वाराणसी (ब्यूरो)। आजाद भारत में देश की 562 रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में सरदार पटेल के योगदान को देश कभी भुला नहीं सकता। सरदार पटेल का जीवन ही महागाथा है। लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई के बाद देश में आकर वकालत करने वाले सरदार पटेल, महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थेे। सभी के हित की सोचने वाले वल्लभ भाई पटेल को बारडोली सत्याग्रह आंदोलन के बाद वहां की महिलाओं ने सरदार की उपाधि दी थी। वहीं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने लौह पुरुष की उपाधि दी। उक्त बातें चंद्रकला पाडिया, पूर्व कुलपति बिकानेर विवि ने वल्लभभाई पटेल की जयंती (राष्ट्रीय एकता दिवस) पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में संगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली द्वारा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के सहयोग से राष्ट्रीय एकता दिवस पर राष्ट्रीय एकता की संकल्पना और सरदार पटेल विषय पर आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कही।
सरदार एक था, दूसरा नहीं हुआ
शरद दत्त, पूर्व अपर महानिदेशक दूरदर्शन, दिल्ली ने सरदार पटेल को दृढ़ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया। कहा कि उन्होंने एक जीवंत और एकजुट भारत की नींव रखी। उनका मानना था कि संघर्ष से बड़ी से बड़ी जीत हासिल की जा सकती है। उन्होंने किसानों के हक, स्वाभिमान और सम्मान की आवाज बुलंद की। कहा कि वे ब्रिटिश नीति फूट डालो राज करो को समझ चुक थे। आंदोलन के दौरान हरेक कदम उन्होंने बड़ी ही दूरदृष्टि और भविष्य में होने वाले परिणामों को देखते हुए उठाई। वे रहते तो काश्मीर का मुद्दा ज्यादा नहीं खिंचता। सरदार एक था, उनसा दूसरा कोई नहीं हुआ।
एकता और अखंडता का सूत्रधार किया
प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए राजनीतिक विज्ञान विभाग, काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर मो। आरिफ ने कहा कि पूरा देश आज सरदार वल्लभभाई पटेल को नमन कर रहा है। उन्होंने देश में एकता और अखंडता का सूत्रधार किया। किसानों के हक, महिला स्वावलंबन और विभिन्न समुदाय के प्रति उनके नजरिये का ही परिणाम रहा कि आजादी मिलने के बाद से देश विकास की ओर अग्रसर है। विधिवेता देवस्वरूप त्रिवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि सरदार साहब की दी हुई प्रेरणा ने ही देश को एक रखने का काम किया है। लॉ स्कॉलर, विभुम शुक्ला ने उनकी जीवनी पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
शस्त्र और शास्त्र का इस्तेमाल
इससे पूर्व उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए तेजस्वरूप त्रिवेदी, सहायक निदेशक (राजभाषा), संगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली ने अतिथियों का परिचय कराया। उन्होंने राष्ट्रीय एकता की संकल्पना पर अपने विचार रखते हुए आजादी का अमृत महोत्सव पर प्रकाश डाला। सरदार पटेल के योगदान पर कहा कि, शस्त्र और शास्त्र का इस्तेमाल कैसे किया जाता है, यह सरदार पटेल भली भांति जानते थे। आजादी की जंग में उन्होंने इन्हें हथियार बनाया। देश की आजादी में महात्मा गांधी आधार थे, तो पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल इस त्रिभुज के दो मुख्य भाग।
गुरुभक्ति, शिक्षा और देशप्रेम प्रथम
दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए काशी विद्वत परिषद के महामंत्री रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि सरदार पटेल के योगदान को देश हमेशा याद रखेगा। अपने दृढ़ इच्छाशक्ति और मनोबल के दम पर सरदार पटेल ने आजादी के बाद 562 रियासतों को अखंड भारत का हिस्सा बनाने का ऐसा मुश्किल काम कर दिखाया, जिसकी कल्पना उस वक्त नहीं की जा सकती थी। जिस प्रकार सरदार पटेल ने कश्मीर से लेकर हैदराबाद तक भारत को एक सूत्र में पिरोया, राष्ट्रीय एकता के इस बेजोड़ शिल्पी का देश हमेशा ऋणी रहेगा। रामनारायण द्विवेदी ने काशी के विलय पर प्रकाश डालते हुए गुरुभक्ति, शिक्षा और देशप्रेम को प्रथम बताया।
नई पीढ़ी के लिए आदर्श
एनटीपीसी के सहायक प्रबंधक, मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने देश के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की दूरदृष्टि और जीवन पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में मौजूद भारतेंदु परिवार की पांचवीं पीढ़ी के दीपेश चंद्र चौधरी ने सरदार पटेल के जीवन की सार्थकता और उन्हें नई पीढ़ी के लिए आदर्श बताया। वहीं प्रथम दिन के समापन पर महामना मदनमोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान, काशी विद्यापीठ के पूर्व अध्यक्ष प्रो। राममोहन पाठक ने बताया कि दो दिवसीय संगोष्ठी का समापन सोमवार, एक नवंबर को होगा। कार्यक्रम पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होगा।