वाराणसी (ब्यूरो)। अगर आप मंडियों से घी-तेल खरीदकर खाने के शौकीन हैं तो संभल जाइए नहीं तो आपका हार्ट हो सकता है शार्ट। कारोबारी शुद्धता को ताक पर रखकर खाने-पीने की वस्तुओं में धड़ल्ले से मिलावट कर रहे हैं। खासकर बाजार में बिक रहे घी-तेल में मिलावट इस कदर बढ़ गया है कि उसे खाने से हार्ट पर दोगुना दुष्प्रभाव पड़ेगा। साथ ही लीवर को भी डैमेज कर सकता है फिर बाद में शरीर को मैनेज करना मुश्किल होगा। मार्केट में कारोबारी वेजिटेबल ऑयल नहीं बल्कि उसके नाम पर जहर बेच रहे हैं.
मिलावट का कारोबार
बनारस की मंडियों में मिलावटी वस्तुओं का कारोबार बेखौफ चल रहा है। जहां तक विशेश्वरगंज मंडी का सवाल है तो पूर्वांचल समेत आसपास के जिलों के अलावा बिहार के भी जिलों के लोग इसी मंडी से घी-तेल खरीदकर ले जाते हैं। एक प्रकार से देखा जाए तो उक्त क्षेत्र के आसपास मिलावटी वेजिटेबल ऑयल का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है.
केमिकल्स मिला रहे
मिलावटखोरों के हौसले इतने बुलंद हैैं कि वेजिटेबल ऑयल में तरह-तरह के केमिकल्स मिलाकर बाजार में बेखौफ सप्लाई कर रहे हैं। इसके अलावा पूर्वांचल के जिलों में खुलेआम भेजा रहा है। यहीं नहीं मिलावटखोरों का नेटवर्क बिहार तक है। बाजार से मिले फीडबैक के मुताबिक मिलावटी वेजिटबेल का कारोबार करीब 10 करोड़ रुपए से अधिक का बताया जा रहा है.
जली मोबिल, चर्बी से तैयार
पिछले दिनों विभाग की टीम ने मंडी समेत शहर के कई क्षेत्र में जगह-जगह छापेमारी कर नकली सामान बनाने वाले को खिलाफ एक्शन लिया था। वेजिटेबल ऑयल के कई सैंपल लिए गए थे, जिसमें काफी गड़बड़ी पाई गई थी। घी में चर्बी मिलाकर तो तेल में जली हुई मोबिल मिलाकर तैयार किया गया था। मुनाफा कमाने के चक्कर में मिलावटखोर यूपी से सटे बिहार के जिलों में मिलावटी घी-तेल की ज्यादा खपत है। इसके अलावा कारोबारी मिलावटी घी-तेल शहर के आसपास के क्षेत्र में सप्लाई करते हैं.
सैकड़ों टिन प्रतिदिन की खपत
बाहर से आने वाले व्यापारी मंडी से प्रतिदिन सैकड़ों टिन घी व तेल ले जाते हैं। इसके अलावा मिलावटी घी व तेल को ठेले व खोमचे वालों के यहां भी खपाया जाता है। मिलावटखोर नकली वेजिटेबल आयल को ऐसे तैयार करते हैैं कि ग्राहकों को पता कर पाना मुश्किल हो जाता है कि कौन असली और कौन नकली है। मुनाफा कमाने के चक्कर में दुकानदार दाम कम रखते हैं। दाम कम होने की वजह से ग्राहक मिलावटी वेजिटेबल ऑयल को पहले खरीदते हैं.
लगन में दोगुनी हो जाती है खपत
खासकर लगन में मिलावटी वेजिटेबल ऑयल का कारोबार दोगुना हो जाता है। मांग को देखते हुए मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं। मांग और खपत की खाई को पाटने के लिए मिलावटी वेजिटेबल तैयार करने में जुट जाते हैं। विभाग को इस पूरे काले कारोबार की भनक है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सैंपल लेकर छोड़ दिया जाता है.
ऐसे तैयार करते वेजिटेबल ऑयल
मिलावटखोर वनस्पति घी में पॉमआयल, चर्बी और रिफाइन मिलाकर नकली घी तैयार करते हैं। इसी तरह सरसों के तेल में जला हुआ मोबिल मिलाकर तैयार किया जाता है.
