वाराणसी (ब्यूरो)। धर्मनगरी काशी में दशहरा पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। शहर में जगह-जगह अत्याचार रूपी रावण को जलते देखने के लिए बच्चे-बड़े और महिलाएं भी घरों से निकलती हैं। दशहरा पर बुराई के प्रतीक पुतले तो जल जाएंगे लेकिन स्मार्ट सिटी वाराणसी में वर्षों से मुश्किलें बढ़ रही समस्या रूपी रावण उसी तरह अट्टहास करते नजर आएंगे। तमाम प्रयास के बावजूद बनारस में आज भी टै्रफिक जाम, कूड़ा-गंदगी, ध्वस्त सीवेज व्यवस्था, अतिक्रमण, भिक्षावृत्ति, ध्वनि-वायु प्रदूषण, नशा, खराब सड़कें, महंगाई और लचर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं रूपी समस्याओं के रावण के मकडज़ाल में फंसकर शहर की 30 लाख की आबादी जूझ रही है। हालांकि हर दिन संबंधित विभाग की ओर से इसे बेहतर करने का प्रयास होता है। सरकार ने हजारों करोड़ रुपये दिए, लेकिन हालात नहीं सुधर सके हैं। आइए, इस बार के दशहरे पर समस्या रूपी रावण का वध करने का संकल्प लें.
1-टै्रफिक जाम
शहर में 20 से अधिक ऐसे स्थान हैं, जहां रोजाना जाम लगना आम बात है। राहत देने के लिए ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनान रहते हैं, लेकिन अवैध पार्किंग, पटरियों पर अतिक्रमण, बगैर परमिट के वाहनों, यातायात नियमों की अनदेखी के कारण जाम की समस्या कम नहीं हो रही है.
जी-20 सम्मेलन की बैठकों और सावन में हमने यातायात को बेहतर बनाए रखने का सफल प्रयास किया। रोजाना यही प्रयास रहता है कि शहर की यातायात व्यवस्था सुचारु रहे.
राजेश पांडेय, एडीसीपी ट्रैफिक
2-अतिक्रमण
सड़कों से लेकर गलियों तक अतिक्रमण से शहर जूझ रहा है। पटरियों पर पुलिस स्टेशन, बिजली के ट्रांसफार्मर से लेकर चबूतरे और अस्थाई बाजार मुसीबत के सबब बन गए हैं। अनियोजित विकास के चलते सड़कों और गलियों पर कब्जा कर लिया गया हैं। तालाबों-कुंडों को पाटकर कॉलोनियां बना ली गई हैं.
3-महंगाई
वाराणसी की जनता भी महंगाई से जूझ रही है। कभी टमाटर लाल हो जाता है तो कभी प्लाज रूलाता है। व्यापारियों की जमाखोरी के चलते आटा, दाल और चीनी के तेवर भी कम ही नहीं होते हैं। पब्लिक समझ ही नहीं पाती है कि सरकार के तमाम दावों के बावजूद खाने-पीने का सामान सस्ता क्यों नहीं होता है।
4-खराब सीवेज व्यवस्था
शहर की सीवेज व्यवस्था को सुधारने के लिए करोड़ों रुपये खर्च हुआ, लेकिन आज भी इससे निजात नहीं मिली। नई सीवर लाइन भी डाली गई है। गोइठहां में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट व दीनापुर सीवेज प्लांट की क्षमता वृद्धि हुई, लेकिन आबादी के हिसाब पर्याप्त नहीं है.
5-कूड़ा-गंदगी
स्मार्ट शहरों की सूची में शामिल बनारस की स्थिति स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में अक्सर अच्छी रहती है। लेकिन आज भी शहर में कूड़ा निस्तारण की मुकम्मल व्यवस्था कारगर साबित नहीं हो रही है। हालांकि डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के साथ नगर निगम की ओर से लगातार बेहतर प्रयास भी होता है। गलियों से कॉलोनियों की सड़कों तक रोजाना 600 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है।
6-ध्वनि प्रदूषण
शहर के कई इलाकों में हवा में पार्टिक्यूलेट मैटर 2.5 माइक्रोग्राम (बारीक धूल कण) की मात्रा तीन गुना से भी अधिक पाई गई है। शहर के 239 अस्पतालों के बायोमेडिकल कचरे के साथ ही 350 एमएलडी से अधिक गंदा पानी गंगा रोज में बहाया जा रहा है। ध्वनि प्रदूषण के कारण श्रवण शक्ति कमजोर हो रही है.
7-भिक्षावृत्ति
जी-20 की बैठक के मद्देनजर पूरे शहर में भिक्षावृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए व्यापक अभियान चलाया गया। नगर निगम और पुलिस की टीम ने बड़ी संख्या में भिखारियों को पकड़कर शहर से बाहर किया, लेकिन प्रशासन की सुस्ती के बाद गंगा घाट से लेकर मंदिरों के बाहर फिर से भिखारियों का जमावड़ा लगने लगा है। चौराहों पर अक्सर ये झुंड में दिख जाएंगे.
शहर को स्वच्छ रखने के लिए लगातार बेहतर प्रयास हो रहे हैं। इसका रिजल्ट भी दिख रहा है। सफाई, कूड़ा निस्तारण, अतिक्रमण, सीवर व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए नगर निगम की टीम काम भी कर रही है।
दुष्यंत मौर्या, अपर नगर आयुक्त
8-नशा
बनारस को नक्शा मुक्त करने की मंशा शासन की है। कमिश्नरेट पुलिस काम भी कर रही है। बावजूद इसके भांग की दुकान से खुलेआम गांजा बिक रहा है। चोरी-चुपके अवैध रूप से हुक्का बार भी चल रहा है, जिसके चलते बड़ी संख्या में युवा नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। कैंट से लेकर शहर के कई इलाकों में सेक्स रैकेट भी चल रहा है.
शहर में मादक पदार्थ की बिक्री पर अंकुश लगाया गया है। थानावार पुलिस को अलर्ट किया गया है। संयुक्त यप से भी पुलिस टीम लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही है।
आरएस गौतम, डीसीपी काशी जोन
9-लचर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं
बनारस की स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रदेश सरकार का फोकस है। जिला और मंडलीय अस्पताल में फ्री डायलिसिस की व्यवस्था है। अभी हाल में सरकार ने सारनाथ में डायलिसिस यूनिट खोलने की घोषणा की है, लेकिन स्थानीय स्तर पर लचर व्यवस्था से आम पब्लिक को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
पहले से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में काफी सुधार आया है। जिला और मंडलीय समेत सभी सीएचसी और पीएचसी पर लोगों को जांच से लेकर दवा तक मिल रही है। व्यवस्था की जांच के लिए समय-समय पर निरीक्षण भी किया जाता है।
डॉ। संदीप चौधरी, सीएमओ
10-खराब सड़कें
जी-20 के मद्देनजर एयरपोर्ट से लेकर गंगा घाट तक सड़कों को दुरुस्त किया गया। इसके अलावा शहर की हर साल सड़कों के निर्माण और मरम्मत पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन हल्की बारिश में सड़कें दम तोडऩे लगती हैं। सबसे ज्यादा खराब कैंट से लेकर वरुणा पार इलाके की है। इनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है। इसके अलावा नगरीय सीमा से सटे इलाकों में सड़कों की स्थिति बदहाल है.