वाराणसी (ब्यूरो)। वाराणसी में सदियों से बह रही गंगा की निर्मलता अब प्रभावित होने लगी है। एक बार फिर शैवालों ने गंगा को हरा-हरा कर दिया है। एक साल में गंगा का पानी हरा होने की यह तीसरी घटना है। दशाश्वमेध से लेकर ललिता घाट तक जल हरा हो गया है। गंगा में स्नान के लिए पहुंचे नेमी शैवाल देखकर हैरान रह गए। गंगा किनारे भारी मात्रा में शैवाल उतराए हुए दिखे। वैज्ञानिक बताते हैं कि गंगा जल का तापमान 25 डिग्री से अधिक होने पर शैवाल के अनुकूल वातावरण बनता है।
शैवाल से कम होता ऑक्सीजन
नौकाओं की आवाजाही से घाट किनारे शैवालों की सघनता कुछ कम जरूर हुई, लेकिन तेज धूप के कारण दिन में नौकाओं का परिचालन न के बराबर होने से सघनता फिर बढ़ गई। सायं गंगा आरती के दौरान लहरों की गति में बदलाव से शैवालों का प्रसार भी हुआ। गंगा में शैवालों की मौजूदगी का सीधा दुष्प्रभाव जल में ऑक्सीजन की कमी के रूप में पड़ता है। इससे पहले मई-22 के अंतिम सप्ताह में बड़ी मात्रा में शैवालों से गंगा का जल हरा हुआ था। तीन दिन के अंतराल पर दो बार भारी मात्रा में शैवाल आए थे। तब दशाश्वमेध से पंचगंगा घाट के बीच सबसे अधिक प्रभाव था।
शोधित मलजल से हुआ हरा
पिछले साल मई-22 में गंगा के रंग बदलने के मामला सामने आया था। तब गंगा में हरे शैवाल मामले की जांच कर रही समिति ने खुलासा किया था कि विंध्याचल एसटीपी से बहकर ये शैवाल आए हैं। कहा गया है कि पुरानी तकनीक से बने एसटीपी के कारण ये घटना हुई थी। बारिश के बाद ही स्थिति सामान्य हो पाई थी। हालांकि शैवाल के कारण गंगा के इको सिस्टम पर बड़ा संकट मंडराने लगा है।
जांच में जुटा बीएचयू
बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरमेंट एंड सस्टनेबल डेवलपमेंट के वैज्ञानिक भी शैवालों का समाधान खोज रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुरोध पर डॉ। कृपाराम अध्ययन एवं अनुसंधान में लगे हैं। मई-22 में नमामि गंगे और प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगाजल की सैंपलिंग कराई। केमिकल का छिड़काव हुआ। स्वास्थ्य कारणों से एहतियात के तौर पर 24 घंटे तक लोगों के गंगा में नहाने और आचमन करने पर रोक भी लगाई गई थी.
गंगा जल का तापमान 25 डिग्री से अधिक होने पर शैवाल के अनुकूल वातावरण बनता है। गत वर्ष रामनगर में गंगाजल का तापमान 32 डिग्री मिला था.
प्रो। बीडी त्रिपाठी, नदी वैज्ञानिक
शैवाल से पानी में ऑक्सीजन कम होता है। इसके बाद पानी प्रदूषित होने लगता है। एक समय बाद पानी सड़ भी सकता है। इस पानी से स्नान करने वाले लोगों को चर्मरोग होने का खतरा बढ़ जाएगा।
अनिल शर्मा, पर्यावरण इंजीनियर