसके अलावा लखनऊ नंबर की तमाम गाडिय़ां बनारस में तमाम आला अधिकारियों को अलाट हैएक हजार से अधिक गाडिय़ां प्राइवेट भी लगी हैं, जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार या भारत सरकार लिखा रहता है.

ट्रैफिक नियम तो सभी के लिए होता है, लेकिन हकीकत कुछ और हैआम पब्लिक के अंदर पुलिस का डर रहता है, लेकिन अफसर तो अफसर होते हैंइनके लिए ट्रैफिक रूल्स कोई मायने नहीं रखता है.

पिंटू यादव

शहर में अक्सर वीआईपी मूवमेंट रहता हैचौराहे पर रेड लाइट होने पर आम पब्लिक खड़ी रहती है, लेकिन जैसे कोई हूटर बजती गाड़ी आती है तो उसे तुरंत पास दिया जाता है.

मोहम्मद निसार

पुलिस की सख्ती के बावजूद वाहनों के नंबर प्लेट पर जाति लिखा रहता हैसमय-समय पर पुलिस चालान भी करती हैवाहनों को सीज भी किया जाता हैऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

महेश पटेल

पब्लिक पर पुलिसिया कार्रवाई अक्सर दिखती है, लेकिन कभी वीआईपी या सत्ताधारी दल के लोगों पर पुलिस का एक्शन नहीं दिखता है, जबकि ट्रैफिक रूल्स सबके लिए एक है.

आशुतोष सिंह

ट्रैफिक रूल्स सभी के लिए एक हैनो एंट्री में सिर्फ वीआईपी और जरूरतमंद लोगों को ही पास कराया जाता हैसरकारी गाडिय़ां भी रूल्स का पालन करती हैं.

विक्रांत वीर, डीसीपी ट्रैफिक