वाराणसी (ब्यूरो)मौसम बदला तो बीमारियों ने भी पांव पसारना शुरू कर दिया हैबुखार ने लोगों को पहले से ही जकड़ रखा थाअब बारिश होने से स्किन संबंधी बीमारी भी परेशान करने लगी हैगंदे और एसिड रेन की चपेट में आने से लोगों को हाथ-पैर से जुड़ी स्किन प्रॉब्लम तो हो ही रही है, वहीं फंगल इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ गया हैयहीं नहीं उमस भरी गर्मी से राहत पाने के लिए एसी का ज्यादा इस्तेमाल करने वालों के लिए भी ये मौसम खतरनाक साबित हो रहा हैजिला अस्पताल के स्किन रोग विशेषज्ञ की ओपीडी में डेली करीब 200 मरीज आ रहे हैं, जिसमें 130 मरीज फंगल इंफेक्शन और एलर्जी के हैंइसके अलावा खुजली और चकत्ते पडऩे के केस भी आ रहे हैंपिछले दो सप्ताह से सरकारी के साथ प्राइवेट हॉस्पिटल में इस तरह के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है

प्राइवेट में भी 400 से ज्यादा मरीज

मंडलीय अस्पताल की ओपीडी में भी संख्या 250 तक पहुंच चुकी है, इसमें भी 150 से ज्यादा मरीज फंगल इंफेक्शन के हैंयही नहीं सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीजों की भी सख्या बढ़ रही हैवहीं प्राइवेट हॉस्पिटल और क्लीनिक में भी 400 से 500 मरीज स्किन प्रॉब्लम को लेकर पहुंच रहे हैंडॉक्टर्स का कहना है कि फंगल इंफेक्शन ऐसे मौसम में तेजी के साथ फैलता हैइस बीमारी से बचने के लिए सफाई बेहद जरूरी हैफंगल इंफेक्शन के अलावा एलर्जी, शरीर में लाल चकत्ते पडऩे के भी मरीज आ रहे हैं.

एसी से भी हो रही समस्या

वहीं एसी से होने वाले प्रॉब्लम को लेकर डॉक्टर्स का कहना है कि घर, ऑफिस और कार सब एयरकंडीशंस हो चुका हैज्यादा देर एसी में रहने वालों को नाक और गले से जुड़ी रेस्पिरेटरी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैलगातार एसी के इस्तेमाल से स्किन और गले की ड्राइनेस, राइनाइटिस व नसल ब्लॉकेज का शिकार हो रहे हैंराइनाइटिस एक ऐसी कंडीशन है जो नाक के म्यूकस मेम्ब्रेन्स में इनफ्लेमेशन को बढ़ाता हैऐसा वायरल इंफेक्शन या एलेर्जिक रिएक्शन के कारण होता हैइसके अलावा ये आंखों में खुजली और बेचैनी की समस्या भी खड़ी कर सकती है.

गीले कपड़ों से बढ़ी समस्या

डॉक्टर्स के अनुसार इस मौसम में बैक्टीरिया ज्यादा तेजी से पनपते हैंपानी और नमी में बैक्टीरिया बढऩे की आशंका सबसे ज्यादा होती हैदरअसल, बारिश में भीगने के बाद कपड़े न बदलने से फंगल इंफेक्शन होने के चांसेस सबसे ज्यादा होते हैटॉवेल, साबुन, कपड़े शेयर करना फंगस के एक से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होने का कारण बन सकता हैएक ही कपड़े को बिना धोए बार-बार पहनने से फंगल इंफेक्शन फैल सकता है.

ये हैं लक्षण

-स्किन पर जलन या खुजली होना

-स्किन पर लाल चकत्ते दिखाई देना

-स्किन में सूजन आना

-स्किन पर दाने निकलना

-जख्म जैसे दाद होना

-स्किन का लाल होना

फंगल इंफेक्शन के प्रकार

एथलीट फुट : एथलीट फुट को टिनिया पेडियास के रूप में भी जाना जाता हैयह एक फंगल इंफेक्शन है, जो पैरों की त्वचा को प्रभावित करता है.

दाद : दाद तेजी से फैलने वाला फंगल इंफेक्शन है, जो सामान्य फफूंद जैसे परजीवियों के कारण होता हैइससे त्वचा पर पपड़ीदार धब्बे बन जाते हैंलगातार खुजली होती रहती है और छाले जैसे घाव बन जाते हैं.

इंटरट्रिगो : इंटरट्रिगो या इंटरट्रिजिनस डर्मेटाइटिस एक सूजन वाली स्थिति है, जो आमतौर पर त्वचा की परतों में बनती हैज्यादा गर्मी, नमी और त्वचा रगडऩे से यह प्रॉब्मल और बढ़ती है.

यीस्ट इंफेक्शन : इसे कैंडिडा के नाम से भी जाना जाता हैयह आमतौर पर नम और खराब हवा वाले एरिया में होने से त्वचा की बाहरी परत पर होता हैयह कूल्हे की परतों या ब्रेस्ट के निचले हिस्से को प्रभावित करता है.

इस मौसम में फंगल इफ्ेक्शन के केस बढ़ जाते हैंक्योंकि नमी में बैक्टीरिया अधिक तेजी से पनपते हैं, जो इंफेक्शन को पैदा कर देते हैंओपीडी में डेली आने वाले 200 पेशेंट में 75 फीसदी फंगल और डिपाइरेटेड इंफेक्शन के हैं.

डॉराहुल सिंह, सीनियर स्किन स्पेशलिस्ट, डीडीयू हॉस्पिटल

सूरज की तेज किरणों के संपर्क में आने के साथ ज्यादा देर एसी में रहने से ड्राई स्किन की समस्या से प्रभावित लोग भी इलाज के लिए आ रहे हैंसेंसेटिव स्किन वाले लोगों को तो इसमें ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए.

डॉतैलंग, वरिष्ठ स्किन रोग विशेषज्ञ