वाराणसी (ब्यूरो)। हाड़ कंपा देने वाली ठंड का असर जहां लोगों के स्वास्थ पर पड़ रहा है, वहीं अब यह लोगों के मौत का कारण भी बन रहा है। किस तरह से लोग कोल्ड किलर के शिकार हो रहे हैं इसका नजारा बनारस के महाश्मशान मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर देखने को मिल रहा है। एक जनवरी से शुरू हुए कोल्ड वेव से मौतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। दोनों घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए लंबी लाइन लग रही है। यहां भारी संख्या में लाशें पहुंच रही हैं। शव यात्रा में आने वाले लोगों को दो से तीन घंटे इंतजार के बाद ही शव जलाने का मौका मिल रहा है। यही नहीं सराय मोहना आदिकेशव घाट, गंगा उस पार के घाट पर भी ऐसी ही स्थिति है। यहां डेली 40 से 50 लाशें जलाई जा रही हैं। जगह कम होने की वजह से यहां भी लोगों को चिताएं सजाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है.
मोक्ष की नगरी है काशी
मान्यता है कि मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार से मृतक को शिवलोक की प्राप्ति होती है। काशी मोक्ष की नगरी होने के कारण बनारस समेत पूरे पूर्वांचल के जिलों और बिहार के कुछ जिलों से यहां अंतिम संस्कार के लिए शव लाए जाते हैं। जब से ठंड का प्रकोप बढ़ा है तब से दिन हो या रात अंतिम संस्कार कराने वालों की मणिकर्णिका घाट पर लाइन लग रही है। एक डेडबॉडी पूूरी जली नहीं कि दूसरा शव लेकर राम-नाम सत्य है करते हुए लोग चले आ रहे हैं.
दो से तीन घंटे इंतजार
मणिकर्णिका घाट पर सामान्य दिनों में प्रतिदिन 50-60 शव जलाने के लिए आते हैं। इस समय यहां आने शवों की संख्या बढ़कर 150 से अधिक हो गई है। यहां एक साथ 20-22 शवों को ही जलाने की व्यवस्था होने से लोगों को नंबर लगाना पड़ रहा है। ऐसे में उन्हें लगभग दो से तीन घंटे बाद शव जलाने का मौका मिल पा रहा है.
हरिश्चंद्र घाट : शवों की संख्या दोगुनी
इधर एक सप्ताह से ठंड से मौतों का सिलसिला जारी है। जब से ठंड का कहर बढ़ा है, सिर्फ मणिकर्णिका घाट पर ही नहीं हरिश्चन्द्र घाट पर भी लाशों की संख्या दोगुनी हो गई है। यहां आम दिनों में लगभग 15 से 20 शव डेली पहुंचते हैं। लेकिन इस समय यहां लगभग 70 से 80 शव डेली पहुंच रहे हैं। उधर, इसी घाट पर बने इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में भी आने वाले शवों की संख्या दोगुनी हो गई है। यहां लगभग 25 शव प्रतिदिन जलाए जा रहे हैं। इसके अलावा आदि केशव घाट और गंगा उस पार पर भी 20 से 25 लाशें जलाई जा रही है.
मोर्चरी में भी डबल डेडबॉडी
शिवपुर मोर्चरी में पोस्टमार्टम कराने के लिए भी डेडबॉडी की संख्या बढ़ गयी है। आम दिनों में पांच से छह ही डेडबॉडी आते हैं, लेकिन इन दिनों बढ़कर दस के आसपास पहुंच गया है। हालांकि इनमें ठंड से मरने वालों की संख्या काफी कम है। 1 जनवरी से लेकर अब तक करीब दर्जनों डेडबॉडी का पोस्टमार्टम किया गया है.
हार्ट अटैक से डेली हो रहीं 5 से 6 मौतें
पिछले एक सप्ताह से पड़ रही भीषण ठंड की वजह से कमजोर दिल के रोगियों की मुसीबत ज्यादा बढ़ गई है। बीएचयू एसएस हॉस्पिटल के वरिष्ठ कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ। ओम शंकर का कहना है कि हार्ट पेशेंट की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है। बीमारों के साथ इससे मरने वालों की संख्या भी बढ़ी है। इससे होने वाली मौतों में 25 से 30 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। वर्तमान में यहां डेली 5 से 6 लोगों को सिर्फ हार्ट अटैक से मौत हो रही है.
वजह क्या है
सर्दियों में अपने दिल को गर्म रखने के लिए पूरे शरीर में ऑक्सीजन पंप करने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है। इसके अलावा ठंडे तापमान के कारण धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है और दिल की मांसपेशियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है। यही वजह है कि सर्दियों में रक्त के थक्के बनने और स्ट्रोक या दिल का दौरा पडऩे की संभावना अधिक होती है.
कैसे बचें
-ठंड और ठंडी चीजों से परहेज जरूरी है।
-ठंड में ठंडे पानी से न नहाएं.
-मॉर्निंग वॉक न करें.
-गर्म स्थान पर ज्यादा रहें.
-सुबह में स्नान न करें.
-ठंडा पानी के बजाए गुनगुना पानी पीएं.
ठंड बढऩे के बाद पिछले एक सप्ताह में मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर शवों की संख्या बढ़ गई है। सामान्य दिनों में जहां दोनों घाटों को मिलाकर 100 लाशें पहुंचती थीं, वहीं इन दिनों यह संख्या डबल हो गई है। लकड़ी की डिमांड भी बढ़ गई है.
रामबाबू, लकड़ी व्यापारी, हरिश्चंद्र घाट