वाराणसी (ब्यूरो)। पिछले दस साल में बनारस में काफी बदलाव आया है। फुलवरिया फोरलेन, हरहुआ फ्लाईओवर, रिंग रोड ने काशी की तस्वीर बदल दी है। स्मार्ट सिटी में श्री काशी विश्वनाथ धाम, रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर, टीएफसी, कैंसर अस्पताल, स्वर्वेद महामंदिर को देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग काशी आ रहे हैं, लेकिन ट्रैफिक जाम की समस्या से इन सारी सुविधाओं पर भारी पड़ रही है। बनारस के चट्टी-चौराहों पर शहर की बदली तस्वीर को लेकर चर्चाएं आम हैं, लेकिन बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, जातिगणना, महंगाई समेत तमाम ज्वलनशील मुद्दों को लेकर जबर्दस्त बहïस हो रही है। इसी कड़ी में आगामी लोकसभा चुनाव में कौन से मुद्दे ज्यादा असर डालेंगे। वन नेशन, वन इलेक्शन, जातिगत गणना, चुनाव में अच्छे लोग क्यों नहीं आ रहे हैं। महिला सुरक्षा के लिए बने कानून पर्याप्त हैं या नहीं। यूथ के लिए राम मंदिर एक मुद्दा है। बेरोजगारी समेत इन तमाम मुद्दों को लेकर बुधवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने राजनी 'टीÓ कैंपेन के तहïत पहडिय़ा स्थित अशोका इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में परिचर्चा की। इस दौरान युवाओं ने खुलकर अपनी बातें शेयर की.
सब पर भारी राष्ट्रवाद
अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य राम मंदिर और भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होने के बावजूद लोगों के जेहन से राममंदिर का मुद्दा बरकरार है। परिचर्चा के दौरान यंगस्टर्स ने कहा कि आने वाले चुनाव में राममंदिर मुद्दा अभी बरकरार रहेगा। इसी राष्ट्रवाद से भारत विश्व शक्ति बनने की राह पर चल रहा है। आज का युवा राष्ट्र के प्रति काफी संदेवनशील है.
बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा
राजनी 'टीÓ कैंपेन में युवाओं ने आने वाले लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बताया। चुनाव के दौरान घोषणा-पत्र में तमाम राजनैतिक पार्टियों की ओर से युवाओं को रोजगार देने की बड़ी-बड़ी घोषणाएं होती हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। हालांकि मौजूदा सरकार की तमाम योजनाएं हैं, जिससे रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। यंगस्टर्स ने कहा कि बनारस में विकास तो हुआ है, लेकिन बड़ी फैक्टरी या नोएडा, गुडग़ांव की तरह रोजगार के साधन नहीं मुहैया रहे हैं। आने वाली सरकार से युवाओं ने कहा कि रोजगार पर फोकस ज्यादा करने की जरूरत है.
महंगाई अब मुद्दा नहीं
चुनाव में महंगाई अब मुद्दा नहीं होगा। मेट्रो सिटी की तरह लोगों को सिर्फ अच्छी-अच्छी सुविधाएं और मनोरंजन के साधन उपलब्ध होने चाहिए। परिचर्चा के दौरान महïंगाई को लेकर युवाओं में कोई नाराजगी नहीं दिखी। लोगों ने कहा कि कोई भी सरकार आएगी, जिसे कंट्रोल नहीं कर पाएगी। इसलिए इस पर बहस करना समय बेकार करने के समान है। हालांकि एक-दो यंगस्टर्स का कहïना था कि मध्यवर्गीय परिवार के लिए महंगाई आज भी मुद्दा है। कोई ऐसी चीज नहïीं, जिसका दाम न बढ़ा हïो। अनाज, तेल, रिफाइंड, गैस, सरसों तेल, ड्राई फूड के दाम हïर दिन रिकॉर्ड तोड़ रहïे हïैं। सरकार कंट्रोल करने की बजाय सिर्फ तर्क दे रहïी हïै.
मोदी के नाम दागी भी बन जाते हैं जनप्रतिनिधि
परिचर्चा के दौरान युवा वर्ग ने दागी कैंडीडेट पर खुलकर अपने विचार रखे। यंगस्टर्स ने कहïा कि किसी भी कीमत पर हïम लोग दागी कैंडीडेट को वोट नहïीं देंगे। लेकिन पीएम मोदी के नाम पर ऐसे लोग भी जनप्रतिनिधि बन जाते हैं, जो इसके लिए योग्य नहीं होते हैं। इसलिए राजनैतिक पार्टियों को दागी व्यक्ति प्रत्याशी बनाने से बचना चाहिए। विकास और राष्ट्र निर्माण के लिए कई बार गलत आदमी को वोट देना पड़ता है। ऐसे लोग क्षेत्र व समाज का विकास नहïीं करते हïैं.
विचारधारा व विकास दोनों की जरूरत हïै। जहïां विचारधारा अच्छी हïोगी, वहीं विकास संभव हïै। एक युवा हïोने के नाते राष्ट्र और देश हिïत में सोचना हïमारी जिम्मेदारी हïै। विचारधारा से हïी हïमारे देश का भविष्य तय हïोता हïै.
रवि रंजन तिवारी
वूमेन सेफ्टी के लिए जो भी कानून है, वह पर्याप्त है। सरकार अच्छा काम भी कर रही है। महिलाएं सेफ भी है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी अच्छी है, लेकिन सही तरीके से उसे इम्प्लीमेंट करने की जरूरत है.
डा। प्रीति कुमारी
बीएचयू और टूरिस्ट प्लेस होने की वजह से बनारस में भीड़ है, लेकिन उस हिसाब से शहर का विस्तार नहीं हो रहा है। शहर के आउडर एरिया को विकसित करने की जरूरत है। तभी सभी को उसका लाभ मिलेगा।
मनीषा दुबे
महïंगाई चरम पर हïै। हïम उसी सरकार को चुनेंगे, जो बुनियादी जरूरतों पर काम करेगी। गैस, राशन, तेल समेत हर चीजों के दाम बढ़ रहïे हïैं। विकास के खूब वादे किए जाते हïैं, लेकिन हïकीकत कुछ और हïै।
अरविंद कुमार
शिक्षा व्यवस्था अच्छी होने से ही देश की प्रगति संभव है। विदेशी यूनिवर्सिटी की शाखा खोलने की जरूरत नहीं है। अपने देश में उस तरह की एजुकेशन क्वालिटी विकसित करना चाहिए। सरकारी शिक्षण संस्थाओं को और बेहतर बनाने की जरूरत है।
विशाल गुप्ता
महïंगाई चरम पर हïै। हïम उसी सरकार को चुनेंगे, जो बुनियादी जरूरतों पर काम करेगी। गैस, राशन, तेल समेत हर चीजों के दाम बढ़ रहïे हïैं। विकास के खूब वादे किए जाते हïैं, लेकिन हïकीकत कुछ और हïै।
अभय मौर्या