वाराणसी (ब्यूरो)। गर्मी की छुट्टियां होने के बाद लोग देश-विदेश में घूमने का प्लान करने वालें टूर पर जाने लगे है। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी है जो पूरी फैमिली मेंबर्स खुद इसलिए टूर पर नहीं निकल पा रहे है कि अगर वे भी चले गए तो उनके डॉगी का ख्याल कौन रखेगा। उसे किसी रिश्तेदार या पड़ोसी को देना भी खतरे से खाली नहीं है। इस बात की टेंशन हर उस सख्स को है जिन्होंने डॉगी पाल रखा है, तो ऐसे लोगों को टेंशन लेने की जरुरत नहीं है। अब आप बेफिक्र होकर टूर पर जा सकते हैं, क्योंकि आपके डॉगी और टॉमी की सुरक्षा इंतजाम हो चुका है। स्मार्ट सिटी बनारस में इन दिनों कई सारे ऐसे डॉग हॉस्टल संचालित हो रहे है, जहां छुट्टियां मनाने टूर पर जा रहे लोग अपने डॉगी-टॉमी को यहां लाकर महफूज रख रहे हैं.
खाने-पीने के साथ सुरक्षा भी
इन हॉस्टल्स में रहने वाले डॉगी को उनके डाइट चार्ट के हिसाब से खाना-पीने देने के साथ ही पूरी सुरक्षा भी दी जाती है। सौरभ पेट कैनल के ओनर सौरभ वर्मा बताते हैं कि उनके उनके हॉस्टल में आने वाला डॉगी हो या पपी सभी को पूरी सुरक्षा दी जाती है। जो अपने डॉग को हॉस्टल में रखते हैं उनसे उसकी डाइट चार्ट ली जाती है। उसी के हिसाब से उन्हें खुराक दिया जाता है। साथ ही उस डॉगी के रुटीन, जैसे कितना घूमाना है, नहाने-धोने की टाइमिंग और बिहैवियर आदि की जानकारी ली जाती है, जिससे उनकी केयर करने मेें कोई प्रॉब्लम न हो।
हेल्थ की भी करते हंै केयर
सौरभ डॉग कैनल के हॉस्टल में एक साथ 25 डॉग रखे जाते हंै। हॉस्टल में डॉगी के आने से पहले उसका मेडिकल चेकअप भी किया जाता है। यहां रहने के दौरान यदि कोई डॉगी बीमार हो जाए तो उसका मुकम्मल इलाज भी कराया जाता है.
नए माहौल में एडजस्ट हो जाते है पेट्स
घर से बाहर नए माहौल में एडजस्ट कर पाना पेट्स के लिए कितना आसान होगा, इस तरह के सवाल आपके मन में भी जरुर उठ रहे होंगे। अगर आपको अपने पेट्स को हॉस्टल में छोडऩा पड़े तो बहुत परेशान होने की जरुरत नहीं है। यहां जब भी कोई पेट्स जाता है तो उसे पहले दिन थोड़ी दिक्कत होती है, उसके बाद सब नॉर्मल हो जाता है। इनकी केयर के लिए एक दो नहीं 6 से 7 लोग लगे रहते है.
डॉगी को ऐसी मिलती है सुविधाएं
-डेली सुबह-शाम वॉक कराया जाता है
-सुबह में सभी को हल्का नाश्ता
-सुबह-शाम दोनों समय भरपेट फूड
-फूड में रॉयल केयर की पेडीग्री, दूध, ब्वॉयल एग.
-सप्ताह में तीन दिन मटन-चिकन
-पेट्स को गर्मी न लगे इसके लिए कूलर-एसी की व्यवस्था
-सर्दी में हॉट एरिया में रखने के साथ ब्लोवर-हीटर
-बीमार होने पर तत्काल ट्रीटमेंट
इतना आता है खर्च
800
से 1000 हजार रुपए आता है खर्च
400
से 500 का खर्च सिर्फ खाने पर आता है
प्वाइंट टू बी नोटेड
-कुछ केस में डॉग ब्रीड के मुताबिक खर्च कम या ज्यादा हो जाता है.
-पेट्स को अपनी जरूरत के मुताबिक हॉस्टल में छोड़ा जा सकता है।
-कोई चाहे तो सप्ताह महीने या एक साल तक भी छोड़ सकता है।
-अगर कोई एक्स्ट्रा केयर या फूड की मांग करता है तो उसे एक्स्ट्रा खर्च देने होते है।
समर वोकेशन के बाद से पेट्स लवर्स अपने डॉगी को हॉस्टल में लाकर रख रहे हैं। ये वो लोग हैं, जो पूरी फैमिली के साथ टूर कर रहे हैं। उनके हॉस्टल में सभी पेट्स की वैसे ही केयर की जाती है, जिस तरह से उनके ओनर करते हैं। यहां 7 स्टाफ मिलकर पेट्स की केयर करते हैं.
सौरभ वर्मा, ओनर, सौरभ डॉग कैनल
पेट्स प्रेमियों को बड़ी प्रॉब्लम उस वक्त होती है, जब उन्हें कहीं टूर पर जाना होता है। उनके हॉस्टल में ऐसे ही लोग आकर अपने डॉगी को छोड़ जाते हैं। क्योंकि जो लोग अपने रिलेटिव या पड़ोस में डॉग को रखते हंै तो वहां उनकी केयर नहीं हो पाती। गर्मी की छुट्टियां होने के बाद हॉस्टल में डॉग्स रखने वालों की संख्या बढ़ी है.
जैकी राइस, हॉस्टल संचालक