वाराणसी (ब्यूरो)। बीएचयू और आईआईटी के बीच दीवार को लेकर छात्रों में उबाल बढ़ता ही जा रहा है। बीएचयू के मुख्य द्वार पर छात्र संगठन पिछले दो दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी बीच वहां रविवार को हिंदुत्व विरोधी नारे लगाने पर दो छात्र संगठन आपस में भिड़ गए। आरोप है कि बीएचयू के सिंह द्वार पर बैठे आइसा के छात्र धरने की आड़ में हिंदुत्व विरोधी एजेंडा चला रहे हैं। महामना की बगिया में हिंदुत्व तेरी कब्र खुदेगी जैसे नारे से माहौल बिगाड़ रहा है। विवि में इसी नारे के बाद एबीवीपी और आइसा के छात्रों में झड़प और मारपीट हो गई। करीब डेढ़ घंटे तक पुलिस और प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अधिकारियों के सामने यह हंगामा होता रहा.
आइसा से जुड़े छात्रों को कब्जे में लिया
एबीवीपी के छात्रों के गुस्से को देखते हुए आइसा से जुड़े छात्रों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने कब्जे में ले लिया। एबीवीपी से जुड़े अभय सिंह ने बताया कि बाहरी छात्र विश्वविद्यालय का माहौल खराब करने के लिए लगातार देश विरोधी गतिविधियां कैंपस में कर रहे हैं। हालांकि बीएचयू विभाजन के विरोध पर ये आंदोलन हो रहा है लेकिन उसकी आड़ में अपने हिडेन एजेंडे पर आइसा काम कर रही है। वहीं एबीवीपी की साक्षी सिंह ने आरोप लगाया कि सिंह द्वार पर 2 दिनों से धरने पर बैठे कई लोगों का बीएचयू से कोई ताल्लुक भी नहीं है लेकिन फिर भी वो दूसरे जगहों से यहां आकर आंदोलन कर विश्वविद्यालय का माहौल बिगाड़ रहें है.
लिखित आश्वासन का इंतजार
इधर बीएचयू के छात्रों ने इस विरोध को बल देने के लिए रविवार को एक बैठक की गई। इसमें तय हुआ कि सोमवार को बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र और अध्यापक एक विशाल मार्च निकालेंगे। हालांकि इससे पहले शनिवार को छात्र संगठनों ने सोमवार को बीएचयू बंद करने का भी एलान किया है। छात्रों ने कहा कि जब तक हमें लिखित आश्वासन नहीं मिल जाएगा कि विवि में कोई दीवार नहीं खड़ी होगी, तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा.
आज निकलेगी विशाल रैली
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों का कहना है बीएचयू के विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में छात्र समुदाय की एक बैठक हुई। इसमें यह निर्धारण हुआ कि 'हम बीएचयू के लोगÓ जिसमें पूर्व शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र समुदाय एकत्रित होकर सोमवार को 2 बजे विश्वनाथ मंदिर से मालवीय भवन जाएंगे और बीएचयू के विभाजन के विरूद्ध और महिला सुरक्षा के सुनिश्चयन के लिए अपनी एकता प्रदर्शित करेंगे। छात्रों ने कहा कि इस मार्च में बीएचयू के ध्वज के नीचे और महामना के चित्र के साथ पूरा बीएचयू परिवार एकत्रित होकर हम बीएचयू के लोग के संदर्भ में एकता को प्रदर्शित करेगा। बीएचयू के पूर्व छात्र और बीजेपी आईट सेल के पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि हम लोग कल कैंपस में बहुत बड़ा मार्च निकालने वाले हैं। इसमें 5000 से ज्यादा छात्र और प्रोफेसरों के शमिल होने की उम्मीद है। इस आंदोलन के लिए कई वाट्सग्रुप बनाकर उसमें हजारों लोगों को जोड़ा गया और सबको संदेश पहुंच चुका है।
पूर्व वीसी ने कहा, इसलिए नहीं दिया था आईआईटी का दर्जा दिलाने का प्रपोजल
आईआईटी-बीएचयू और बीएचयू के बीच बाउंड्री वॉल के प्रपोजल पर पूरा कैंपस भड़क उठा है। सोशल मीडिया पर बीएचयू बचाओ की मुहिम छिड़ गई है। 1000-1000 लोगों के कई वाट्सएप ग्रुप बन गए हैं। वहीं, पूर्व कुलपति प्रो। पंजाब सिंह ने कहा कि मैंने आईटी-बीएचयू को आईआईटी का दर्जा दिलाने वाले प्रपोजल देकर गलती तो नहीं की। उन्होंने कहा कि 2007-08 में मेरे कार्यकाल के दौरान यह प्रपोजल दिया गया था। इसके पीछे मंशा सिर्फ यही थी कि इस संस्थान के महत्व के अनुसार, पर्याप्त बजट मिले। इंजीनियरिंग की शिक्षा और अपग्रेड होगी। आईआईटी का स्टेटस मिलते ही काफी कुछ बदल जाएगा। इसके बावजूद हमारा स्टैंड यही था कि आईआईटी का दर्जा पाने के बाद भी यह बीएचयू का ही इंटगरल पार्ट रहेगा। गर्वनेंस बीएचयू का ही होगा। मैंने समझौता नहीं किया। इसलिए आईआईटी का प्रपोजल मेरे कार्यकाल में पारित नहीं हो सका। 2008 में मेरा कार्यकाल खत्म हो गया। इसके बाद क्या हुआ आप सब कुछ देख रहे हैं.
15 साल पहले ही जाहिर कर दी थी दीवार की आशंका
प्रो। सिंह ने कहा कि जब आईआईटी का बिल पार्लियामेंट में जा रहा था, तब मैंने बीएचयू के चांसलर डॉ। कर्ण सिंह से निवेदन किया था कि बिल में एक लाइन डाल दें कि आईआईटी-बीएचयू का गवर्नेस बीएचयू के पास रहे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह बाद में करा लिया जाएगा। लेकिन मैंने कहा फिर कभी नहीं होगा। एक समय आएगा जब आईआईटी और बीएचयू दो अलग-अलग सिस्टम हो जाएंगे। बीच में दीवार बन पड़ जाएगी, जो किसी को स्वीकार नहीं होगा। मैंने तब यह भी कह दिया था कि अगर यह संभव नहीं है तो हम आईटी ही ठीक हैं। लेकिन, दबाव इतना ज्यादा था कि जो होना था हो गया। प्रो। सिंह ने कहा कि दीवार बनाकर कैंपस को बटने की बात तो सोचना भी नहीं चाहिए। क्या कोई एश्योर कर सकता है कि दीवार बनाकर ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। कोशिश हो कि आईआईटी को कैसे बीएचयू के गवर्नेस में फिर से वापस लाया जाए.
साइंस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर ने किया विरोध
इधर छात्रों के साथ अब बीएचयू के प्रोफेसर भी इस विरोध का समर्थन करने लगे हैं। बीएचयू में इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के डायरेक्टर प्रो। एके त्रिपाठी समेत कई संस्थानों और संकायों के डीन डायरेक्टर ने बाउंड्री वॉल का विरोध किया है। कहा है कि इस बाउंड्री को बनने नहीं देंगे। कुछ पूर्व छात्रों ने कहा कि हम हाईकोर्ट से स्टे लगवा देंगे.