प्लेयर्स के साथ विम्बलडन में पिंकी
टॉस करने से पहले पिंकी को कोर्ट में समझाते हुए
दर्शक दीर्घा में पिंकी
बेरंग जिंदगी में आई नेक्स्ट ने भरे रंग
किस्मत के खेल ने क्लेफ्ट चाइल्ड पिंकी को गुमनामी के अंधेरे से निकाल कर आस्कर अवार्ड सेरेमनी तक पहुंचाया। उसके बाद वापस पिंकी अपनी उसी मुफलिसी भरी दुनिया में वापस आ गयी। लेकिन किस्मत ने एक बार फिर करवट ली और उसे विम्बलडन से टॉस करने का बुलावा आ गया। कुछ ही दिनों के लिए सही मगर फिलहाल पिंकी विम्बलडन की चकाचौंध भरी जिंदगी का लुत्फ उठा रही है। वहीं दूसरी तरफ रामपुर ढबहीं गांव में उसका परिवार दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में परेशान है। उनके पास जो खाना है वह नौ लोगों के परिवार का पेट भरने के लिए काफी नहीं है। टीम आई नेक्स्ट ने पिंकी की फैमिली की बेरंग जिंदगी में रंग भरने कि कोशिश की और पहुंच गयी उनके पास। पूरे परिवार के मुकम्मल भोजन के इंतजाम और उपयोगी सामानों के ढेर सारे गिफ्ट्स के साथ।
गरम हो रही थी पतीली
भारी बरसात की बाधा को पार कर आई नेक्स्ट की टीम शाम को तकरीबन छह बजे पिंकी के गांव पहुंची। पिंकी की बड़ी बहन अंजू अपनी झोपड़ी के बाहर लगे कच्चे चूल्हे पर लड़कियां जलाने को कोशिश कर रही थी। चूल्हे पर पतीली रखी थी। जो शायद इस बात के इंतजार में भी थी कि कब गीली लकडिय़ां सुलगे और वह भी थोड़ी गरम हो। बगल में कटी थोड़ी सी सब्जियां रखी थी जो शायद परिवार के लिए चटनी की तरह यूज होती। हमने उससे खाना नहीं बनाने को कहा। मूक निगाहों से वह हमें देखने लगी। आखिर क्या कारण है कि आप हमें खाना बनाने से मना कर रहे हैं। थोड़ी ही देर में पिंकी की मां उसके दादा भी आ गये।
आपके साथ पार्टी हम मनायेंगे
आई नेक्स्ट की टीम ने पिंकी की मां को बताया कि हम वहां उनके साथ पिंकी की खुशियां सेलिब्रेट करने आये हैं तो सहसा उन्हें यकीन नहीं हुआ। लेकिन जब हमने गाड़ी से चिप्स, बिस्किट और नमकीन के ढेर सारे पैकेट्स व कोल्ड ड्रिंक की बोतलें थमायीं तो वे चौंक से गये। अब हमने उन्हें देने के लिए टीशट्र्स, स्कूल बैग्स, कॉफी मग्स व कंटेनर्स निकाले तो उनके खिले चेहरे देख ऐसा लगा जैसे तोहफों की बारिश होने लगी हो। लेकिन पिंकी के दादा अब भी संशय मे थे। आई नेक्स्ट की टीम अपने साथ पिंकी की पूरी फैमिली के लिए खाने के पैकेट्स भी ले गयी थी। हमने उन्हें खाने का पैकेट दिया। पिंकी के दादा के हाथों में खाने का पैकेट दिया तो वे अचानक स्माइल करने लगे। पूरे परिवार में जैसे जश्न मनने लगा। ऐसा लगा जैसे उनके लिए आज ही होली-दीवाली हो गयी हो।
टीशर्ट भी पहन लिया
पिंकी के दादा, उसकी मां, बहन अंजू, और भाई लालू की खुशी का ठिकाना नहीं था। चिप्स के पैकेट लेकर लालू खुश हो गया और अंजू तो किनारे खड़ी होकर चुपचाप मुस्कुराती रही। उसे लग रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ। पहले भी पिंकिया बाहर गयी थी लेकिन तब तो किसी ने इस तरह उनके बारे में नहीं सोचा था। पिंकी के दादा तो टीशर्ट पाकर खुद को उसे पहनने से रोक नहीं सके। उनके चेहरे की रंगत ने उनकी खुशी को बयान कर रही थी।
आई नेक्स्ट देख हुए खुश
आई नेक्स्ट टीम अपने साथ अपने साथ पिंकी के बारे में छप रही खबरों वाले अपने अखबार का पूरा बंडल ही ले गयी थी। जब हमने उन्हें दिखाया कि देखो हम आपकी पूरी व्यथा को इस तरह से कवर कर रहे हैं वे भाव विभोर हो उठे। पिंकी बहन अंजू दुपट्टे में अपना मुंह छिपकर हंस रही थी तो मां शिमला देवी कवरेज देख भौंचक थी। पिंकी के दादा और ताऊ भी गदगद थे। उन्हें लग रहा था कि अब वाकई सपने सच होने के करीब हैं। उन्होंने हमसे पूछा भी कि भइया अब हमहन क जिन्नगी बदल जायी न?
साहब पिंकिया के पापा के
अपने साथ अचानक हुए इस वाकये से हैरान पिंकी की फैमिली वालों के लिए सब कुछ किसी सपने से कम नहीं था। लेकिन आई नेक्स्ट टीम ने उनके लिए यह सब कर दिखाया। धीरे धीरे बात शुरु हुई। बातों में मुफलिसी का दर्द उभर आया। पिंकी की मां घंूघट की आड़ से बोली, भइया आप लोग हम लोग खातिर इतना कईलन है। एखे किरपा अउर कर देतेन तो पिंकिया के पापा के कउनो रोजी रोजगार क इंतिजाम कर देतेन त आई नेक्स्ट की टीम पिंकी की मां के इस बात पर गंभीर हो गयी। आश्वासन दिया कि यकीन रखें हमसे जो भी हो सकेगा करेंगे।
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