-शहर में डेली आने वाले सैकड़ों पर्यटकों को सुरक्षा और सुविधा देने के लिए बनाई गई टूरिस्ट पुलिस के पास सुरक्षा के नाम पर नहीं है एक अदद डंडा
- दो साल पहले शासन के पास वॉकी-टॉकी और पिस्टल के लिए भेजा गया प्रस्ताव आज तक नहीं हो सका पास
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अपना शहर बनारस जहां के घाट, गंगा, सारनाथ और कैंट स्टेशन पर डेली सैकड़ों पर्यटक आते जाते हैं। इन प्लेसेज पर सैलानियों को सुविधा संग सुरक्षा मुहैया कराने के लिए यूं तो कई तरह की तैयारियों का दावा किया जाता है लेकिन इनकी मदद और सुरक्षा के लिए मेनली बनाई गई टूरिस्ट पुलिस के नाम पर सिर्फ वर्दीधारी ही मौजूद रहते हैं। यानि बगैर किसी टूल के इन स्थानों पर तैनात टूरिस्ट पुलिस आने वाले मेहमानों की सुरक्षा का दम भर रही है। ये हाल तब है जब अमेरिका, रूस और कई दूसरे देशों ने भारत जाने वाले अपने लोगों को आईएस जैसे आतंकी संगठन से होने वाले हमले की आशंका व्यक्त करते हुए भीड़-भाड़ और पॉपुलर प्लेसेस पर जाने से बचने की सलाह दी है।
बस नाम की है पुलिस
बनारस और आगरा ये दो शहर ऐसे हैं जहां आने वाले विदेशी पर्यटकों की ज्यादा संख्या को देखते हुए यूपी टूरिज्म की तरफ से टूरिस्ट पुलिस का कांसेप्ट लाया गया। अलग अलग आर्म्ड फोर्सेस से रिटायर्ड कर्मियों का सेलेक्शन करने के बाद उनकी भर्ती टूरिस्ट पुलिस में बतौर इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर और कांस्टेबल की पोस्ट पर की गई। नेवी ब्लू पैंट और ब्लू शर्ट की वर्दी में दिखने वाली टूरिस्ट पुलिस शहर में आने वाले सैलानियों की मदद के लिए सबसे पहले कैंट स्टेशन और एयरपोर्ट पर ही मौजूद रहती है। यहां हर तरह की संभव मदद देने के बाद घाट, सारनाथ और मुख्य मंदिरों में भी इनकी तैनाती है लेकिन बस रोना इसी बात का है कि वर्दी पहनी ये पुलिस सिर्फ नाम की पुलिस है। सुरक्षा और सुविधा के नाम पर इनके पास कुछ भी नहीं है।
दर्ज है टूरिस्ट बुक में नाम
भले ही टूरिस्ट पुलिस के पास सैलानियों की मदद और सुरक्षा के लिए न ही वॉकी टॉकी और कोई वेपेन या लाठी तक न हो लेकिन ये अपनी अच्छी सेवा की बदौलत लंदन स्थित 41 साल पुरानी विश्व की ख्याति प्राप्त ट्रैवल पब्लिशर लोनली प्लैनेट की ओर से पब्लिक होने वाली वर्ल्ड बुक में अपना नाम दर्ज करा चुकी है। इस बुक में पर्यटक से जुड़ी सुविधा और सुरक्षा से जुड़ी वा जानकारियां होती है जो सैलानियों के लिए नये देश में जाने पर जरूरी होती हैं।
कुछ नहीं है इनके पास
- बनारस में टूरिस्ट पुलिस की कुल स्ट्रेंथ 35 है
- इनमें दो इंस्पेक्टर, चार सब इंस्पेक्टर और 29 कांस्टेबल हैं
- इनकी तैनाती कैंट रेलवे स्टेशन, राजेन्द्र प्रसाद घाट, सारनाथ और एयरपोर्ट पर है
- इनकी जिम्मेदारी विदेशी और देशी सैलानियों की हर संभव मदद करने की है
- लेकिन सुविधा के नाम पर इनके पास कुछ नहीं है
- न ही सीयूजी नंबर, न वॉकी टॉकी और न सुरक्षा के लिए कोई वेपेन
- जिसके कारण कई बार किसी सैलानी संग कोई घटना होने पर टूरिस्ट पुलिस भी लाचार हो जाती है
- दो साल पहले इनको वॉकी टॉकी और वेपेन देने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था
- लेकिन आज तक उस पर कोई काम नहीं हुआ
क्राइम के दौरान भी मददगार
- टूरिस्ट पुलिस का वर्क सैलानियों संग किसी तरह के क्राइम होने पर उनकी मदद करना भी है
- संबधित थाने तक ले जाना और तहरीर लिखकर देना इनका काम है
- थानों पर भी स्पष्ट निर्देश हैं कि टूरिस्ट पुलिस संग किसी पर्यटक के पहुंचने पर उसे परेशान न किया जाये
- मामला कहीं का हो पहली सूचना मिलते ही मामला दर्ज किया जाये
- आईजी जोन ने पर्यटक पुलिस की हर संभव मदद का निर्देश हर थानों को दे रखा है
कब होते हैं मददगार
- रेल टिकट खो जाने, पासपोर्ट मिस हो जाने, रुपये या अन्य सामान चोरी होने, बैग चोरी होने, पॉकेट कट जाने, टैक्सी का भाड़ा ज्यादा मांगे जाने के दौरान, शहर के मेन प्लेसेस के बारे में जानकारी देने के लिए और किसी भी तरह की मदद के लिए।
हां, ये तो सच है कि इनके पास सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है लेकिन टूरिस्ट पुलिस को हाईटेक करने की प्लानिंग चल रही है। मुझे उम्मीद है कि बहुत जल्द ही टूरिस्ट पुलिस के पास खुद की गाड़ी, सीयूजी नंबर और वॉकी टॉकी भी होगा।
रविन्द्र मिश्रा, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी