वाराणसी (ब्यूरो)। कैसे शहर स्मार्ट होगा जब डिपार्टमेंट का यह हाल है। स्मार्ट सिटी ने करीब एक करोड़ थ्री डी साफ्टवेयर मंगा रखा है लेकिन आज तक उससे जीआईएस सर्वे नहीं कराया गया। नगर निगम ने टूडी साफ्टवेयर से सिटी के मकानों, होटलों और भवनों का जीआईएस सर्वे कराकर बकाया भी वसूलना शुरू कर दिया लेकिन स्मार्ट सिटी का थ्रीडी साफ्टवेयर पिछले पांच साल विभाग में पड़ा शोपीस बना हुआ है। थ्रीडी साफ्टवेयर को चलाने के लिए स्मार्ट सिटी के जीएम ने स्मार्ट सैलरी पर स्टाफ की भी नियुक्ति की है। लेकिन उससे सर्वे का कार्य क्यों नहीं लिया गया है सवाल अभी भी खड़ा है।
थ्रीडी की जगह टूडी से हुआ सर्वे
शहर के मकानों, हास्पिटलों, शोरुम्स और कॉमर्शियल भवनों का जीआईएस सर्वे के लिए नगर निगम ने टूडी साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था। बीच-बीच में टू डी साफ्टवेयर में दिक्कतें आयी लेकिन धीरे-धीरे किया गया। शहर के सर्वे में टूडी साफ्टवेयर धड़ल्ले से चला नहीं वहीं स्मार्ट सिटी थ्रीडी साफ्टवेयर से सर्वे कराने के लिए महंगा साफ्टवेयर मंगा रखा था.
शोपीस बना थ्रीडी साफ्टवेयर
नगर निगम टूडी साफ्टवेयर से सर्वे भी करा लिया स्मार्ट सिटी का थ्रीडी साफ्टवेयर डिपार्टमेंट में ही शोपीस बना हुआ है। थ्रीडी साफ्टवेयर से न तो जीआईएस सर्वे कराया गया और न ही इस साफ्टवेयर को कंपनी को वापस किया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि जीआईएस सर्वे कराने के लिए पांच साल पहले कर्मचारी की नियुक्ति भी की गयी। उसे वेतन भी दिया जा रहा लेकिन सर्वे का सारा काम नगर निगम ने किया.
टूडी साफ्टवेयर से सारा सर्वे
मेयर अशोक तिवारी का कहना है कि शहर के मकानों का पूरा सर्वे टूडी साफ्टवेयर से ही किया गया। दो मंजिला मकान हो या फिर कॉमर्शियल भवन सभी का सर्वे कराया गया। धीरे-धीरे सर्वे का काम भी पूरा हो गया लेकिन स्मार्ट सिटी के पास थ्रीडी साफ्टवेयर के बारे में जानकारी नहीं है लेकिन पता करुंगा कि थ्रीडी साफ्टवेयर से जीआईएस सर्वे क्यों नहीं कराया गया। स्मार्ट फीचर होने के बाद क्यों नहीं इस्तेमाल किया गया.
कैसे शहर होगा स्मार्ट
बनारस कैसे स्मार्ट होगा जब स्मार्ट सिटी विभाग के अफसरों का यह हाल है। एडवांस फीचर मंगवा कर रख ले रहे हैं लेकिन सर्वे कराना भूल गए हैं। इस बाबत पार्षदों का कहना है कि टूडी फीचर शहर में कायदे से चल ही नहीं रहा था थ्रीडी कैसे चलता। यह स्मार्ट सिटी के अधिकारी ही जान सकते हैं। थ्रीडी साफ्टवेयर पर लाखों रुपए खर्च करने की बजाय अगर वार्डों को निखारने के लिए मिले होते तो काफी कार्य हुए होते।
शहर के मकानों का सर्वे टूडी साफ्टवेयर से कराया गया था। धीरे-धीरे सभी मकानों और कॉमर्शियल भवनों का सर्वे हो भी गया। स्मार्ट सिटी के पास थ्रीडी साफ्टवेयर है, इसके बारे में पता करुंगा.
अशोक तिवारी, मेयर