वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस में दूर या अन्य प्रदेशों से दर्शन-पूजन व सैर-सपाटे के लिए आ रहे सैलानी सावधान हो जाएं। गंगा में समय से पहले ही जलस्तर कम होने पर रेत के टीले दिखने शुरू हो गए हैैं। इस कारण गंगा में उतर कर मौज-मस्ती, पिकनिक, स्नान-तैराकी करने वाले अपनी जान तक गवां दे रहे हैैं। अकेले मार्च में दर्जनभर से अधिक सैलानियों के गंगा में डूबने से मौतें हुई हैं। मंगलवार को इंटर की परीक्षा देने के बाद बनारस घूमने आए छात्र की ललिता घाट पर नहाते समय मौत हो गई। होली के दिन बीएचयू का एक स्टूडेंट डूबकर मर गया तो अगले दिन पटना से बनारस घूमने आए दो युवकों की स्नान के दौरान गहरे पानी में डूबकर मौत हो गई। मिड मार्च के बाद गंगा का वाटर लेवल घटने से गंगा में स्नान और मौज-मस्ती के छिछले पानी में उतरे सैलानी कब गहरे पानी में समा गए। उन्हें ही खबर नहीं लगी। बहरहाल, जल पुलिस, नगर निगम और एमडीआरएफ का दावा है कि गंगा घाट, स्नान और पूजा-पाठ के लिहाज से सेफ है। जबकि, गंगा में डूबकर मरे हुए व्यक्तियों के आंकड़ें प्रशासनिक विफलता की कहानी कह रहे हैैं.
भंवर में फंस जाते हैैं सैलानी
बनारस में गंगा दक्षिण से उत्तर दिशा में बहती हैं। शहर किनारे पक्के घाट होने की वजह से पानी काफी देर तक घाटों से टकराकर दोबारा धारा में जा मिलता है। इसमें से भी कुछ पानी जल तरंग की वजह से गंगा में खतरनाक भंवरों को जन्म देता है। इन भंवरों का दायरा करीब 22 फीट में होता है। कम पानी के धोखे में यदि कोई भंवर में फंस गया तो बच पाना मुश्किल होता है.
इकोसिस्टम को बिगाड़ रहे टीले
बनारस के राजघाट पर सैकड़ों लोगों को नदी से डूबने से बचाने वाले गोताखोर दुर्गा माझी कहते हैं कि राम नगर की साइड में बालू में खोदी मोदी नहर के चलते गंगा में अब अधिक भंवर बनने लगे हैैं। पानी कम होने पर सैलानी और पानी अधिक होने पर नौका चलाने में हमारे पसीने छूट रहे हैं। गंगा के पूर्वी किनारे से रेत का अवैध खनन भी समय से पहले टीले उभरने का कारण बन रहे हैैं। जो बालू पूर्व तरफ के किनारों पर जमा होनी चाहिए थी, वह रेत गंगा की पाट में जहां-तहां जमा हो रही है। गंगा में यह पटाव गंगा के इकोसिस्टम के खिलाफ है.
टीले से रहें अलर्ट, घाट पर ही करें स्नान
बनारस आया कोई भी सैलानी जिसे अच्छे से तैरना नहीं आता हो, वह गंगा में स्नान करने से बचें। रेत टीले के भ्रम में खुली गंगा में छलांग मारने से बचें। स्नान और पूजा-पाठ के लिए लोग घाट पर स्नान करें। घाट छोड़ पानी में नहीं उतरें। अपने साथियों और दोस्तों की निगरानी में स्नान करें। गंगा नदी में फ्रेंड्स से शर्त लगाकर एडवेंचर, स्नान और सर्फिंग से बचें। नहाने के दौरान धक्का-मुक्की नहीं करें। किसी भी अप्रिय हालात में घाट किनारे लोगों और मल्लाहों को तुरंत सूचना दें। इसमें पुलिस की भी मदद ले सकते हैैं.
आंकड़ों पर एक नजर
वर्तमान जलस्तर- 59.38 मी.
वार्निंग लेवल जलस्तर- 70.26 मी.
डेंजर लेवल जलस्तर- 71.26 मी.
बाढ़ लेवल जलस्तर- 73.90 मी.
गंगा में डूबने के बढ़े केसेज
केस-1
ललिता घाट पर मंगलवार की दोपहर नहाते समय इंटर के छात्र आर्यन सिंह (24) पुत्र नौबत सिंह निवासी मझोला, संभल की मौत हो गई। आर्यन अपने दोस्त राहुल सिंह (14) पुत्र हरिओम सिंह के साथ हरदोई के बालामऊ में इंटरमीडिएट की परीक्षा देने के बाद वाराणसी घूमने आया था। ललिता घाट पर नहाते समय आर्यन डूब गया। दोस्त के शोर मचाने पर मल्लाहों ने बाहर निकाला, तब तक उसकी मौत हो गई थी। आर्यन चार बहनों का इकलौता भाई था। उसके पिता की पहले ही मौत हो गई थी।
केस-2
होली को बीएचयू के स्टूडेंट की डूबकर
गंगा नदी में डूबने का पहला हादसा आनंदमयी घाट पर हुआ। बीएचयू के दृश्य कला संकाय के एमएफए द्वितीय वर्ष के छात्र 25 वर्षीय दशरथ दास होली खेलने के बाद अपने साथियों के साथ गंगा स्नान करने आया था। इस दौरान स्नान के दौरान वह गहरे पानी में चला गया। पुलिस ने शनिवार को दशरथ का शव गोताखोरों से निकलवाया.
केस-3
बिहार के दो युवकों की डूबकर मौत
गंगा में डूबने की दूसरी घटना 19 मार्च को ललिताघाट पर हुई। पटना के 35 वर्षीय राजीव रंजन अपने तीन अन्य दोस्तों अभिषेक कुमार, यशराज और पवन कुमार के साथ बाबा विश्वनाथ के दर्शन पूजन करने आए थे। शनिवार को दोपहर में चारों दोस्त गंगा स्नान करने लगे। इस दौरान राजीव और उनके दो दोस्त गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे। दोस्त के शोर मचाने पर दो युवकों को बचा लिया गया। लेकिन, लेकिन राजीव का पता नहीं चला और वह डूब गए। पुलिस ने गोताखोरों की मदद से राजीव का शव निकाला.