वाराणसी (ब्यूरो)। रमजान के पहले रोज मस्जिदों से जैसे ही अजान की सदाएं, अल्लाह हो अकबर, अल्लाह हो अकबर की गूंज सुनाई दी, तमाम रोजेदारों ने खजूर और पानी से इस साल का पहला रोजा खोला। इफ्तार में कई तरह के लजीज पकवान सजाया गया था। रोज़ा इफ्तार, और मस्जिदों में नमाज के साथ ही चारों तरफ नूर ही नूर, हर तरफ खुशी ही खुशी मुस्लिम बहुल इलाकों में देखने को मिली। रमजान की रहमत जहां बरस रही थी वहीं दूसरी ओर इफ्तार के बाद बाजार गुलजार हो गए.
जुमा को पड़ा पहला रोजा
पहला रोजा जुमे को पडऩे की वजह से मस्जिदें पहले ही दिन नमाजियों से भर गयी। इससे पहले मस्जिदों में जुमे की नमाज़ के दौरान इमाम साहब आने लोगों को नेकी की दावत दी। इफ्तार के बाद लोगों ने बाजार का रुख किया। इस दौरान सहरी के लिए खरीदारी करते हुए मोमीनीन दिखाई दिए.
इस महीने में सेहत हो जाती है दुरुस्त
रोजेदारों का कहना है कि इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़ेदार की सेहत दुरुस्त हो जाती है। रोज़ेदार अपनी नफ्स पर कंट्रोल करके बुरे कामों से बचा रहता है। ये महीना नेकी और मोहब्बत का महीना है। इस पाक महीने में जितनी भी इबादत की जाये वो कम है, क्योंकि इसका सवाब 70 गुना तक अल्लाहतआला बढ़ा देता है, इसलिए कि रब ने इस महीने को अपना महीना कहा है.
इस पाक महीने में जितनी भी इबादत की जाये वो कम है, क्योंकि इसका सवाब 70 गुना तक अल्लाहतआला बढ़ा देता है.
शेख आसिफ, रोजेदार
इस पाक महीने को जिसने अपना लिया, जो अल्लाह के बताये हुए तरीकों व नबी की सुन्नतों पर चलकर इस महीने में इबादत करेगा। उसे जन्नत में खुदावंद करीम आला मुक़ाम अता करेगा.
सोनी खान, रोजेदार
जिस महीने में सवाब ही सवाब और बरकतें ही बरकत अल्लाह बंदे पर निछावर करता है। उस मुकद्दस बेशुमार खूबियों वाले महीने को रमज़ान कहा जाता है.
अबुल खैर, रोजेदार
यह महीना नेकियों का महीना है। इस महीने की अजमत को समझें और बुराइयों को छोड़कर मोमिनीन ज्यादा से ज्यादा सवाब कमाने में जुट जाएं.
सुरैया बेगम, रोजेदार