-पति की मौत के बाद नवजात संग अमेरिका में फंसी बीएचयू की पूर्व छात्रा को एक ट्वीट पर सुषमा स्वराज लायीं भारत
-मंडुवाडीह निवासी कंचन के पति को एक ट्वीट पर नाइजीरिया में समुद्री डाकुओं से बचाया था
केस-वन
आजमगढ़, अतरौलिया निवासी बीएचयू की पूर्व छात्रा दीपिका चौबे की शादी अमेरिका के न्यूजर्सी में साफ्टवेयर इंजीनियर हरिओम पांडेय के साथ हुई थी। नियति की मार दीपिका पर ऐसी पड़ी कि 19 अक्टूबर 2017 करवाचौथ के दिन पति का हार्ट अटैक से निधन हो गया। तब दीपिका गर्भवती थी, दो माह तक भारत लौटना आसान नहीं था। रेग्यूलर वीजा सहित अन्य कई ऐसी बाधाएं दीपिका को इंडिया लौटने में सामने आ रही थीं। तब उम्मीद की किरण बनी थीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज। दीपिका के भाई डॉ। अजय चौबे ने सुषमा स्वराज को ट्वीट किया। उनकी मदद से पखवारे भर बाद ही दीपिका की राह आसान हुई और भारत लौट आई।
केस-टू
मंडुवाडीह के राज तिलक नगर कालोनी निवासी कंचन भारद्वाज के पति संतोष भारद्वाज सहित चार साथियों का 25 मार्च 2016 को नाइजीरिया में समुद्री डाकुओं ने अपहरण कर लिया था। तब हर जगह गुहार लगाकर थक चुकी कंचन ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट कर अपनी पीड़ा व्यक्त की थी। ट्वीटर पर जवाब देते हुए सुषमा स्वराज ने कंचन को यह भरोसा दिलाया था कि बहन चिंता न करो, तुम्हारा सुहाग सलामत लौटेगा। सुषमा स्वराज के अथक प्रयास से समुद्री लुटेरों ने संतोष सहित चारों साथियों को 10 मई को छोड़ दिया। दुबई के रास्ते मुम्बई होते हुए संतोष भारद्वाज 11 मई की रात बनारस पहुंचे थे।
स्तब्ध और मर्माहत हैं सब
पिछली मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने अनगिनत लोगों की मदद की। इनमें बनारस से जुड़े ये दो परिवार भी थे। उनके निधन पर स्तब्ध और मर्माहत हैं। मंडुवाडीह निवासी भारद्वाज दंपति शोक में डूबा हुआ जिनकी एक ट्ीवट से परिवार में खुशियां लौटी थीं। उधर, बीएचयू की पूर्व छात्रा दीपिका चौबे के परिजन भी उदास और मर्माहत है। असमय सुषमा जी के जाने का दर्द वह बखूबी समझ रहे हैं।
बनारस से था लगाव
पीएम के प्रचार व पीबीडी में हुई थी शामिल
सुषमा स्वराज को बनारस से विशेष लगाव था। यहां आने का कोई मौका मिलता को उसे छोड़ती नहीं थीं।
वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में बनारस संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे नरेंद्र मोदी के लिए प्रचार करने काशी आई थीं। महिला मोर्चा के आग्रह पर स्कूटी रैली का शुभारंभ कर बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ का नारा बुलंद किया था। वहीं 21-23 जनवरी 2019 को बड़ालालपुर में हुए 15वें प्रवासी भारतीय दिवस को यादगार बनाने में पूर्ण भूमिका निभाई थी। काशी को वैश्रि्वक स्तर पर पहचान दिलाने में शुरू से सुषमा स्वराज ने कई अहम योगदान दिए थे।