वाराणसी (ब्यूरो)। 21 क्विंटल धान की बालियों से सजा मां अन्नपूर्णा का दरबार तो भक्तों के जयकारे से पूरा दरबार गूंज उठा। मां की एक झलक पाने के लिए सुबह से ही भक्तों की कतार लगी रही। जिसने भी मां का दर्शन किया वह धन्य हो उठा। अन्नपुर्णा का 17 दिवसीय महाव्रत का सोमवार को उद्यापन के साथ समापन हुआ। पूर्वांचल के किसानों ने अपने खेतों की पहली फसल काटकर माता अन्नपूर्णां के चरणों में अर्पित कर समृद्धि की कामना की।
कठिन महाव्रत का समापन
17 दिन 17 गांठ व 17 धागे के इस कठिन महाव्रत में भक्त एक समय का ही फलहार करते हैं। किसी ने 51 तो किसी ने 501 फेरी मां को अर्पित किया। महाव्रत के समापन के दिन मां के दरबार को 21 कुंतल धान की बालियों से सजाया गया। महंत ने बताया कि व्रत रखने वालों को कभी कष्ट नहीं होता है। मां का आशीर्वाद हमेशा भक्तों पर रहता है।
मां का भव्य श्रृंगार
मंदिर के अर्चक ने मध्याह्न भोग आरती में माँ को स्नान कराया,नूतन वस्त्र,आभूषण धारण करा कर धान की बालियों से भव्य श्रृंगार कर आरती उतारी। आरती के बाद आम भक्तों के दर्शन के लिए पट खोल दिया गया। इसके बाद भक्तों ने मां का दर्शन किया। देश की खुशहाली के लिए प्रार्थना की।
भक्तों में वितरित होगा प्रसाद
मां चढ़ी धान की बालियां मंगलवार को प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित किया जाएगा। जिसे सभी भक्त अपने अन्न के भंडार में रखते है। इससे अन्न का भंडार कभी खाली नहीं होता। हमेशा अन्न भरा रहता है। महंत शंकर पूरी ने बताया कि हिंदू धर्म में देवी अन्नपूर्णा का विशेष स्थान है। मान्यता है कि जिस घर में भगवती का वास होता है, वहां हमेशा अन्न के भंडार भरे रहते हैं। उन्होंने कहा कि इस महाव्रत से किसी भी तरह का दुख-कष्ट दूर हो जाता है.