मिलावटी देसी घी का फार्मूला
देसी घी को तैयार करने में कारोबारी थोड़ी सतर्कता बरतते हैं। पहले एक टिन देसी घी लेते हैं और उतना ही वनस्पति घी और रिफाइन मिलाते हैं। इसके बाद उसमें दो से तीन किलो दही और डोली पान डालकर एक से दो घंटे बड़े टैंकर में खौलाते हैं। जब उसका स्वाद देसी घी की तरह हो जाता है तो उसे उतारकर रख देते हैं। ठंडा होने पर उसे टिन में भरकर बाजार में सप्लाई कर देते हैं.
ऐसे करें पहचान
कारोबारी देसी घी को सफेद करने के लिए दही को मिलाते हैं। इसके बाद स्वाद के लिए पान का पत्ता डालते हैं। इस नकली घी को 25 से 30 दिन तक खाया जा सकता है। इसके बाद उसमें बदबू और तीखापन आना शुरू हो जाता है, जबकि असली देसी घी को दो से तीन महीने तक रखा जा सकता है। नकली घी में फ्र ाई करने पर छन्न सी आवाज आती है, जिससे पता चल जाता है कि घी में दही का प्रयोग किया गया है.
कहां-कहां करते हैं सप्लाई
आसपास के क्षेत्र में जैसे बड़ागांव, मिर्जापुर, रोहनिया, मुगलसराय, चंदौली, रामनगर, कैथी, सैदपुर, नंदगंज, भदोही आदि क्षेत्र में इसकी बिक्री परचून की दुकानों पर धड़ल्ले से होती है। सबसे अधिक बिहार के भभुआ, मोहनियां, कुदरा, रामगढ़ आदि क्षेत्रों में सप्लाई की जाती है.
विभाग के अधिकारियों ने विशेश्वरगंज, भैरोनाथ, गोलादीनानाथ, मुकीमगंज, मच्छोदरी में छापेमारी की कार्रवाई की थी। कार्रवाई में सभी के यहां मिलावटी घी-तेल पकड़े गए। इनकी जांच की गई तो सभी में गड़बडिय़ां पाई गई थी। मिलावट के नाम पर लू्रज ऑयल इस्तेमाल करते थे। कई के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया है.
अमित कुमार, खाद्य सुरक्षा व अभिहीत अधिकारी
मिलावटी घी-तेल में तरह-तरह के केमिकल्स मिलाकर तैयार किए जा रहे हैं जिसके खाने से हार्ट पर असर पड़ता है। इसके अलावा लीवर डैमेज होने की संभावना ज्यादा रहती है। घी में जानवरों की चर्बी को मिलाया जा रहा है। इससे हृदयरोगियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। अल्सर, गैस, बदहजमी, मदद्वार की शिकायतें बढ़ जाती हैं। लीवर और किडनी को प्रभावित करती है। फूड प्वाइजनिंग भी हो सकता है इसलिए इन सामानों से परहेज करें.
डा। इन्द्रनील बसु, फीजिशियन एंड कार्डियोलाजिस्ट
जांच के नाम पर सभी व्यापारियों का दोहन व उत्पीडऩ न हो, इसको विभाग के अधिकारी ध्यान दें। रही बात मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई तो व्यापारी हमेशा से विरोध करते चले आ रहे हैं। एक मिलावटखोर के चलते मंडी के सारे व्यापारी बदनाम होते हैं। विभाग के अधिकारी मिलावटी वस्तुओं का सैंपल लेने के नाम पर मंडी के सभी व्यापारियों के यहां छापेमारी की कार्रवाई करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने मिलावटखोरों के खिलाफ अंकुश लगाने के लिए जो निर्देश जारी किया है इससे व्यापारी हो या आम जनता सभी का फायदा होगा.
प्रतीक गुप्ता, विशेश्वरगंज-भैरोनाथ व्यापार मंडल के अध्यक्ष
मिलावटखोरों का व्यापारियों ने हमेशा बहिष्कार किया है, क्योंकि एक मिलावटखोर के चलते सारे व्यापारियों पर संकट मंडराता है। सभी व्यापारी दहशत में रहते हैं कि कब विभाग के अधिकारी उनको बेवजह परेशान करने न आ जाएं। जो भी मिलावट कर रहे हैं, विभाग उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें। व्यापारी उनके साथ हैं.
शरद केशरी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विशेश्वरगंज-भैरोनाथ व्यापार मंडल
नकली वेजिटेबल आयॅल का कारोबार करने वालों से सारे लोग त्रस्त हैं। इनका नेक्सस काफी लंबा होता है। विभाग ऐसे लोगों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई करें, ताकि दोबारा इस तरह का काम करने में सोचना पड़े.
सुनील चौरसिया, संगठन मंत्री, विशेश्वरगंज भैरोनाथ व्यापार मंडल