वाराणसी (ब्यूरो)बनारस में किशोर व युवाओं में बॉडी बनाने का ट्रेंड चल पड़ा हैलेकिन, इन्हें नफा-नुकसान से कोई मतलब नहीं हैंबलिष्ठ भुजदंड और सिक्स पैक एप्स के लिए ये किसी भी हद से गुजरने को तैयार हैंइधर, सिटी के किशोर व युवा सोशल मीडिया जैसे फेसबुक रील्स, यूट्यूब, स्नैपचैट और इंस्टाग्राम को असल जिंदगी मान बैठे हैंवे कम्पेयर कर रहे हैं कि रील्स या वीडियो में उनके हमउम्र के इन्फ्लुएंसर की बॉडी स्मार्ट और फिट है, जबकि उनका कद काठी विलो एवरेज हैइससे उनके मन में हीन और नेगेटिव भावनाएं घर कर रही हैंलिहाजा, वे बॉडी शेमिंग को लेकर स्ट्रेस में जा रहे हैं.

नेचुरल बनावट से संतुष्ट नहीं

कबीरचौरा एसएसपीजी में साइकाटिस्ट डॉ रवींद्र कुशवाहा के अनुसार प्रति महीने छह से ऐसे केस आ रहे, जिसमें युवा अपने शरीर की नेचुरल बनावट से संतुष्ट नहीं हैइसमें से कुछ ऐसे हैं, जो हाइट बढ़ाने वाले मेडिसिन, जिम, प्रोटीन और स्टेराइड लेने के बाद भी हताश हैंकिशोरों में यह प्रवृत्ति पहले नहीं थीकोविड के अनलॉक होने के बाद हाल के महीनों में स्मार्टनेस की होड़ में स्ट्रेस लेने वालों की तादात में इजाफा देखने को मिल रहा हैइसका बड़ा डिजीटल वल्र्ड की गिरफ्त में आना है.

सावधान रहें, बढ़ रहे केस

मनोचिकित्सक अवधेश कुमार बताते हैं कि कई बार तो दुबले-पतले और मोटे लोग जब अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं तो उनके ही फ्रेंड सर्किल के कुछ लोग उनके बॉडी फिगर को लेकर मजाक उड़ाते हैं तो वह डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैंलिहाजा यह लोग किसी से तुलना न करें और सोशल मीडिया पर दिखने वाले बॉडी बिल्डरों के जैसे अपनी बॉडी बनाने से परहेज करेंदूसरों की टीका-टिप्पणी को इग्नोर करेेंअच्छे डाइटिशियन की सलाह पर पोषण युक्त खाना खाएं और ग्राउंड में व्यायाम और अभ्यास करेंइससे वे फिट और तंदुरुस्त रहेंगे.

यूं रखें ध्यान

-किशोर-युवा से बेहतर कम्युनिकेशन बनाए रखें.

-डिजिटल हाइजीन का ध्यान रखें.

-सोशल मीडिया अकाउंट पर नजर रखें.

-बच्चों के साथ अधिक समय व्यतीत करें.

-फिजिकल एक्टिविटीज व खेलकूद को बढ़ावा दें.

ये सिम्टम्स दिखे तो साइकाटिस्ट को दिखाएं

-किशोर अकेले रहने लगे.

-स्कूल क्लासेज बंक करना शुरू कर दें.

-दोस्तों से कम मिलना-जुलना करें.

-अचानक से एक्सरसाइज और डाइट आदि करने लगे.

-कॉस्मेटिक्स व मेडिसीन आदि से सुंदर दिखने की चेष्टा करें.

डाइट का रखें ख्याल

अच्छे डायटीशियन की सलाह पर प्रोटीन की कमी न हो इसलिए उन्हें सी-फूड, चिकेन, मछली, अंडे, बीन्स, मटर, दाल, सोया उत्पाद और अनसाल्टेड नट्स का सेवन करना चाहिएमौसमी, हरी सब्जियां और साबुत अनाज जैसे गेहूं की रोटी, दलिया, पॉपकॉर्न, पास्ता, क्विनोआ या चावल आदि को तरजीह देंफैट फ्री या कम वसा वाले डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही, पनीर या फोर्टीफाइड सोया पेय पदार्थ को रूटीन के हिसाब से सेवन कर सकते हैं.

सोशल मीडिया की वजह से बच्चों में हीन भावना और नेगेटिव थॉट्स जन्म ले रहे हैंमेरे पास भी कई पैरेंट्स अपने बच्चों में स्मार्टनेस की चाहत वाली हीन भावना वाली समस्या लेकर आएलिहाजा, कई तो ठीक हो चुके हैैंकुछ का इलाज अभी भी चल रहा हैयह समस्या 16 से 20 साल की किशोरों में देखने को मिल रही है.

डॉरवींद्र कुशवाहा, साइकाटिस्ट