वाराणसी (ब्यूरो)। भुलेटन में तेजाब से आगजनी की घटना पहली बार नहीं है। पहले भी इस तरह की घटना सराफा मंडी में हो चुकी है। इसके बाद भी यहां खुलेआम रिफाइनरी के कारखाने चल रहे हैं। इनमें प्रतिदिन चार टन से अधिक चांदी को गलाकर नाइट्रिक एसिड से रिफाइन किया जाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि सभी रिफाइनरी के कारखाने घनी आबादी के बीच चल रहे हैैं। इन कारखानों के खिलाफ कई लोगों ने कम्प्लेन किया, लेकिन पॉल्यूशन विभाग शांत बैठा हुआ है.
घनी आबादी के बीच 10 कारखाने
दारानगर से लेकर चौक तक करीब 4 लाख से अधिक आबादी रहती है। इन सबके बीच पूर्वांचल की थोक सराफा मंडी से लेकर साड़ी और रेशम का थोक कारोबार होता है। पूर्वांचल ही नहीं कई राज्यों के खरीदार यहां खरीदारी के लिए आते हैं। इतनी बड़ी जनसंख्या के बीच 10 से अधिक रिफाइनरी के कारखाने चल रहे हैं, वह भी पॉल्यूशन विभाग की मंजूरी के साथ.
चांदी में भी सोने का अंश
चांदी की रिफाइनरी का कारखाना इसलिए चल रहा है कि मार्केट में जितनी भी पुरानी चांदी की बट्टी, पुराने जेवर आते हैैं, पहले इनको भट्टी में गलाया जाता है। फिर नाइट्रिक एसिड से सभी चांदी को रिफाइन कर सोने और चांदी को अलग किया जाता है। पहले जितने भी चांदी के जेवर बनते थे उस पर सोने का पानी चढ़ाकर लोग पहनते थे। सोने का पानी चढ़ा हुआ जेवर रिफाइन करने पर सोना और चांदी अलग हो जाता है.
सभी के पास एनओसी
चौंकाने वाली बात यह है कि सभी रिफाइनरी कारखाना संचालकों ने पॉल्यूशन विभाग से एनओसी ले रखी है। जबकि विभाग के नियम के अनुसार घनी आबादी के बीच कोई भी कारखाना चलाने का नियम नहीं है। इसके बाद भी सुडिय़ा, रेशम कटरा, रानी कुंआ, लक्खी चबूतरा, दारानगर में रिफाइनरी कारखाने खुलेआम चल रहे हैं.
निकलती है खतरनाक गैस
मार्केट के विशेषज्ञों की मानें तो चांदी की रिफाइनरी के समय जो गैस निकलती है वह काफी खतरनाक होती है। इससे सांस की बीमारी तो होती ही है, आंखों में भी जलन होने लगता है। इसकी शिकायत कई बार लोग पॉल्यूशन विभाग से कर चुके हैं, लेकिन अधिकारियों ने आज तक एक भी रिफाइनरी कारखानों के खिलाफ एक्शन नहीं लिया। यही वजह है कि आज भी घनी आबादी के बीच रिफाइनरी कारखाने चल रहे हैं। हालांकि सराफा कारोबारियों का कहना है कि कई कारखाना संचालक आधुनिक मशीन से रिफाइन कर रहे हैं। पहले जो गैस निकलती थी, अब उसे मशीन द्वारा पानी में कन्वर्ट कर दिया जा रहा है। चिमनी को भी हटा दिया है, लेकिन आधुनिक मशीन तीन से चार लोगों के पास ही है। बाकी पुराने सिस्टम से ही रिफाइन कर रहे हैं.
यहां चल रही रिफाइनरी फैक्ट्रियां
दारानगर
सुडिय़ा
रेशम कटरा
छत्तातले
लक्खी चबूतरा
ठठेरी बाजार
क्या है नियम
घनी आबादी के बीच नहीं चला सकते हैं रिफाइनरी कारखाना
इंडस्ट्रियल एरिया में पॉल्यूशन विभाग से एनओसी लेकर रिफाइनरी कारखाना को चलाने का नियम
फैक्ट एंड फीगर
04
टन प्रतिदिन चांदी की रिफाइनरी हो रही
10
कारखाने घनी आबादी के बीच चल रहे
04
लाख की आबादी हो रही है प्रभावित
पहले की अपेक्षा अब कम रिफाइनरी के कारखाने शहर में रह गए हैं। आठ कारखानों को तो आउटर में कर दिया गया है.
कमल सिंह, सराफा कारोबारी
घनी आबादी में जो कारखाने चल रहे हैं। वह आधुनिक मशीन से चांदी की रिफाइन कर रहे हैं। इसमें गैस नहीं निकलता है.
सत्यनारायण सेठ, अध्यक्ष उप्र स्वर्णकार संघ
चांदी की रिफाइनरी में नाइट्रिक एसिड का इस्तेमाल किया जाता है। इससे जो गैस निकलता है, वह नुकसानदायक होता है.
किशोर सेठ, सराफा कारोबारी
शहर से पांच से अधिक रिफाइनरी कारखानों को आउटर में कर दिया गया है। जो चल रहे हैैं, उन पर भी नजर है.
एसी शुक्ला, क्षेत्रीय अधिकारी, पॉल्यूशन विभाग