वाराणसी (ब्यूरो)। एशिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालय बीएचयू की सेंट्रल लाइब्रेरी कई मायनों में बेहद खास है और इसको खास बनाता है इसका समय-समय पर अपडेट होते रहना। बीएचयू की लाइब्रेरी समय-समय पर हाईटेक होती रहती है, वहीं स्टूडेंट्स की सुविधाओं का भी खास ध्यान रखा जाता है। साथ ही स्टूडेंट्स को भी पढ़ाई के लिए शांत माहौल मिलता है, जिस कारण वह लाइब्रेरी में अपनी पढ़ाई करने आते हैैं। खास बात यह है कि सांइस के स्टूडेंट्स भी मुंशी प्रेमचंद की किताबें पढऩे लाइब्रेरी में आते हैं.
सभी बुक्स उपलब्ध
बीएचयू के इस लाइब्रेरी में 16 लाख से अधिक पुस्तकों का खजाना मौजूद है। इसमें 14 से 16वीं सदी की पांडुलिपियां, ताड़पत्र, 18वीं सदी के दुर्लभ अभिलेख के अलावा गवर्नमेंट डॉक्यूमेंट और शोधपत्रों की लंबी फेहरिस्त है। वहीं आज के डिजिटल दौर में अगर स्टूडेंट्स किताबों से इतना प्रभावित है तो इसका कारण है कि नई जमाने की पुस्तकें भी लाइब्रेरी में उपलब्ध हैैं। लाइब्रेरी में 100 साल पुरानी किताबों के साथ ही नए जमाने की गैैंग ऑफ फोर समेत तमाम किताबें उपलब्ध हैं, जिसे पढऩे के लिए लाइब्रेरी में लोगों की भीड़ लगी रहती हैै.
प्रेमचंद्र से मिलती हैं सीख
इस लाइब्रेरी की खास बात यह है कि बीएचयू कॉलेज के सांइस के स्टूडेंट्स समय निकाल कर मुंशी प्रेमचंद्र और भारतेंदु हरिश्चंद्र की किताबें पढ़ते हैं। उनका कहना है कि भले ही वह अपना करियर सांइस में देख रहे हों पर साहित्यिक किताबों से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इसलिए स्टूडेंट्स ने अपने शेड्यूल में साहित्य की किताबें पढऩे का समय भी रखा हैै। साथ ही यह किताबें पढ़ कर उन्हेें जीवन की सीख भी मिलती हैै.
वर्ष 1917 में हुई स्थापना
लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम लाइब्रेरी की तर्ज पर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के इस सेंट्रल लाइब्रेरी को तैयार किया गया है। बीएचयू के इस लाइब्रेरी में रोज 5000 बच्चे पुस्तकें पढऩे आते हैं। विश्वविद्यालय के वर्तमान सेंट्रल लाइब्रेरी के भवन का निर्माण यूं तो वर्ष 1941 में हुआ था, लेकिन इसकी स्थापना वर्ष 1917 में की गई थी। तब यह लाइब्रेरी बीएचयू कैंपस के बजाय सेंट्रल हिंदू स्कूल कमच्छा में थी। बाद में वर्ष 1921 में इसका स्थान बदलकर आट्र्स फैकल्टी के सेंट्रल हॉल में किया गया था.
सांइस के स्टूडेंट्स हैं पर मुंशी प्रेमचंद्र के जीवन से बहुत प्रभावित हैं। इसलिए समय निकाल कर उनकी पुस्तकें पढऩे लाइब्रेरी में आते हैं। -सुधांशु
लाइब्रेरी का माहौल पढ़ाई के लिए बहुत अच्छा है। यहां हम अपनी पढ़ाई शांति से कर पाते हंै। साथ ही नए लेखकों की बुक्स भी लाइब्रेरी में उपलब्ध है। -मुस्कान सिंह
लाइब्रेरी में बच्चों की सुविधाओं का खास ध्यान दिया जाता है। रोज 5000 बच्चे लाइब्रेरी में पुस्तकें पढऩे के लिए आते हैैं। -डॉ। देवेंद्र कुमार सिंह, पुस्तकालयाध्यक्ष