वाराणसी (ब्यूरो)। एक समय था जब महिलाओं को चारदिवारी तक सीमित रखा जाता था। लेकिन, आज की नारी निडर होने के साथ अपने सपनों को पूरा करने के लिए समाज से भी लडऩे की क्षमता रखती हैं। खुद का सपना पूरा करने के साथ ये महिलाएं उन महिलाओं की मदद भी कर रही हैं जो पढ़ लिख कर आगे बढऩा चाहती हैं। काशी की इन महिलाओं ने नारी के प्रति रूढि़वादी भावना रखने वाले लोगों की सोच बदलने की ठानी है। आइये आज नवरात्रि के खास मौके पर आप भी जानिए इन महिलाओं की कहानी
बेटियों को दे रहीं शिक्षा
निधि पांडे आज न सिर्फ खुद के पैरों पर खड़ी हैं, बल्कि जिन लड़कियों के परिवार वाले उन्हें पढ़ाने में सक्षम नहीं हैं उनको मुफ्त शिक्षा भी दिला रही हैं। एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करने के साथ ये महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बेटियों को उनके अधिकारों से रूबरू भी कराती हैं। ये कहती हैं कि लड़कियों को शिक्षा मिलना बेहद जरूरी है।
फ्री में लड़ती हैं केस
शशिकला बनारस की एक सफल वकील हैं और महिलाओं की सुरक्षा के लिए लगातार काम कर रही हैं। जो महिलाएं समाज द्वारा प्रताडि़त की जाती हैं और वकील की फीस देने में सक्षम नहीं होतीं, उनका शशिकला मुफ्त में केस लड़ती हैं। ये सामाज में महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय को रोकना चाहती हैं। इसलिए कहती हैं कि महिलाओं को भी निडर होकर अपने साथ हो रहे गलत के खिलाफ आवाज उठानी होगी.
कर रहीं एजुकेट
महिलाएं चाहें तो आज के समय क्या नहीं कर सकती है। पायलट से लेकर ट्रेन तक चला रही हैं। यह कहना है श्वेता रावत का जो 24 घंटे में 12 घंटे बच्चों को शिक्षा देती हैं और अन्य स्कूल में जाकर बेटियों का पढऩा कितना जरूरी है इसे लेकर अवेयर भी करती हैं। ये सिर्फ बच्चों को पढ़ाती ही नहीं है, बल्कि पढ़ाई से जुड़ी कॉपी, किताब, बैग, ड्रेस दिलाने तक में बच्चों की मदद करती है। ये कहती है कि अगर सबको शिक्षा मिल गई तो देश को आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता है.