वाराणसी (ब्यूरो)। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने सोमवार की सुबह वाराणसी जिला जज के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे शुरू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील वजूखाने को छोड़कर टीम ने साढ़े पांच घंटे तक पश्चिमी, पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी दीवार, व्यास जी का कमरा, नमाज पढऩे की जगह, खंभों और कमरों की नाप-जोख करने के साथ पूरे कैंपस की जीपीएस से पैमाइश की। दोपहर में सुप्रीम कोर्ट से आदेश जारी होते ही सर्वे रुक गया। सर्वे के दौरान मुस्लिम पक्ष मौजूद नहीं रहा। उधर, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने की संभावना को देखते हुए हिंदू पक्ष की ओर से वादी राखी सिंह व अन्य पांच महिलाओं ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में कैविएट दाखिल की है.
जीपीएस की मदद से तैयार किया मैप
एएसआई की टीम संडे की रात में आ गई थी। मंडे को तय समय सुबह साढ़े छह बजे ज्ञानवापी कैंपस पहुंच गई। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच एएसआई की 43 सदस्यीय टीम अपने साथ कई जांच उपकरण भी साथ लाई थी। इसके अलावा फावड़ा, कुदाल, बेलचा आदि खोदाई का सामान भी था। टीम ने छह समूहों में परिसर के अलग-अलग हिस्सों की जांच की। जीपीएस से संबंधित 12 उपकरण श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के गेस्ट हाउस के चारों तरफ लगाए गए। ये उपकरण एक टैबलेट से जुड़े थे, जिस पर इमारत की इमेज आ रही था। इसकी मदद से पूरे परिसर का नक्शा बनाया गया.
फोटो और वीडियोग्राफी कराई
एएसआई की टीम ने वैज्ञानिक जांच के दौरान वहां मौजूद धार्मिक व ऐतिहासिक चिह्नों को देखा। इमारत की नींव के पास से मिट्टी और ईंट-पत्थर के नमूने जुटाए। पूरी कार्यवाही की फोटो खींची गई और वीडियोग्राफी कराई गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दोपहर 12 बजे सर्वे रोक दिया गया। मस्जिद पक्ष से सर्वे में कोई शामिल नहीं हुआ.
कमल, त्रिशूल, स्वास्तिक के निशान देखे
टीम ने वहां मौजूद हर कलाकृति व ढांचे की बारीकी से जांच की। मंदिर पक्ष के लोगों ने कमल, त्रिशूल, स्वास्तिक, घंटा, हाथी समेत अन्य निशान उन्हें दिखाए। टीम ने हर चीज का नाप लिया। सीढ़ी, कमरे, खंभे, पुराने निर्माण, नए निर्माण सबकी बारीकी से जांच की। टीम ने सबसे अधिक समय मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर दिया। वहां से होकर तीसरे गुंबद के नीचे जा रहे बंद रास्ते पर लगे प्लास्टर की जांच की। वजूखाने की नंदी से दूरी, दीवारों, सीढिय़ों की नाप-जोख की। पत्थरों की मोटाई और उसकी बनावट को देखा। ताला बंद होने की वजह से टीम मुख्य गुंबद और तहखानों के नीचे नहीं जा सकी। मंदिर पक्ष का दावा है कि उन स्थानों में मंदिर होने के मुख्य साक्ष्य हो सकते हैं। एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही में इन स्थानों का सर्वे नहीं हो सका था.
दोनों पक्षों ने क्या कहा
सर्वे को लेकर एएसआई या स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई थी। जिला जज के एएसआई सर्वे के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। उसके निस्तारण का भी इंतजार नहीं किया गया। इसलिए हम सर्वे में शामिल नहीं हुए.
एसएम यासीन, संयुक्त सचिव, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद
मुकदमे को लेकर हम पूरी तैयारी कर रहे हैं। जिला जज के एएसआई सर्वे के आदेश के खिलाफ मस्जिद पक्ष हाई कोर्ट जाएगा, इसलिए हमारी ओर से वहां कैविएट दाखिल की गई है, ताकि अदालत कोई फैसला करने से पहले हमें अपनी बात कहने का मौका दे.
विष्णु शंकर जैन, वकील, मंदिर पक्ष