वाराणसी (ब्यूरो)। रक्षाबंधन का पर्व एक फिर भद्रा के फेर में फंस गया है। भाईयों की कलाई पर बहनें राखी किस दिन बांधेंगी, इसको लेकर संशय बना हुआ है। इस भ्रम को दूर करने के लिए काशी के ज्योतिषियों से बात की गई तो सभी का कहना है कि दो दिनों तक रक्षाबंधन मना सकते हैं। 30 अगस्त की रात 9.32 के बाद से 31 अगस्त की सुबह 7 बजे तक राखी बांधने का मुहूर्त है। इसके पहले भद्रा लगा हुआ है.
रात्रि में राखी बांधनी नहीं चाहिए
काशी के ज्योतिषाचार्य बब्बन तिवारी का कहना है कि इस बार भद्रा के चलते राखी बांधने का मुहूर्त 30 अगस्त की रात 8:58 बजे से है लेकिन रात में राखी बांधी नहीं जाती है। इसलिए 31 की सुबह 7 बजे तक भाईयों की कलाई में राखी बांध सकते हैं। भद्रा के फेर के चक्कर में रक्षाबंधन का पर्व हर बार प्रभावित होता है.
श्रावणी पूर्णिमा 7 बजे तक
प्रो। रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि हिंदू पंचांग के अनुसार 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा की तिथि 7 बजकर 05 मिनट तक रहेगी और इस दौरान भद्रा का साया नहीं रहेगा। इस कारण 31 अगस्त को सुबह-सुबह राखी बांधना शुभ होगा। इसके बाद राखी बांधने का मुहूर्त नहीं है। इसलिए सुबह उठने के बाद स्नान ध्यान करने के बाद रक्षाबंधन की रस्में निभा लें.
श्री काशी विद्धत परिषद का निर्णय
रक्षाबंधन किस मुहूर्त में मनाया जाएगा, इसको लेकर श्री काशी विद्वत परिषद ने बैठक की। इसमें सभी धर्म निर्णय सिंधु, एवं ज्योतिशास्त्र के मंथन के बाद यह निर्णय श्री काशी विद्वत परिषद ने लिया है, जो सनातन वैदिक परंपरा के अनुसार तथा भारती संस्कृति संस्कारों एवं पर्वों के संरक्षण के लिए काशी विद्धत परिषद धर्म शास्त्र, ज्योति शास्त्र एवं वेद शास्त्र के विद्धानों के साथ सामूहिक चर्चा करके यह निर्णय लिया कि रात्रि में 9:32 के बाद से लेकर 31 की सुबह 7 बजे तक रक्षाबंधन का पर्व मना सकते हंै।
इस दिन क्या करें
- रक्षाबंधन का त्योहार हमेशा भद्रारहित काल में ही मनाएं.
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें.
- स्नान के बाद सूर्यदेव को जल देते हुए अपने कुल देवी और देवताओं का स्मरण करें और आशीर्वाद लें.
- इसके बाद शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए राखी की थाली को सजाएं.
-राखी की थाली में तांबे या पीतल की थाली में राखी, अक्षत, सिंदूर, मिठाई और रोली जरूर रखें.
-अपने कुलदेवता को रक्षाबंधन पर रक्षा सूत्र को समर्पित करते हुए पूजा संपन्न करें.
- राखी बांधते हुए इस बात का ध्यान रखें कि भाई का मुख पूर्व दिशा में हो.
-बहनें सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक लगाएं और फिर कलाई पर राखी बांधें.
-बहनें भाई के दाहिने हाथ पर राखी बांधे.
-इसके बाद बहन-भाई एक दूसरे को मिठाई खिलाएं.
रक्षाबंधन का पर्व भद्रा में नहीं मनाना चाहिए। इससे आगे दिक्कत होती है। जब मुहूर्त हो, उसी समय रक्षाबंधन का पर्व मनाना चाहिए.
बब्बन तिवारी, ज्योतिषाचार्य
रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा को देखते हुए श्री काशी विद्वत परिषद ने बैठक कर स्पष्ट कर दिया है कि 30 की रात 9.32 से 31 की सुबह 7 बजे तक राखी बांधने का मुहूर्त है.
उमंगनाथ शर्मा, ज्योतिषाचार्य
इस बार 30 की रात और 31 की सुबह तक रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। 30 को दिन में भद्रा होने वजह से रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाएगा.
प्रो। रामनारायण द्विवेदी, महामंत्री, श्री काशी विद्वत परिषद