वाराणसी (ब्यूरो)। डेंगू पेशेंट की संख्या लगातार बढ़ रही है। बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल से लेकर मंडलीय व जिला अस्पताल के अलावा शहर के हर प्राइवेट हॉस्पिटल में वायरल फीवर के साथ डेंगू पेशेंट एडमिट हैं। यहां सभी का इलाज चल रहा है। इन सब के बीच अब चिंता की बात ये है कि यहां प्लेटलेट्स की कमी होने लगी है। आईएमए ब्लड बैंक में आरडीपीएसटी का स्टॉक बिल्कुल भी नहीं है। यहां सिर्फ एसडीपी यानी सिंगल डोनर प्लेटलेट की सुविधा है। वहीं मंडलीय अस्पताल में सिर्फ 47 यूनिट आरडीपीएसटी यानि तीन दिनों का ही स्टॉक बचा है। इसी तरह जिला अस्पताल में भी 35 यूनिट आरडीपीएसटी यानि करीब दो दिन का स्टॉक है। प्राइवेट अस्पतालों में भी ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। ऐसे में अस्पतालों में एडमिट डेंगू पेशेंट को समय पर प्लेटलेट्स मिल जाएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
पेशेंट बढ़े, और बढ़ेगी परेशानी
जानकारों की मानें तो अभी तक 111 डेंगू मरीजों की ही पुष्टि की गई है, लेकिन जिस रफ्तार से मरीज आ रहे हैं और ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ सकती है। करीब-करीब हर ब्लड बैंक में प्लेटलेट डोनर की कमी हो गई है। इसका प्रॉसेस भी इतना लंबा है कि इसके लिए हर कोई बढ़-चढ़कर हिस्सा नहीं लेता। ब्लड बैंक के लोगों का कहना है कि इस समय डोनर आगे नही आ रहे हैं, जिसकी वजह से इस तरह की समस्या सामने आ रही है.
क्या होता है प्लेटलेट्स
प्लेटलेट्स या थ्रोम्बोसाइट्स, हमारे रक्त में छोटे, रंगहीन कोशिकाओं के टुकड़े होते हैं जो थक्के बनाते हैं और रक्तस्राव को रोकते हैं। प्लेटलेट्स हमारे बोन मैरो में बनते हैं। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट काउंट 150,000 से 450,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर ब्लड तक होती है। 450,000 से अधिक प्लेटलेट्स होने को थ्रोम्बोसाइटोसिस और इसकी मात्रा 150,000 से कम होने को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के रूप में जाना जाता है। डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट काउंट कम होने की समस्या अधिक होती है.
डेंगू में लो प्लेटलेट्स की समस्या
डेंगू में प्लेटलेट्स कम होने के तीन कारण हो सकते हैं.
-हमारा बोन मैरो सप्रेस हो जाता है, जिसके चलते प्लेटलेट उत्पादन में कमी आती है.
-डेंगू वायरस से प्रभावित रक्त कोशिकाएं प्लेटलेट्स को क्षति पहुंचाकर उन्हें नष्ट करने लगती हैं.
-इस दौरान बनने वाली एंटीबॉडीज से भी प्लेटलेट्स कम होने लगता है.
प्लेटलेट्स की कमी और रक्तस्राव का खतरा
डेंगू की गंभीर बीमारी के तीसरे-चौथे दिन तक प्लेटलेट काउंट आमतौर पर कम रह सकता है। हालांकि आठ से नौ दिन में इसमें सुधार भी आने लग जाता है। चूंकि प्लेटलेट्स रक्त के थक्के बनाने में मदद करते हैं, इसलिए शरीर में इसकी कमी होने के कारण डेंगू के मामलों में उल्टी या शौच के साथ खून आने की समस्या हो सकती है। डॉक्टर्स का कहना है कि डेंगू बुखार के मौसम के दौरान सभी को अपने प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि संक्रमण से लडऩे में मदद मिल सके.
प्लेटलेट्स कम हो जाए तो कैसे बढ़ाएं
डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स कम होने की स्थिति गंभीर रोग का संकेत होती है। रोगी को अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए जिससे रक्तस्राव की समस्या के साथ अन्य लक्षणों को कंट्रोल किया जा सके। डॉक्टर दवाओं के माध्यम से इसमें सुधार करते हैं। इसके अलावा ओमेगा-3, विटामिन, आयरन और अन्य खनिजों से भरपूर चीजों का सेवन बढ़ाने से लाभ मिल सकता है। ये डेंगू में प्लेटलेट काउंट भी बढ़ा सकते हैं.
पिछले दिनों डोनर न मिलने से प्लेटलेट्स की काफी कमी हो गई थी। इधर स्थिति कुछ ठीक हुई है मगर समस्या बनी हुई है। वर्तमान में 60 यूनिट की जरूरत है, लेकिन 47 यूनिट आरडीपीएसटी है। जो सिर्फ तीन दिनों का ही स्टॉक है.
डॉ। दीपक सिंह, पीआरओ, ब्लड बैंक, मंडलीय अस्पताल