वाराणसी (ब्यूरो)। आटा-दाल के बाद मसालों की बढ़ती कीमत ने जायके में महंगाई का तड़का लगा दिया है। लाल मिर्च, जीरा और लौंग की कीमतों में उछाल आया है। जीरे की कीमतों में सबसे ज्यादा तेजी दिख रही है, जो अब तक के सबसे अधिक मूल्य पर बिक रहा है। कीमत बढऩे की मुख्य वजह बारिश बताई जा रही। बारिश से जीरे की पैदावार पर असर पड़ा है। साथ ही भारत से बड़ी मात्रा में जीरा का निर्यात किया गया है। हालांकि खाने-पीने के सामान की कीमतों में उछाल के पीछे कालाबाजारी भी मुख्य वजह बताई जाती है।
दाल में भी आई तेजी
दालों और सूखे मेवों की कीमतों में भी तेजी दिख रही है। विशेश्वरगंज मंडी पूर्वांचल में मसाले, सूखे मेवा और दाल की सबसे बड़ी मंडी है। यहां के व्यापारी कहते हैं कि जीरे की कीमतों में इतना उछाल कभी नहीं देखा है। पिछले वर्ष इसका दाम 280 रुपये किलो के आसपास था, लेकिन इस वर्ष 400 रुपये प्रति किलो थोक में उपलब्ध है। सूखी लाल मिर्च बीते वर्ष 220 रुपये प्रति किलो के आसपास मिल रही थी। अब दाम 280 प्रति किलो पर पहुंच गए हैं।
थोक-फुटकर में दोगुना अंतर
मसालों और सूखे मेवों के साथ दलहन में आई तेजी कब कम होगी, इसको लेकर कोई भी सटीक बातें सामने नहीं आ रही हैं। व्यापारियों का कहना है कि हो सकता है आने वाले दिनों में दाम में और भी तेजी देखने को मिले। थोक के मुकाबले फुटकर मसाले और सूखे मेवों की कीमतों में 30 से 50 फीसद का अंतर है। इसका सबसे ज्यादा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ रहा है। कुछ सामान की कीमतें फुटकर में थोक के मुकाबले दोगुनी हो जाती है.
पाकिस्तान संकट का असर
हफ्ते भर पहले तक जीरा 300 रुपये प्रति किलो था। अब 400 रुपये प्रति किलो हो गया है। बादाम के रेट 600 से बढ़कर 720 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए हैं। यहां पर इस सारे सामान की आपूर्ति विशेश्वरगंज से होती है। जो असर शहर के बाजारों पर पड़ता है। पाकिस्तान से कई प्रकार के सूखे मेवे का आयात होता है। पाकिस्तान संकट के बाद छुहारा का आयात रुक गया है। इससे 200 रुपए किलो वाला छुहारा अब 340 रुपए किलो मिल रहा है। अंजीर 700 रुपए से 800 रुपए किलो एवं मुनक्का 700 रुपए से 900 रुपए किलो तक पहुंच गया है।
इस बार सभी तरह के सूखे मेवा के दामों में तेजी है। भारत में अधिकांश ड्राईफ्रूड विदेश से आयात किए जाते हैं। इस बार पाकिस्तान में बाढ़ आई, जिसके चलते पैदावार कम हुई। आवक कम होने से जाहिर तौर पर कीमतों पर असर पड़ता है।
महेंद्र केशरी, किराना व्यापारी
जीरे की फसल खराब होने से आवक प्रभावित हुई है। भारत विदेश में जीरा बड़ी मात्रा में भेजता है। लाल मिर्च का भाव बीते वर्ष शुरुआत में कम था, लेकिन बाद में तेजी आई। भाव में तेजी आने की उम्मीद से किसान सीमित संख्या में मिर्च मंडी में बेच रहे हैं.
आशू केशरी, किराना व्यापारी
हर साल रमजान के महीने में सूखे मेवों की कीमतों में 20 से 30 फीसद की बढ़ोतरी हो जाती है। पिछले दस दिन से सूखे मेवों की डिमांड दोगुनी हो गई है। अगल लगन होता तो कीमतें और तेज हो जाती.
प्रशांत यादव, एजेंट