वाराणसी (ब्यूरो)। दीपावली के बाद अब डाला छठ के मार्केट से कारोबारी गदगद हैं। इनमें पीतल, दउरा, पीतल की थाली, कलश के कारोबारियों की इन दिनों बमबम है। वजह मार्केट में इस बार पीतल के सूप की बंपर खरीदारी हुई। छोटे साइज से लेकर बड़े साइज तक सूप लोगों ने पसंद किया है। इसको देखते हुए सूप के रेट में भी 10 से 15 परसेंट का उछाल आया है। इसके बाद भी डिमांड कम नहीं हुई। आप यकीन नहीं मानेंगे दो दिनों के अंदर दस हजार पीस सूप की खरीदारी हुई है.
दो दशक पहले कोई नहीं जानता था
काशी में डाला छठ को दो दशक पहले बहुत कम ही लोग जानते थे। उस समय घाटों पर भीड़ भी नहीं के बराबर होती है। लेकिन धीरे-धीरे डाला छठ के पर्व काशी में छा गया। अब घाट से लेकर कुंड और तालाबों में पूजन करने के लिए लोगों की भीड़ होती है। इसको देखते हुए कारोबारी एक महीना पहले से ही सूप, दउरा बनाना शुरू कर देते है.
छठ मईया और सूर्य देव आकृति
मार्केट के कारोबारियों का कहना है कि मार्केट में सबसे अधिक सूर्य और छठ मइया की आकृति वाली सूप की डिमांड ज्यादा है। इनमें पीतल के सूप मौजूद है। दोनों की साइज भी अलग है इसलिए दोनों के रेट में भी अंतर है.
बिहार और झारखंड तक जाते सूप
काशीपुरा के राकेश कुमार का कहना है कि यहां के सूप सिर्फ पूर्वांचल में नहीं बिकते हैं बल्कि यूपी से सटे बिहार और झारखंड तक जाते हंै। यही नहीं कई कारोबारी ऐसे हैं जो पीतल के सूप को विदेशों में भी एक्सपोर्ट करते हैं। डाला छठ को दो महीना का समय रहता है तो सूप बनाने की तैयारी में जुट जाते हंै.
पीतल का दउरा, कठौती की मांग
कारोबारियों का कहना है कि बिहार और झारखंड में सूर्य और छठ मइया की आकृति वाली सूप को काफी पसंद किया जाता है। यही वजह है कि हर साल दो लाख पीस पीतल और तांबे का सूप बिहार और झारखंड भेजा जाता है। इसे तैयार करने में कारोबारी जुट जाते हैं। इसके अलावा पीतल का दउरा, कठौती, छिलनी, लक्ष्मी-विष्णु भगवान की मूर्ति की भी खरीदारी हो रही है.
परात, कलश की भी मांग
मार्केट में सूप के अलावा परात और कलश की भी खरीदारी जोरों पर चल रही है। सूर्य देव की पूजा करने के लिए कलश लेकर जाते हंै। इसलिए पीतल के कलश के अलावा पीतल के परात की भी खरीदारी तेजी पर है। इन पर भी कारोबारियों ने आकृति बनाकर मार्केट में उतारा है। हालांकि कीमत में 15 से 20 परसेंट उछाल आने के बाद भी खरीदारी कोई कमी नहीं आई है.
पीतल के सूप की खरीदारी काफी हो रही है। दो दिनों के अंदर दस हजार से अधिक सूप की बिक्री हुई है.
राकेश जैन, बर्तन कारोबारी
अब तो पीतल की सूप की सबसे अधिक मांग पूर्वांचल के जिलों में है। इसके अलावा बिहार और झारखंड तक भी भेजा जाता है.
राकेश कुमार, कारोबारी