वाराणसी (ब्यूरो)। बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार की मूवी 'पैडमैनÓ में फीमेल्स को पीरियड्स से होने वाली प्रॉब्लम को लेकर बड़ा संदेश दिया गया था। इसके बाद देश में इसे लेकर कई अभियान भी चले, लेकिन इसके ठीक उलट बनारस के गल्र्स कॉलेजेस व हॉस्टल्स में इसे लेकर कोई जागरुकता नहीं दिखती। यहां समय-समय पर छात्राएं सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाने की मांग उठाती रही हैैं, लेकिन अब तक उनकी सुनवाई नहीं हुई है। जिन कॉलेजों में छात्राओं की हाईजिन की बात होती है, वहां तो स्थिति और भी खराब है। वहां एक्सपर्ट छात्राओं को लेक्चर तो देती हैं लेकिन सुविधाएं नदारत हैं। कहीं अब तक मशीन लगी ही नहीं तो कहीं लगने के बाद कूड़े के ढेर में पड़ी है। जबकि यूजीसी ने सभी गल्र्स कॉलेज व हॉस्टल में इसे लगाने का आदेश दिया है.
बीएचयू व कॉलेज कैजुअल
विवि और कॉलेजों में छात्राएं पैड उपलब्ध कराने के लिए डिमांड कर रही हैं, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। बीएचयू में हजारों की संख्या में यूजी से लेकर शोध तक और विदेशी छात्राएं पढ़ती हैं, लेकिन यहां के किसी भी डिपार्टमेंट व गल्र्स हॉस्टल में सेनेटरी वेंडिंग और इन्सिनरेटर मशीन नहीं है। वहीं, बीएचयू कैंपस में स्थित महिला महाविद्यालय का हाल भी ऐसा ही है। 2011-12 में यहां की छात्राओं के लिए एक मशीन लगाई तो गई थी, लेकिन कुछ साल में खराब होने के बाद उसे कूड़े में फेंक दिया गया। ये वही कॉलेज है जहां वेल बीइंग के तहत स्टूडेंट कल्याण को लेकर खूब बातें की जाती हैं।
वीकेएम व अग्रसेन में नदारत
कमच्छा स्थित वसंत कन्या महाविद्यालय में भी मशीन न होने से छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे खराब स्थिति अग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज की है। कुछ साल पहले यहां तीन हजार छात्राओं के लिए दो सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाई गई थी, लेकिन अब ये दोनों कबाड़ हैं। कॉलेज व हॉस्टल में नैपकिन वेंडिंग मशीन नहीं हैं।
2017 में आदेश
जुलाई 2017 में यूजीसी ने देशभर के यूनिवर्सिटीज और सभी गल्र्स हॉस्टल्स में पर्यावरण-अनुकूल सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें और भट्ठी (इन्सिनरेटर) लगाने का आदेश जारी किया था। इसके साथ ही यूनिवर्सिटीज के वीसी को संबद्ध कॉलेजों को इस बारे में सूचित करने का निर्देश दिया था, लेकिन बनारस की यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों ने यूजीसी के इस आदेश को हवा में उड़ा दिया है। बनारस में 4 यूनिवर्सिटी और 5 गल्र्स कॉलेज के अलावा कई प्राइवेट कॉलेजेस हैं, इसमें से आधे से ज्यादा कॉलेज में आज भी ये मशीनें नदारत हैं.
कहा-कहां लगी मशीन
बीएचयू के विज्ञान संस्थान के न्यू लेक्चर थिएटर कॉम्प्लेक्स में पिछले साल एक सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाई गई है। यह मशीन विवि में पहली बार लगी है। इसमें दो तरह के पैड हैं। इसके अलावा आर्य महिला पीजी कॉलेज में पांच तो वसंता कॉलेज फॉर वीमेन-राजघाट में छात्राओं की सुविधा के लिए दो सेनेटरी वेंडिंग मशीन लगाई गई है। इसका फायदा यहां की छात्राओं को मिल रहा है।
कुछ साल पहले किसी संस्था की ओर से एक मशीन लगवाई गई थी। वह कोरोना काल से पहले ही बंद हो गई। इसके बाद किसी का ध्यान भी नहीं गया। हालांकि हम प्रयासरत हैं कि नई सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन और इन्सिनरेटर लगाई जाए.
प्रो। रचना श्रीवास्तव, प्राचार्य, वीकेएम
2012-13 में जब हम स्टूडेंट एडवाइजर थे, तब यहां एक मशीन लगवाई गई थी। उसके खराब होने के बाद से दोबारा नहीं लगी। हालांकि, अब इसका प्रपोजल बनाकर भेजा गया है, हम चाहते है कि यहां सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन के साथ क्रशर भी हो.
प्रो। रीता सिंह, प्राचार्य-एमएमवी
कॉलेज में कोई व्यवस्था न होने से मेडिकल स्टोर जाना पड़ता है। यूज्ड पैड्स को डिस्पोज करने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। आमतौर पर यह समस्या हर छात्रा को फेस करनी पड़ती है। इसके लिए बीएचयू प्रशासन को भी सोचने की जरूरत है।
रोशनी गुप्ता, स्टूडेंट-एमएमवी
सिर्फ इसी कॉलेज में नहीं सिटी के ज्यादातर गल्र्स कॉलेजों में सेनेटरी पैड के लिए कोई इंतजाम नहीं है। महिला स्वास्थ्य के लिहाज से इसका होना बेहद जरूरी है। अन्यथा संक्रमण का खतरा भी रहता है। यदि मशीन लग जाए तो इस तरह की समस्याएं नहीं रहेंगी।
दिव्या भारती, स्टूडेंट-वीकेएम
कितने कॉलेज हैं शहर में
35 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं बीएचयू में
21 गल्र्स हॉस्टल है बीएचयू में
2.5 हजार से ज्यादा छात्राएं वीकेएम में
325 से ज्यादा छात्राएं वीकेएम के हॉस्टल में
3 हजार से ज्यादा छात्राएं एमएमवी में
1200 के करीब छात्राएं एमएमवी के हॉस्टल में
3 हजार के करीब छात्राएं आर्य महिला पीजी कॉलेज में
1 हजार से ज्यादा छात्राएं है आर्य महिला पीजी कॉलेज में
3 हजार से ज्यादा छात्राएं पढ़ती है वसंता कॉलेज फॉर वीमेन में
1000 से ज्यादा छात्राएं वसंता कॉलेज के हॉस्टल में