वाराणसी (ब्यूरो)। अलबेले आयोजनों के लिए प्रख्यात काशी में रंगभरी एकादशी पर एक तरफ बाबा दरबार में अबीर-गुलाल के बीच होली खेली जा रही थी तो वहीं हरिश्चंद्र घाट पर भक्तों ने चिताभस्म से होली खेली। भक्त शिव-पार्वती, भूत पिशाच, अघोरी, दिगंबर, खेले मसाने में होरी, गाने पर चिताओं के चारों ओर मस्ती में झूमते रहे। हर हाथ चिता भस्म उड़ाते और लोगों को तर-बतर करते रहे.
उड़ती रही चिता की राख
घाट पर एक तरफ चिता जल रही थी तो वहीं दूसरी तरफ लोग भस्म की होली का उत्सव मना रहे थे। हर तरफ चिता की राख उड़ती रही। घाट से लगायत सड़क भी राख से पटी रही। जिधर नजर गयी, हर कोई चेहरे पर राख मलता तो कोई चिता भस्म से नहाया हुआ नजर आया। चारों तरफ हवा में भस्म और गुलाल उड़ता नजर आया। चंदन और भस्म से रंगे शिव भ्रक्त भोलेनाथ के जयकारे लगाते रहे.
निकाली गयी शोभायात्रा
प्रारंभ में परंपरागत शोभायात्रा निकाली गई। हर-हर महादेव के उद्घोष संग निकली शोभायात्रा में नर-मुंड की माला पहने श्रद्धालु बाबा मशान नाथ के जयकारे लगाते रहे। बाबा भोलेनाथ के भक्तों ने विविध भूत-प्रेत-पिशाच का स्वांग धरा और चिता भस्म की होली खेलने गंगा तट पर पहुंच गए। भगवान का रूप धरे कलाकारों ने भी नृत्य कर भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया.
पार्वती संग विराजमान बाबा
रविन्द्रपुरी स्थित भगवान कीनाराम स्थली से हरिश्चंद्र घाट तक विशाल शोभायात्रा निकाली गई। इसमें बग्घी, ऊंट, घोड़ा समेत सैकड़ों की संख्या में लोग नाचते-गाते हुए चल रहे थे। वहीं भोला बाबा मां पार्वती के साथ नंदी पर विराजमान होकर शोभायात्रा में आगे-आगे चल रहे थे। शोभायात्रा में भस्म से रंगे भक्त बाबा मशान नाथ का जयकारा करते हुए चल रहे थे। वहीं, बाबा भोलेनाथ के भक्तों ने भूत-प्रेत-पिशाच का स्वांग रचा, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही। अघोरी बाबा बनकर यात्रा में करतब दिखाए। बाबा संग सेल्फी लेने के लिए लोगों की होड़ मची रही.